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बेमेतरा: चने की फसल में उकठा रोग का प्रभाव, अन्नदाता हो रहे परेशान

बेमेतरा के किसानों ने बदलते मौसम में रबी फसल चना की बुवाई की है. फसलों में अब उकठा रोग का प्रकोप शुरू हो गया है. इससे चना के पौधे सुख रहे है. फसलों को हो रहे नुकसान से किसान परेशान हैं.

gram crop
चने की फसल पर उकठा रोग का प्रभाव
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Published : Dec 24, 2020, 4:39 PM IST

Updated : Dec 24, 2020, 7:10 PM IST

बेमेतरा: छत्तीसगढ़ में ठंड ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. बढ़ती ठंड के कारण आवागमन को प्रभावित हुआ है. वहीं किसानों को भी अब उनके फसलों की चिंता सताने लगी है. जिले में लगातार बदल रहे मौसम का असर अब चने की फसल पर नजर आ रहा है. बदलते मौसम में किसानों ने रबी फसल चना की बुवाई की है, लेकिन अब फसलों पर उकठा रोग का प्रकोप शुरू हो गया है. जिससे चना के पौधे सुख रहे हैं. फसलों को हो रहे नुकसान से किसान परेशान हैं.

चने की फसल में उकठा रोग का प्रभाव

बेमेतरा जिला उन्हारी फसल के बंपर उत्पादन के लिए पूरे प्रदेश में विख्यात है, लेकिन विगत 3 साल से ऐसा देखा जा रहा है कि उन्हारी की मुख्य चना की फसल में उकठा रोग का शिकार हो रहे हैं. चने के साथ ही मसूर की फसल में भी उकठा रोग लग चुका है. चना की बुआई के बाद अब उकठा रोग के बढ़ते प्रभाव से किसान परेशान हैं. कृषि विभाग के उपसंचालक एमडी मानकर ने इससे बचाव के लिये सुझाव दिए हैं.

fungal wilt on gram crop
चने की फसल पर उकठा रोग का प्रभाव

पढ़ें: मुंगेली: बेमौसम बारिश से किसान परेशान, फसलों के खराब होने की सता रही चिंता

उकठा रोग से बचाव के तरीके

  • चने की फसल के लिए फसल चक्र का प्रयोग करें.
  • लगातार एक ही खेत में चना लगाने से बचें.
  • ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें.
  • चार किलोग्राम ट्राइकोड्रर्माको 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर बुआई से पहले प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिलाएं.
  • खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखाई देने पर कॉर्बेन्डाजिम 50 डब्लयू पी 0.2 प्रतिशत घोल का पौधो के जड़ क्षेत्र में छिड़काव करें.
  • उकठा रोग से प्रभावित रहने वाले खेतों में 4 से 5 साल के अंतराल पर ही चने की बुआई करें.
  • प्रभावित पौधों को जला दें और ऐसे खेतों की गर्मियों में गहरी जुताई करें.
fungal wilt on gram crop
चने की फसल बर्बाद

क्या है उकठा रोग ?

पौधों में उकठा रोग कभी कभार उनके छोटे रहने पर भी दिखाई देता है. इसका प्रकोप जनवरी से फरवरी माह के बीच होता है. इस दौरान पौधा पूरी तरह फूल लेने के लिए तैयार होता है या फिर फूलों से लदा होता है. रोग की शुरुआत में पत्तियां अचानक पीली होने लगती हैं, धीरे धीरे सूख कर गिर जाती हैं. बाद में पूरा पौधा सूख जाता है. पौधों के तने के आधार भाग और मोटी जड़ पर काली धारियां दिखाई देती हैं. जो महीन जड़ों पर भी फैली रहती हैं. प्रभावित पौधे की छाल उतारकर इस काले भाग को देखा जा सकता है.

पढ़ें: बेमेतरा: बारिश से अरहर की फसलों पर कीटों का हमला, अन्नदाता परेशान

1 लाख एकड़ से अधिक में हो रही चने की खेती
जिले में बीते साल 1 लाख 12 हजार एकड़ में चने की फसल लगाई गई थी. लेकिन इस साल 1 लाख 11 हजार एकड़ में चने की फसल लगाई गई है. जो पिछले साल के मुकाबले 1 हजार एकड़ कम है. इस साल किसानों ने चना छोड़ गेहूं की खेती में विश्वास जताया है. किसानों ने गेहूं का रकबा बढ़ा दिया है. साथी ही धान की फसल की भी बुआई की है. इसके अलावा क्षेत्र में गन्ना का भी रकबा बढ़ा है.

बेमेतरा: छत्तीसगढ़ में ठंड ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. बढ़ती ठंड के कारण आवागमन को प्रभावित हुआ है. वहीं किसानों को भी अब उनके फसलों की चिंता सताने लगी है. जिले में लगातार बदल रहे मौसम का असर अब चने की फसल पर नजर आ रहा है. बदलते मौसम में किसानों ने रबी फसल चना की बुवाई की है, लेकिन अब फसलों पर उकठा रोग का प्रकोप शुरू हो गया है. जिससे चना के पौधे सुख रहे हैं. फसलों को हो रहे नुकसान से किसान परेशान हैं.

चने की फसल में उकठा रोग का प्रभाव

बेमेतरा जिला उन्हारी फसल के बंपर उत्पादन के लिए पूरे प्रदेश में विख्यात है, लेकिन विगत 3 साल से ऐसा देखा जा रहा है कि उन्हारी की मुख्य चना की फसल में उकठा रोग का शिकार हो रहे हैं. चने के साथ ही मसूर की फसल में भी उकठा रोग लग चुका है. चना की बुआई के बाद अब उकठा रोग के बढ़ते प्रभाव से किसान परेशान हैं. कृषि विभाग के उपसंचालक एमडी मानकर ने इससे बचाव के लिये सुझाव दिए हैं.

fungal wilt on gram crop
चने की फसल पर उकठा रोग का प्रभाव

पढ़ें: मुंगेली: बेमौसम बारिश से किसान परेशान, फसलों के खराब होने की सता रही चिंता

उकठा रोग से बचाव के तरीके

  • चने की फसल के लिए फसल चक्र का प्रयोग करें.
  • लगातार एक ही खेत में चना लगाने से बचें.
  • ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें.
  • चार किलोग्राम ट्राइकोड्रर्माको 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर बुआई से पहले प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिलाएं.
  • खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखाई देने पर कॉर्बेन्डाजिम 50 डब्लयू पी 0.2 प्रतिशत घोल का पौधो के जड़ क्षेत्र में छिड़काव करें.
  • उकठा रोग से प्रभावित रहने वाले खेतों में 4 से 5 साल के अंतराल पर ही चने की बुआई करें.
  • प्रभावित पौधों को जला दें और ऐसे खेतों की गर्मियों में गहरी जुताई करें.
fungal wilt on gram crop
चने की फसल बर्बाद

क्या है उकठा रोग ?

पौधों में उकठा रोग कभी कभार उनके छोटे रहने पर भी दिखाई देता है. इसका प्रकोप जनवरी से फरवरी माह के बीच होता है. इस दौरान पौधा पूरी तरह फूल लेने के लिए तैयार होता है या फिर फूलों से लदा होता है. रोग की शुरुआत में पत्तियां अचानक पीली होने लगती हैं, धीरे धीरे सूख कर गिर जाती हैं. बाद में पूरा पौधा सूख जाता है. पौधों के तने के आधार भाग और मोटी जड़ पर काली धारियां दिखाई देती हैं. जो महीन जड़ों पर भी फैली रहती हैं. प्रभावित पौधे की छाल उतारकर इस काले भाग को देखा जा सकता है.

पढ़ें: बेमेतरा: बारिश से अरहर की फसलों पर कीटों का हमला, अन्नदाता परेशान

1 लाख एकड़ से अधिक में हो रही चने की खेती
जिले में बीते साल 1 लाख 12 हजार एकड़ में चने की फसल लगाई गई थी. लेकिन इस साल 1 लाख 11 हजार एकड़ में चने की फसल लगाई गई है. जो पिछले साल के मुकाबले 1 हजार एकड़ कम है. इस साल किसानों ने चना छोड़ गेहूं की खेती में विश्वास जताया है. किसानों ने गेहूं का रकबा बढ़ा दिया है. साथी ही धान की फसल की भी बुआई की है. इसके अलावा क्षेत्र में गन्ना का भी रकबा बढ़ा है.

Last Updated : Dec 24, 2020, 7:10 PM IST
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