बेमेतराः इन बच्चों के भीतर एक कवि ह्रदय धड़कने लगा है, कविता में मन रहने लगा है इनका. ये नौनिहाल हिंदी साहित्य और देश का भविष्य गढ़ने को तैयार हैं. ये स्कूली बच्चे साहित्य को नई दिशा देने की तैयारी में जुटे हैं. स्कूल में ही इन्हें साहित्य से जोड़ने के पीछे एक गहरी सोच है. ताकि बुनियाद मजबूत हो, भाषा और साहित्य से जुड़ाव जीवन के शुरुआती दिनों से ही बना रहे.
इस सोच के पीछे शिक्षकों और साहित्यकारों का एक समूह है. कवि संगम इकाई, बेमेतरा के कवि जो शिक्षक भी हैं वे इन बच्चों को काव्य रचना और काव्यपाठ के गुर सिखा रहे हैं. इस संस्था के सदस्य बीते 3 साल से जिले के करीब 34 स्कूलों के 10 से 20 वर्ष के सौ से अधिक बाल कवियों को तैयार कर रहे हैं. इन्हें स्वरचित कविता और साहित्य की बारीकियां सिखाई जा रही हैं.
वर्कशॉप के जरिए सिखाते हैं कविता
संस्था के अधिकतर कवि शिक्षक भी हैं, ये अवकाश के दिनों में काव्य संगोष्ठी आयोजित कर राष्ट्रीय चेतना और समसामयिक विषयों पर सार्थक चर्चा करते हैं. ये संस्था जिले के स्कूल और कालेजों में साहित्यिक आयोजन कर छात्र-छात्राओं में साहित्य सृजन की क्षमता विकसित करने के लिए कार्यशाला आयोजित करती है.
बेमेतरा, साजा, अंधियारखोर, बालसमुंद, खम्हरिया, बेरला सहित 34 स्कूलों में बाल रचनाकार और कवि आपको मिलेंगे, जो हिन्दी के साथ-साथ छतीसगढ़ी भाषा में भी लिखते हैं. राष्ट्रीय कवि संगम जिला इकाई के अध्यक्ष सुनील कुमार झा, कमल शर्मा, प्रमोद तिवारी, निराकार पांडेय, महेंद्र सिंह विरदी सहित दर्जनों कवि जो राष्ट्रीय स्तर पर अपने रचनाएं पेश कर चुके हैं और अब आने वाली पीढ़ी को साहित्य रचना के प्रति सक्रिय कर रहे हैं. ये अपनी कविताओं द्वारा सामाजिक और पर्यावरण को बचाने जैसे संदेश भी देते हैं.