बेमेतरा: जिले की बेमेतरा विधानसभा के इतिहास के पन्ने उलटकर देखें तो पता लगेगा कि, जनता किसी भी विधायक को दो बार से ज्यादा मौका नहीं देती. 1989 के चुनाव में स्वर्गीय महेश तिवारी के बाद स्वर्गीय डॉक्टर चेतन वर्मा दो बार विधायक तो बने, किंतु लगातार जीत उन्हें भी नसीब नहीं हुई. 2008 के चुनाव में कांग्रेस से ताम्रध्वज साहू विधायक तो बने लेकिन 2013 में हार का मुंह देखना पड़ा. इस बार बीजेपी के अवधेश चंदेल ने उन्हें हराया. इससे पहले कांग्रेस के स्वर्गीय रविंद्र सिंह वर्मा और लक्ष्मण प्रसाद वैद्य लगातार जीत हासिल करते रहे. लेकिन लगातार जीत का सिलसिला स्वर्गीय देवेंद्र सिंह वर्मा के बाद खत्म हो गया. 2013 में जहां जनता ने बीजेपी को मौका दिया. वहीं 2018 में कांग्रेस के आशीष छाबड़ा को जनता ने चुना. इस बार फिर कांग्रेस ने आशीष कुमार छाबड़ा को उम्मीदवार बनाया है.वहीं बीजेपी की ओर से दीपेश साहू चुनावी मैदान में हैं.
कितनी है मतदाताओं की संख्या :बेमेतरा विधानसभा में ओबीसी मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है. जो करीब 55 फीसदी है.जिले में वर्मा, कुर्मी, लोधी और साहू मतदाता की संख्या कम नहीं है.बेमेतरा शहर में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अधिक है. वहीं बेरला क्षेत्र में ओबीसी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. बेमेतरा विधानसभा क्षेत्र में बेमेतरा ब्लॉक और बेरला ब्लॉक आते हैं. यहां कुल 247132 मतदाता हैं. जिसमें 123427 पुरुष मतदाता हैं. वहीं 123703 महिला मतदाता है.थर्ड जेंडर 2 हैं. जबकि 45 फीसदी मतदाता पिछड़ा वर्ग से हैं. यहां प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला पिछड़ा वर्ग के मतदाता ही करते हैं.
पिछले चुनाव के नतीजे : 2018 के विधानसभा चुनाव में बेमेतरा विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था. जहां कांग्रेस प्रत्याशी आशीष छाबड़ा को 74914 मत मिले. वहीं बीजेपी के प्रत्याशी अवधेश सिंह चंदेल को 49784 मत मिले. जनता कांग्रेस जोगी के प्रत्याशी योगेश तिवारी को 28332 मत मिले थे.इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी आशीष छाबड़ा ने अपने निकटतम प्रत्याशी अवधेश सिंह चंदेल को 25 हजार मतों से मात दी थी. 2018 के विधानसभा चुनाव में बेमेतरा विधानसभा क्षेत्र में कुल 43 प्रतिशत वोट पड़े थे. बेमेतरा विधानसभा सीट दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. इस संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के विजय बघेल सांसद हैं. उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर को 3 लाख 91 हजार मतों से हराया था.
क्या हैं बेमेतरा के मुद्दे : बेमेतरा जिला निर्माण पूर्ण होने के वर्षों बाद भी बेमेतरा जिला में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. एक ओर बेमेतरा शहर में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण नगर प्यासा नजर आता है. स्वच्छ जल प्रदाय योजना, नल जल योजना कहीं नजर नहीं आती है. लोगों को खारे पानी से निजात नहीं मिल पा रहा है. लोगों को फिल्टर वाले पानी के लिए घंटों कतार लगाकर खड़ा रहना पड़ता है. शिक्षा के क्षेत्र में भी बेमेतरा महाविद्यालय में कई विषय के टीचर नहीं होने से छात्र-छात्राओं को दुर्ग के महाविद्यालय जाना पड़ता है. क्षेत्र में इंजीनियरिंग कॉलेज की मांग उठती रही है. कृषि प्रधान जिला होने के बावजूद बेमेतरा जिला में अब तक कोई कृषि आधारित उद्योग नहीं खुला है. जिससे किसानों में नाराजगी है. जिलेवासियों को गन्ना उद्योग की दरकार है.