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धान के लिए काल बना ब्लास्ट खैरा रोग, किसानों को सता रही फसल की चिंता

लोलेसरा इलाके के में इन दिनों धान की फसलें ब्लास्ट खैरा रोग के चपेट में आ रही हैं, जिससे किसान फसल की खराबी को लेकर खासा परेशान नजर आ रहे हैं.

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Published : Sep 19, 2019, 5:41 PM IST

Updated : Sep 19, 2019, 7:26 PM IST

ब्लास्ट खैरा रोग धान की फसल को कर रहा बर्बाद

बेमेतरा: जिले के किसानों को अब धान की फसल में ब्लास्ट खैरा और रोग शीत ब्लाइड का प्रकोप सता रहा हैं, जिससे किसान चिंतित नजर आ रहे हैं. वहीं अर्ली वेराइटी की धान की फसल में बालियां समय से पहले निकल रही हैं, जिससे किसानों में उत्पादन प्रभावित होने का डर बना हुआ है.

धान के लिए काल बना ब्लास्ट खैरा रोग

बता दें कि लोलेसरा, बैजी, अंधियारखोर और नवागढ़ क्षेत्र में धान की फसलों में ब्लास्ट रोग का प्रकोप शुरू हो गया है, जो एक हवा से प्रवाहित होने वाला फफूंदी रोग है. ये बीमारी फसलों को तेजी से कमजोर करता है, जिससे पौधे लाल-पीला दिखाई देने लगते हैं. इससे बचने के लिए किसान कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं, जिससे फसल को बर्बाद होने से बचा सकें.

पढ़ें : रसायनिक खाद की वजह से धान की फसल हो रही बर्बाद, लग रहे हैं कीड़े

बीमारी आने के बाद किसान परेशान
किसान पंकज सप्रे ने बताया कि 5 एकड़ के फसल में सरना धान की फसल है, जिसमें ब्लास्ट का प्रकोप है. 2 बार दवा छिड़काव के बाद भी राहत नहीं है. यह बीमारी धीरे-धीरे खेतों मे फैल कर धान को खराब कर रहा है.

फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव जरूरी
कृषि SDO एस सोलंकी ने बताया कि 'धान के फसल में कांशा के स्टेज में यह बीमारी आती है, इसके इलाज के लिए फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव जरूरी है. किसान ट्रेसक्लोजोल, हेकजाकोनाजोले दवाई का स्प्रे करें'. उन्होंने बताया कि 'इस बीमारी का प्रकोप फसल में दूध भराई के समय बढ़ जाता है, जो फंगी रोग है. वायु संक्रमण इनके संचारक है. यह रोग कमजोर फसल को जल्दी निशाना बनाता है और धीरे-धीरे पूरे खेत पूरे इलाके में फैल जाता है'.

बेमेतरा: जिले के किसानों को अब धान की फसल में ब्लास्ट खैरा और रोग शीत ब्लाइड का प्रकोप सता रहा हैं, जिससे किसान चिंतित नजर आ रहे हैं. वहीं अर्ली वेराइटी की धान की फसल में बालियां समय से पहले निकल रही हैं, जिससे किसानों में उत्पादन प्रभावित होने का डर बना हुआ है.

धान के लिए काल बना ब्लास्ट खैरा रोग

बता दें कि लोलेसरा, बैजी, अंधियारखोर और नवागढ़ क्षेत्र में धान की फसलों में ब्लास्ट रोग का प्रकोप शुरू हो गया है, जो एक हवा से प्रवाहित होने वाला फफूंदी रोग है. ये बीमारी फसलों को तेजी से कमजोर करता है, जिससे पौधे लाल-पीला दिखाई देने लगते हैं. इससे बचने के लिए किसान कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं, जिससे फसल को बर्बाद होने से बचा सकें.

पढ़ें : रसायनिक खाद की वजह से धान की फसल हो रही बर्बाद, लग रहे हैं कीड़े

बीमारी आने के बाद किसान परेशान
किसान पंकज सप्रे ने बताया कि 5 एकड़ के फसल में सरना धान की फसल है, जिसमें ब्लास्ट का प्रकोप है. 2 बार दवा छिड़काव के बाद भी राहत नहीं है. यह बीमारी धीरे-धीरे खेतों मे फैल कर धान को खराब कर रहा है.

फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव जरूरी
कृषि SDO एस सोलंकी ने बताया कि 'धान के फसल में कांशा के स्टेज में यह बीमारी आती है, इसके इलाज के लिए फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव जरूरी है. किसान ट्रेसक्लोजोल, हेकजाकोनाजोले दवाई का स्प्रे करें'. उन्होंने बताया कि 'इस बीमारी का प्रकोप फसल में दूध भराई के समय बढ़ जाता है, जो फंगी रोग है. वायु संक्रमण इनके संचारक है. यह रोग कमजोर फसल को जल्दी निशाना बनाता है और धीरे-धीरे पूरे खेत पूरे इलाके में फैल जाता है'.

Intro:एंकर- जिले के किसानों को अब धान की फसल में ब्लास्ट खैरा रोग शीत ब्लाइड का प्रकोप सता रहा हैं जिससे किसान चिंतित नज़र आ रहे है वही अर्ली वेराइटी की धान की फसल में बालियां समय पूर्व निकल रही है जिससे उत्पादन प्रभावित होने का डर बना है।Body:बता के की जिले के लोलेसरा बैजी अँधियारखोर नवागढ़ क्षेत्र में धान की फसलो में ब्लास्ट का प्रकोप शुरू हो गया है जो एक हवा से प्रवाहित होने वाला फफूंदी रोग है इससे फसलो को तेजी से कमजोर हो जाती है और पौधे लाल-पीला दिखाई देने लगता है अभी अंचल के किसान इस रोग से चिंचित है और खेतों में फफूंद नाशक एवम कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर रहे है। दूसरी तरफ अर्ली वेराइटी की हाइब्रिड बीज से किसान परेशान है जिसमे बोवाई के 60 दिन बाद ही बालियां निकल आयी है जिसके अच्छे उत्पादन को लेकर किसान चिंतित है।Conclusion:किसान पंकज सप्रे ने बताया कि 5 एकड़ के फसल में सरना धान की फसल है जिसमे ब्लास्ट का प्रकोप है 2 बार दवा छोडकाव के बाद भी राहत नही है यह बीमाड़ी धीरे धीरे पीरे खेत मे फैल कर धान को खराब कर देती है। कृषि एसडीओ एस सोलंकी ने बताया कि धान के फसल में कांशा के स्टेज में यह बीमारी आती है इसके उपचार के लिये फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव जरूरी है किसान ट्रेसक्लोजोल हेकज़ाकोनाज़ोले दवाई का स्प्रे करे।

ये है लक्षण-धान की फसल में कंशे के समय दूध भराई के अवस्था मे ब्लास्ट बीमारी का प्रकोप बढ़ता है जो फंगी रोग है वायु संक्रमण इनके संचारक है। यह रोग कमजोर फसल को जल्दी निशाना बनाता है और धीरे धीरे पूरे खेत पूरे इलाके में फैल जाता है
बाईट-पंकज सप्रे किसान
बाईट-एस सोलंकी एसडीओ कृषि विभाग
Last Updated : Sep 19, 2019, 7:26 PM IST
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