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परिंदों ने पुल पर बनाए ऐसे 'अशियाने' कि देखने वाला देखता रह जाए

बेमेतरा में पक्षी कुछ ऐसी कलाकारी कर रहे हैं, जो इंसानों को भी सोचने पर मजबूर भी कर रही है. नवागढ़ मार्ग पर पड़कीडीह-अंधियारखोर के बीच एक जर्जर पुल पर करीब साल से परिंदे खूबसूरत आशियाने बना रहे हैं.

पुल पर चिड़ियाओं ने बनाया घोसला
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Published : Mar 29, 2019, 10:02 PM IST

बेमेतरा: जब से घर के चौबारे और बाग-बगीचे से पेड़-पौधे गायब हो रहे हैं. पक्षियों के वजूद पर खतरा मंडराने लगा है. लेकिन जैसे-तैसे वे बदलते हालातों के साथ अपना अस्तित्व बचा रहे हैं. बेमेतरा में पक्षी कुछ ऐसी कलाकारी कर रहे हैं, जो इंसानों को भी सोचने पर मजबूर भी कर रही है. नवागढ़ मार्ग पर पड़कीडीह-अंधियारखोर के बीच एक जर्जर पुल पर करीब साल से परिंदे खूबसूरत आशियाने बना रहे हैं.

करीब 50 वर्षों से जर्जर पुल के नीचे परिंदे अपना आशियाना बना कर रह रहे हैं. इन परिंदों की खासियत है कि, यह पुल के नीचे से कछार मिट्टी से इतना सुंदर और मजबूत घोंसला बनाते हैं जो आसानी से नहीं टूटता है. शाम के समय जब हजारों की संख्या में पुल के आस-पास मंडराते इन परिंदों की टोली जब आसमान में करतब दिखाती है, तो लोग टकटकी लगाए इनके आसमानी करतब को देखते ही रह जाते हैं.

पुल पर चिड़ियाओं ने बनाया घोसला

गांव के लोग बताते हैं यह परिंदे पुल के निर्माण के समय से ही अपना बसेरा जमाए हुए हैं. नीचे में पानी और मिट्टी की सुलभता से इनका स्थान भी सुरक्षित है. ग्रामीण इनकी सुरक्षा के लिए शिकारियों को आस-पास जाने नहीं देते और न ही गांव में ऐसे शिकारियों के रात गुजारने देते हैं. ग्रामीणों की पहल से लगभग विलुप्त हो चुकी इस दुर्लभ प्रजाति के परिंदे आज इस गांव की शान बने हैं.

बेमेतरा: जब से घर के चौबारे और बाग-बगीचे से पेड़-पौधे गायब हो रहे हैं. पक्षियों के वजूद पर खतरा मंडराने लगा है. लेकिन जैसे-तैसे वे बदलते हालातों के साथ अपना अस्तित्व बचा रहे हैं. बेमेतरा में पक्षी कुछ ऐसी कलाकारी कर रहे हैं, जो इंसानों को भी सोचने पर मजबूर भी कर रही है. नवागढ़ मार्ग पर पड़कीडीह-अंधियारखोर के बीच एक जर्जर पुल पर करीब साल से परिंदे खूबसूरत आशियाने बना रहे हैं.

करीब 50 वर्षों से जर्जर पुल के नीचे परिंदे अपना आशियाना बना कर रह रहे हैं. इन परिंदों की खासियत है कि, यह पुल के नीचे से कछार मिट्टी से इतना सुंदर और मजबूत घोंसला बनाते हैं जो आसानी से नहीं टूटता है. शाम के समय जब हजारों की संख्या में पुल के आस-पास मंडराते इन परिंदों की टोली जब आसमान में करतब दिखाती है, तो लोग टकटकी लगाए इनके आसमानी करतब को देखते ही रह जाते हैं.

पुल पर चिड़ियाओं ने बनाया घोसला

गांव के लोग बताते हैं यह परिंदे पुल के निर्माण के समय से ही अपना बसेरा जमाए हुए हैं. नीचे में पानी और मिट्टी की सुलभता से इनका स्थान भी सुरक्षित है. ग्रामीण इनकी सुरक्षा के लिए शिकारियों को आस-पास जाने नहीं देते और न ही गांव में ऐसे शिकारियों के रात गुजारने देते हैं. ग्रामीणों की पहल से लगभग विलुप्त हो चुकी इस दुर्लभ प्रजाति के परिंदे आज इस गांव की शान बने हैं.

Intro:पुल पर मिट्टी के आशियाना बना परिंदे वर्षों से कर रहे बसेरा
शाम को हजारों की संख्या में परिंदे दिखाते हैं आसमानी करतब
यहां परिंदो के चहचाहने से सुहानी हो जाती है शाम

बेमेतरा 29 मार्च

बेमेतरा नवागढ़ मार्ग पर पड़कीडीह- अंधियारखोर के जर्जर पुल मे लगभग 50 वर्षों से परिंदे आशियाना बना कर बसेरा कर रहे हैं इन परिंदों की खासियत है कि यह पुल के नीचे से कछार मिट्टी लाकर खुद से इतनी अच्छी और मजबूत घोंसला बनाए है जो बेजोड़ बेहद मजबूत है। इनके चहचहाने से हर शाम सुहानी हो जाती है।

नवागढ़ बेमेतरा की ब्लॉक सीमा को जोड़ने वाली पुल पर शाम के समय जब हजारों की संख्या में पुल के निकट मंडराते इन परिंदों की टोली आसमान में करतब दिखाती है तब लोग टकटकी लगाए इनके आसमानी करतब देखते ही रहते है। एक नजर देखने से ही मन को अपार शांति और सुकून मिलता है छोटे-छोटे यह परिंदे आसमान में लड़ाकू विमान की रफ्तार से करतब दिखाते हैं वाकई ये पल बेहद ख़ास होता है।

गांव के बुजुर्ग शरद मिश्रा पंचम सिंह ठाकुर गणपत सिंह ठाकुर ने बताया कि यह परिंदे पुल के निर्माण के समय से ही अपना बसेरा जमाए हुए हैं नीचे में जल एवम मिट्टी की सुलभता से इनका स्थान सुरक्षित है । परिंदों की आशियाना बनाने की कलाकारी किसी मकान बनाने वाले कलाकार से कम नहीं है गांव के बुजुर्गों ने बताया कि पत्थर से मारने पर भी इन का घोंसला नहीं टूट सकता गांव में किसी भी प्रकार के पक्षी के शिकारियों को शरण नहीं दी जाती इसलिए विलुप्त हो चुकी इस दुर्लभ प्रजाति के परिंदे आज भी हमारे गांव की शान बढ़ा रहे हैं।


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