बेमेतरा: वन विहीन बेमेतरा जिला को हरियर बनाने के लिए बीते 10 साल में वन विभाग और मनरेगा मद से करोड़ों रुपये जारी किए गए, लेकिन आजतक जिला हरियर नहीं हो पाया है. नर्सरी में पौधे तो रोपे गए, लेकिन देखरेख के अभाव में नर्सरी बदहाल हो गई है और वहां लगाये गए सभी पौधे सूख गए हैं.
जिले के धनगांव, ढोलिया, लोलेसरा, बैजी, जेवरा, मक्खनपुर, चारभाठा गांव में नर्सरी में पौधे तो रोपे गए, लेकिन आज साभी नर्सरी बंजर पड़ी है. ग्राम धनगांव में वन विभाग के द्वारा 68 लाख रुपये की लागत से बनाई गई हाईटेक नर्सरी बदहाली के आंसू बहा रही है. नर्सरी बंजर हो चुकी है. यह नर्सरी पडकीडीह और धनगांव के बीचों-बीच 10 एकड़ में फैली है, जो सरकारी फंड के अभाव में बर्बाद हो गई है. नर्सरी से आज तक न वन विभाग को फायदा हुआ और न ही इलाके के लोगों को कोई रोजगार मिला है, जिससे ग्रामीणों में भी खासी नाराजगी है. वहीं गांव में ही 8 लाख रुपये की लागत से लावातरा सड़क मार्ग पर मनरेगा मद से नर्सरी में पौधे रोपे गए जो पानी छिड़काव के अभाव में बंजर हो गए.
सिंचाई के अभाव में सूखे हजारों पेड़
मजदूरी राशि नहीं मिलने से मजदूरों ने काम छोड़ दिया. अब काम छोड़ने के बाद पानी के अभाव में नर्सरी में 'साल' और 'सैगोना' सहित कई अन्य हजारों पेड़ सूख कर मर गए हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. जिले में ढोलिया और धनगांव में बीते वर्ष आगजनी हो जाने के कारण भी कई पेड़ नष्ट हो गए थे, लेकिन नर्सरी में दोबारा किसी ने पौधा नहीं लगाया. जिससे सरकार की इस योजना का धरातल पर कोई लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है.
संत ने गौचर भूमि के लिए सरकार से लगाई गुहार
क्षेत्र के संरक्षक राजीव लोचन दास ने कहा कि करोड़ों खर्च कर बनाई गई नर्सरी आज देखरेख के अभाव में बंजर होते जा रही है. अब सरकार की नर्सरी के बाउंड्री को खोल कर इन्हें गौ माता के लिए छोड़ दे, जिससे लोग गाय चरा सकें.
कलेक्टर डीएफओ से लेंगे जानकारी
करोड़ों की लागत से बनी नर्सरी को अगर वन विभाग अच्छे से विकसित करे, तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा. साथ ही नर्सरी से वन विभाग को लाखों की आमदनी भी होगी, लेकिन वन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. वहीं मामले में कलेक्टर शिव अनंत तायल ने कहा कि वन विभाग के डीएफओ से चर्चा कर नर्सरी के बारे में जानकारी ली जाएगी.