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इंद्रावती टाइगर रिजर्व में विलुप्त प्रजाति गिद्ध के वंश वृद्धि पर काम जारी

extinct species of vulture भारत देश में गिद्धों की आबादी विलुप्त होने के कगार पर है. ऐसे में बस्तर के केवल इंद्रावती टाइगर रिजर्व में ही गिद्ध बचे हुए हैं. इनकी वंश वृद्धि को लेकर विभाग 2 साल का पायलट प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है. इसके तहत पहले चरण में विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. उसके बाद दूसरे चरण में इनके संवर्धन पर काम किया जाएगा.

विलुप्त प्रजाति गिद्ध के वंश वृद्धि पर काम जारी
विलुप्त प्रजाति गिद्ध के वंश वृद्धि पर काम जारी
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Published : Nov 24, 2022, 8:20 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: बस्तर ने अपनी कला, संस्कृति, वेशभूषा व घने जंगलों की वजह से पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई है. बस्तर में तरह तरह के जीव जंतु भी पाए जाते हैं. बस्तर संभाग के इन जंगलों में दो नेशनल पार्क भी मौजूद हैं, जिनमें एक कांगेर वैली नेशनल पार्क है. दक्षिण बस्तर बीजापुर में इंद्रावती टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क भी मौजूद है. इन दोनों पार्कों में तरह तरह के जीव जंतु (Work on breeding of extinct species of vulture) पाए जाते हैं. साथ ही इन नेशनल पार्कों में जीवों का संवर्धन और संरक्षण भी किया जाता है. इन पार्कों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है. extinct species of vulture

विलुप्त प्रजाति गिद्ध के वंश वृद्धि पर काम जारी
गिद्धों की वंश वृद्धि को लेकर पायलट प्रोजेक्ट पर काम जारी: भारत देश में गिद्धों की आबादी विलुप्त होने के कगार पर है. ऐसे में बस्तर के केवल इंद्रावती टाइगर रिजर्व में ही गिद्ध बचे हुए हैं. मुख्य रूप से इनकी आबादी कृष्णा गुड्डा की पहाड़ियों पर ही नजर आती है. इनकी वंश वृद्धि को लेकर 2 साल का पायलट प्रोजेक्ट विभाग तैयार (breeding of extinct species of vulture in Bastar) कर रहा है. इसके तहत पहले चरण में विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. उसके बाद दूसरे चरण में इनके संवर्धन पर काम किया जाएगा.

यह भी पढ़ें: सवा 2 लाख दीये से जगमगा उठा जगदलपुर शहर का ऐतिहासिक धरोहर दलपत सागर

पर्यावरण संतुलन में गिद्धों की अहम भूमिका: पर्यावरण संतुलन के लिए गिद्धों की सबसे अहम भूमिका होती है. इसके बावजूद खेतों के इर्द-गिर्द घूमने वाले मवेशियों पर कीटनाशक डालकर इन दिनों गिद्धों की आबादी को बड़ा नुकसान पहुंचाया गया है. आबादी के नजदीक आमतौर पर गिद्ध अब दिखाई नहीं देते. पूरे बस्तर संभाग में अब सिर्फ बीजापुर जिले के इंद्रावती टाइगर रिजर्व में गिद्ध की आबादी मौजूद (vulture in Bastar Indravati Tiger Reserve) है. इसलिए इसके संरक्षण के लिए 2 साल का प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है.

बस्तर संभाग में विलुप्त हो रहे जीव जंतु मौजूद: इससे पहले भी बस्तर संभाग के अलग अलग जिलों में विलुप्ततता की कगार पर मौजूद जीव जंतुओं को देखा गया है. कुछ महीने पहले ही दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला पहाड़ियों में दुनिया के सबसे छोटे प्रजाति का मूसक हिरण घायल अवस्था में वन विभाग को मिला था. जिसके बाद वन विभाग ने घायल हिरण का उपचार कर उसे वापस जंगल में छोड़ा था. वहीं दूसरी ओर कुछ महीने पहले बस्तर जिले में भी पैंगोलिन की तस्करी करते तस्करों को गिरफ्तार किया गया. पैंगोलिन की संख्या बेहद ही कम हो गई है. यही कारण है कि लगातार विभाग इन विलुप्ती के कगार पर जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य कर रही है.

बस्तर: बस्तर ने अपनी कला, संस्कृति, वेशभूषा व घने जंगलों की वजह से पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई है. बस्तर में तरह तरह के जीव जंतु भी पाए जाते हैं. बस्तर संभाग के इन जंगलों में दो नेशनल पार्क भी मौजूद हैं, जिनमें एक कांगेर वैली नेशनल पार्क है. दक्षिण बस्तर बीजापुर में इंद्रावती टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क भी मौजूद है. इन दोनों पार्कों में तरह तरह के जीव जंतु (Work on breeding of extinct species of vulture) पाए जाते हैं. साथ ही इन नेशनल पार्कों में जीवों का संवर्धन और संरक्षण भी किया जाता है. इन पार्कों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है. extinct species of vulture

विलुप्त प्रजाति गिद्ध के वंश वृद्धि पर काम जारी
गिद्धों की वंश वृद्धि को लेकर पायलट प्रोजेक्ट पर काम जारी: भारत देश में गिद्धों की आबादी विलुप्त होने के कगार पर है. ऐसे में बस्तर के केवल इंद्रावती टाइगर रिजर्व में ही गिद्ध बचे हुए हैं. मुख्य रूप से इनकी आबादी कृष्णा गुड्डा की पहाड़ियों पर ही नजर आती है. इनकी वंश वृद्धि को लेकर 2 साल का पायलट प्रोजेक्ट विभाग तैयार (breeding of extinct species of vulture in Bastar) कर रहा है. इसके तहत पहले चरण में विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. उसके बाद दूसरे चरण में इनके संवर्धन पर काम किया जाएगा.

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पर्यावरण संतुलन में गिद्धों की अहम भूमिका: पर्यावरण संतुलन के लिए गिद्धों की सबसे अहम भूमिका होती है. इसके बावजूद खेतों के इर्द-गिर्द घूमने वाले मवेशियों पर कीटनाशक डालकर इन दिनों गिद्धों की आबादी को बड़ा नुकसान पहुंचाया गया है. आबादी के नजदीक आमतौर पर गिद्ध अब दिखाई नहीं देते. पूरे बस्तर संभाग में अब सिर्फ बीजापुर जिले के इंद्रावती टाइगर रिजर्व में गिद्ध की आबादी मौजूद (vulture in Bastar Indravati Tiger Reserve) है. इसलिए इसके संरक्षण के लिए 2 साल का प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है.

बस्तर संभाग में विलुप्त हो रहे जीव जंतु मौजूद: इससे पहले भी बस्तर संभाग के अलग अलग जिलों में विलुप्ततता की कगार पर मौजूद जीव जंतुओं को देखा गया है. कुछ महीने पहले ही दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला पहाड़ियों में दुनिया के सबसे छोटे प्रजाति का मूसक हिरण घायल अवस्था में वन विभाग को मिला था. जिसके बाद वन विभाग ने घायल हिरण का उपचार कर उसे वापस जंगल में छोड़ा था. वहीं दूसरी ओर कुछ महीने पहले बस्तर जिले में भी पैंगोलिन की तस्करी करते तस्करों को गिरफ्तार किया गया. पैंगोलिन की संख्या बेहद ही कम हो गई है. यही कारण है कि लगातार विभाग इन विलुप्ती के कगार पर जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य कर रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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