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SPECIAL: बस्तर झेल रहा बेरोजगारी का दंश, अपनी जमीन और घर छोड़ने को मजबूर युवा

बस्तर में बेरोजगार युवाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. शासन-प्रशासन की ओर से युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने अब तक कोई खास पहल नहीं की गई है. जिसकी वजह से बस्तर के शहरी और ग्रामीण अंचल के युवा पलायन करने को मजबूर हो रहें हैं.

unemployment problem in bastar
बस्तर झेल रहा बेरोजगारी का दंश
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Published : Nov 25, 2020, 10:18 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर में नक्सलवाद के साथ-साथ बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. हर साल लगातार बस्तर में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, आलम यह है कि पिछले 2 साल में अब तक सिर्फ 3 हजार बेरोजगारों में से 741 लोगों को रोजगार उपलब्ध हो पाया है. बाकी अन्य बेरोजगार युवा आज भी रोजगार पाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. संविदा में नौकरी लगने की आस तो दूर सरकार इन बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता भी मुहैया नहीं करा पा रही है, जिससे युवाओं में चिंता का विषय बना हुआ है. शासन की ओर से प्लेसमेंट और कॉउंसिल नहीं कराए जाने से युवाओं को अपनी भविष्य की चिंता सताने लगी है.

बस्तर में बेरोजगारी की समस्या

बेरोजगारी के वजह से बस्तर में पलायन भी बड़ी समस्या बनती जा रही है. रोजगार की तलाश में खासकर ग्रामीण अंचलों के युवा शिक्षित होने के बावजूद भी दूसरे राज्यों में मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं. रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराने के बावजूद भी राज्य सरकार और जिला प्रशासन के विभागों में संविदा नौकरी मुहैया नहीं करा पा रही है. जिससे ग्रामीण अंचलों के युवाओं में सरकार के खिलाफ काफी निराशा है.

पलायन को मजबूर बस्तर के युवा

रोजगार न मिलता देख अब पढ़े-लिखे युवा भी अपना गांव और घर छोड़कर दूसरे राज्य जाने को मजबूर हैं. पिछले 3 साल की बात की जाए तो बस्तर संभाग के खासकर ग्रामीण अंचलों के रहने वाले करीब 5 हजार से ज्यादा युवाओं ने पलायन किया है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बस्तर में बेरोजगारी ने युवाओं के सपनों पर किस कदर चोट की है.

पढ़ें-SPECIAL: प्रवासी मजदूरों का दर्द, 15 हजार में सिर्फ 15 सौ को मिला काम, पलायन शुरू

सरकार ने नहीं उठाया कोई ठोस कदम

छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद ग्रामीण और शहरी अंचल के युवाओं में रोजगार की एक उम्मीद जगी थी. युवाओं को आस थी कि राज्य सरकार बस्तर में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों पर संविदा और रेगुलर भर्ती निकालेगी. उद्योग के माध्यम से उन्हें रोजगार उपलब्ध हो सकेंगे, सरकार बने 2 साल बीतने को है लेकिन अब तक सरकार ने इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

unemployment problem in bastar
बेरोजगारी की मार

रोजगार कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार-

  • बस्तर जिले के रोजगार कार्यालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक कुल 2858 शिक्षित युवाओं ने पंजीयन कराया है. इनमें से केवल 741 पंजीकृत युवाओं को प्लेसमेंट और शासकीय विभागों में नौकरी मिल पाई है. अभी भी प्लेसमेंट और बस्तर के सभी शासकीय विभागों में 3662 पद खाली है.
  • इसके अलावा अब तक अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक कुल सिर्फ 40 नियोजकों के द्वारा प्लेसमेंट और रोजगार मेला लगाया गया है. हालांकि देश में फैली कोरोना महामारी की वजह से मार्च से लेकर सितंबर तक रोजगार कार्यालय को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था.

युवाओं का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस, दोनों सरकारों ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लोक लुभावने सपने तो दिखाएं, लेकिन न हीं किसी शासकीय विभाग में रिक्त पड़े पदों पर भर्ती प्रक्रिया निकाली जा रही है और ना ही नियोजकों द्वारा रोजगार मेला का आयोजन किया जा रहा है.

पढ़ें-हम मजबूर: गोद में बच्चा और पैरों में घाव लिए फिर से घर छोड़कर निकले मजदूर

कुछ युवाओं का कहना है कि अब बस्तर के नगरनार में निर्माणाधीन NMDC स्टील प्लांट के निजीकरण किए जाने से बस्तर के स्थानीय युवा बेरोजगारों की भी उम्मीद पूरी तरह से टूट गई है. निजीकरण से स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाएगा. ऐसे में उनका भविष्य खतरे में है.

बीजेपी का कांग्रेस सरकार पर निशाना

बस्तर भाजपा के युवा नेता अविनाश श्रीवास्तव ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. उनका कहना है कि, बेरोजगारी को लेकर राज्य सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं. मुख्यमंत्री से लेकर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने हाथ में गंगाजल लेकर बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की कसमें तो खायी लेकिन आज भी बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सरकार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में नाकामयाब साबित हो रही है.

पढ़ें-क्या हुआ तेरा वादा? वो गंगाजल वाली कसम, वो नवा छत्तीसगढ़ का इरादा?: रमन सिंह

योग्यता के अनुसार दी जाएगी नौकरी

इस विषय में बस्तर कलेक्टर ने कहा कि शासन द्वारा समय-समय पर प्लेसमेंट का आयोजन किया जा रहा है. हालांकि, कोरोना की वजह से इस बार प्लेसमेंट काफी कम हुए हैं, लेकिन आने वाले समय में शासकीय विभागों में रिक्त पड़े पदों पर जल्द से जल्द भर्ती की जाएगी. इसके अलावा आगामी समय में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित बस्तर में छोटे-छोटे उद्योग लगाकर बस्तर के ही बेरोजगार युवाओं को योग्यता के अनुसार नौकरी दी जाएगी, इसके लिए जिला प्रशासन तैयारी में जुटी हुई है.

चयन बोर्ड के गठन का काम भी अटका

बता दें कि शासन बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कनिष्ठ चयन बोर्ड का भी गठन करने की बात कह रही है. ताकि बस्तर के बेरोजगार युवाओं को चयन बोर्ड के माध्यम से रोजगार उपलब्ध हो सके. लेकिन पिछले 2 साल से चल रहे इस बोर्ड के गठन की कार्रवाई अभी भी रूकी हुई है. लिहाजा, बस्तर में शहरी और ग्रामीण अंचल के युवा रोजगार नहीं मिलने के कारण पलायन करने को मजबूर हैं.

जगदलपुर: बस्तर में नक्सलवाद के साथ-साथ बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. हर साल लगातार बस्तर में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, आलम यह है कि पिछले 2 साल में अब तक सिर्फ 3 हजार बेरोजगारों में से 741 लोगों को रोजगार उपलब्ध हो पाया है. बाकी अन्य बेरोजगार युवा आज भी रोजगार पाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. संविदा में नौकरी लगने की आस तो दूर सरकार इन बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता भी मुहैया नहीं करा पा रही है, जिससे युवाओं में चिंता का विषय बना हुआ है. शासन की ओर से प्लेसमेंट और कॉउंसिल नहीं कराए जाने से युवाओं को अपनी भविष्य की चिंता सताने लगी है.

बस्तर में बेरोजगारी की समस्या

बेरोजगारी के वजह से बस्तर में पलायन भी बड़ी समस्या बनती जा रही है. रोजगार की तलाश में खासकर ग्रामीण अंचलों के युवा शिक्षित होने के बावजूद भी दूसरे राज्यों में मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं. रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराने के बावजूद भी राज्य सरकार और जिला प्रशासन के विभागों में संविदा नौकरी मुहैया नहीं करा पा रही है. जिससे ग्रामीण अंचलों के युवाओं में सरकार के खिलाफ काफी निराशा है.

पलायन को मजबूर बस्तर के युवा

रोजगार न मिलता देख अब पढ़े-लिखे युवा भी अपना गांव और घर छोड़कर दूसरे राज्य जाने को मजबूर हैं. पिछले 3 साल की बात की जाए तो बस्तर संभाग के खासकर ग्रामीण अंचलों के रहने वाले करीब 5 हजार से ज्यादा युवाओं ने पलायन किया है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बस्तर में बेरोजगारी ने युवाओं के सपनों पर किस कदर चोट की है.

पढ़ें-SPECIAL: प्रवासी मजदूरों का दर्द, 15 हजार में सिर्फ 15 सौ को मिला काम, पलायन शुरू

सरकार ने नहीं उठाया कोई ठोस कदम

छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद ग्रामीण और शहरी अंचल के युवाओं में रोजगार की एक उम्मीद जगी थी. युवाओं को आस थी कि राज्य सरकार बस्तर में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों पर संविदा और रेगुलर भर्ती निकालेगी. उद्योग के माध्यम से उन्हें रोजगार उपलब्ध हो सकेंगे, सरकार बने 2 साल बीतने को है लेकिन अब तक सरकार ने इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

unemployment problem in bastar
बेरोजगारी की मार

रोजगार कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार-

  • बस्तर जिले के रोजगार कार्यालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक कुल 2858 शिक्षित युवाओं ने पंजीयन कराया है. इनमें से केवल 741 पंजीकृत युवाओं को प्लेसमेंट और शासकीय विभागों में नौकरी मिल पाई है. अभी भी प्लेसमेंट और बस्तर के सभी शासकीय विभागों में 3662 पद खाली है.
  • इसके अलावा अब तक अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक कुल सिर्फ 40 नियोजकों के द्वारा प्लेसमेंट और रोजगार मेला लगाया गया है. हालांकि देश में फैली कोरोना महामारी की वजह से मार्च से लेकर सितंबर तक रोजगार कार्यालय को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था.

युवाओं का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस, दोनों सरकारों ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लोक लुभावने सपने तो दिखाएं, लेकिन न हीं किसी शासकीय विभाग में रिक्त पड़े पदों पर भर्ती प्रक्रिया निकाली जा रही है और ना ही नियोजकों द्वारा रोजगार मेला का आयोजन किया जा रहा है.

पढ़ें-हम मजबूर: गोद में बच्चा और पैरों में घाव लिए फिर से घर छोड़कर निकले मजदूर

कुछ युवाओं का कहना है कि अब बस्तर के नगरनार में निर्माणाधीन NMDC स्टील प्लांट के निजीकरण किए जाने से बस्तर के स्थानीय युवा बेरोजगारों की भी उम्मीद पूरी तरह से टूट गई है. निजीकरण से स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाएगा. ऐसे में उनका भविष्य खतरे में है.

बीजेपी का कांग्रेस सरकार पर निशाना

बस्तर भाजपा के युवा नेता अविनाश श्रीवास्तव ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. उनका कहना है कि, बेरोजगारी को लेकर राज्य सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं. मुख्यमंत्री से लेकर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने हाथ में गंगाजल लेकर बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की कसमें तो खायी लेकिन आज भी बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सरकार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में नाकामयाब साबित हो रही है.

पढ़ें-क्या हुआ तेरा वादा? वो गंगाजल वाली कसम, वो नवा छत्तीसगढ़ का इरादा?: रमन सिंह

योग्यता के अनुसार दी जाएगी नौकरी

इस विषय में बस्तर कलेक्टर ने कहा कि शासन द्वारा समय-समय पर प्लेसमेंट का आयोजन किया जा रहा है. हालांकि, कोरोना की वजह से इस बार प्लेसमेंट काफी कम हुए हैं, लेकिन आने वाले समय में शासकीय विभागों में रिक्त पड़े पदों पर जल्द से जल्द भर्ती की जाएगी. इसके अलावा आगामी समय में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित बस्तर में छोटे-छोटे उद्योग लगाकर बस्तर के ही बेरोजगार युवाओं को योग्यता के अनुसार नौकरी दी जाएगी, इसके लिए जिला प्रशासन तैयारी में जुटी हुई है.

चयन बोर्ड के गठन का काम भी अटका

बता दें कि शासन बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कनिष्ठ चयन बोर्ड का भी गठन करने की बात कह रही है. ताकि बस्तर के बेरोजगार युवाओं को चयन बोर्ड के माध्यम से रोजगार उपलब्ध हो सके. लेकिन पिछले 2 साल से चल रहे इस बोर्ड के गठन की कार्रवाई अभी भी रूकी हुई है. लिहाजा, बस्तर में शहरी और ग्रामीण अंचल के युवा रोजगार नहीं मिलने के कारण पलायन करने को मजबूर हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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