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SPECIAL: NMDC के निजीकरण को लेकर ऐसा क्या मुद्दा है कि ग्रामीण से लेकर सीएम तक खिलाफ हैं ? - बस्तर सांसद दीपक बैज

नगरनार में निर्माणाधीन NMDC स्टील प्लांट को डीमर्जर किए जाने के विरोध में मजदूर संगठन प्लांट के सामने धरना प्रदर्शन कर रहा है. लगातार बस्तरवासी इसका विरोध कर रहे हैं. प्रदेश के मुखिया ने भी गृह मंत्री अमित शाह को प्लांट के निजीकरण के विरोध में ज्ञापन सौंपा है.

NMDC Steel Plant
NMDC स्टील प्लांट
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Published : Nov 21, 2020, 4:04 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 17 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. नक्सलवाद, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रोजगार समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा के साथ एक विषय और था जिस पर दोनों के बीच बात हुई थी. ये विषय था एनएमडीसी का निजीकरण. सीएम ने बस्तर के विकास के लिए एनएमडीसी का निजीकरण नहीं करने की बात कही अमित शाह से की थी, जिस पर गृह मंत्री ने विचार करने का आश्वासन दिया है.

केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट बस्तरवासी

नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध में बस्तरवासी एकजुट हो गए हैं. स्टील प्लांट के डिमर्जर को लेकर सभी कागजी कार्यवाही पूरी कर ली गई है. इसकी जानकारी मिलने के बाद अब बस्तरवासी प्लांट के निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं. इस स्टील प्लांट के निजीकरण को लेकर बस्तरवासियों का एक मत है कि इस प्लांट के निजीकरण से उनका हक छिन जाएगा और कर्मचारियों को ठेका पद्धति से काम कराया जाएगा, जिससे उन्हें काफी परेशानियां हो सकती हैं.

Opposition to privatization
निजीकरण का विरोध

पढ़ें- NMDC स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध, बस्तर सांसद ने मजदूर संगठन को दिया समर्थन

  • देश की नवरत्न कंपनी एनएमडीसी ने नगरनार में स्टील प्लांट बनाने के लिए दो चरणों में भूमि अधिग्रहण किया है.
  • 2001 में एनएमडीसी प्रबंधन ने लगभग 303 किसानों के भूमि का अधिग्रहण किया है.
  • 2010 में 1052 किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है.
  • प्रबंधन ने दोनों ही चरण के अधिग्रहण के दौरान सभी प्रभावितों को मुआवजा दिया है.
  • लगभग 1100 लोगों में केवल 800 लोगों को प्लांट में योग्यता के हिसाब से नौकरी दी है.
  • 300 लोग आज भी प्लांट में नौकरी की मांग कर रहे हैं.
    NMDC Steel Plant
    NMDC स्टील प्लांट

एनएमडीसी प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप

गांव के सरपंच लेखन बघेल का कहना है कि प्लांट के निजीकरण के लिए प्रबंधन ने न तो ग्रामसभा से अनुमति लेना जरूरी समझा और न ही ग्रामीणों से किसी तरह की कोई रायशुमारी की है. जबकि आदिवासी क्षेत्र होने की वजह से यहां 5वीं अनुसूची लागू है. प्रबंधन केंद्र सरकार से मिलकर प्लांट को निजीकरण करने पर तुली हुई है. सरपंच और गांव के अन्य ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने अपनी जमीन इसलिए प्लांट लगाने को दी थी ताकि यहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिले और गांव का भी विकास हो सके. लेकिन एनएमडीसी प्रबंधन ने उनके साथ वादाखिलाफी करते हुए निजीकरण के लिए हामी भर दी है. लिहाजा अब निजीकरण से ग्रामीणों और स्थानीय कर्मचारी जो कि प्लांट में काम कर रहे हैं उन्हें भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

300 लोग प्लांट में काम के लिए हैं आंदोलनरत

सरपंच ने कहा कि स्टील प्लांट के लिए नगरनार के प्रभावित लोगों ने अपनी 2400 एकड़ जमीन प्लांट के लिए दी और लगभग 1100 प्रभावितों में से अबतक प्रबंधन ने 800 लोगों को ही नौकरी दी है. जबकि आज भी 300 लोग प्लांट में नौकरी के लिए आंदोलनरत हैं. डीमर्जर के फैसले से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. सरपंच ने कहा कि डिमर्जर से स्थानीय लोगों को काफी नुकसान पहुंचेगा और गांव का विकास भी संभव नहीं है, ऐसे में ग्रामीण इस निजीकरण का पुरजोर विरोध कर रहे हैं और आगामी दिनों में निजीकरण के विरोध में उग्र आंदोलन भी किया जाएगा.

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर कर्मचारी

डिमर्जर के विरोध में ट्रेड यूनियन और ऑल इंडिया कर्मचारी यूनियन भी पिछले 2 महीनों से प्लांट के सामने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. लगभग 2 महीने से इस यूनियन के सभी स्थानीय कर्मचारी आंदोलनरत हैं. कर्मचारियों का कहना है कि किसी भी कीमत पर प्लांट का निजीकरण होने नहीं दिया जाएगा और इसके लिए कर्मचारी संघ लगातार आंदोलन करते रहेगी. इस अनिश्चितकालीन हड़ताल का स्थानीय जनप्रतिनिधि भरपूर सहयोग कर रहे हैं, लेकिन स्टील प्लांट प्रबंधन उनके अनिश्चितकालीन आंदोलन को देखते हुए भी किसी तरह का कोई फैसला नहीं ले रहा है.

मुख्यमंत्री कर रहे निजीकरण का विरोध

जगदलपुर के स्थानीय जनप्रतिनिधि, बस्तर के सभी विधायकों के साथ बस्तर सांसद, खुद उद्योग मंत्री कवासी लखमा और प्रदेश के मुख्यमंत्री भी एनएमडीसी स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री ने देश के गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात कर प्लांट के निजीकरण का विरोध कर ज्ञापन सौंपा. प्रधानमंत्री को भी निजीकरण नहीं किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री ने पत्र लिखा था. बावजूद इसके केंद्र सरकार ने प्लांट का लगभग निजीकरण करने का फैसला ले लिया है.

बस्तर सांसद ने दी आंदोलन की चेतावनी

बस्तर सांसद दीपक बैज का कहना है कि केंद्र सरकार के इस निर्णय के खिलाफ बस्तरवासी और स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ कर्मचारी यूनियन संघ लगातार आंदोलनरत है. जरूरत पड़ने पर प्रभावितों के साथ इस निजीकरण के विरोध में दिल्ली तक कूच भी किया जाएगा. सांसद का कहना है कि बस्तर में पहली बार नवरत्न कंपनी एनएमडीसी ने स्टील प्लांट लगाया है और सरकारी उपक्रम रहने का ग्रामीणों से वादा किया है, लेकिन अब केंद्र सरकार इसे निजी हाथों में सौंपने जा रही है. आगामी दिनों में निजीकरण के विरोध में रेल रोको आंदोलन भी किया जाएगा.

निजीकरण के फायदे बताये सरकार

बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार संजीव पचौरी का कहना है कि डिमर्जर से बस्तरवासियों को थोड़ा बहुत नुकसान तो होगा, लेकिन इसके फायदे भी जरूर मिलेंगे. निजीकरण से न सिर्फ कर्मचारियों के काम का हुनर बढ़ेगा, बल्कि कर्मचारियों के काम करने में तेजी आएगी और प्रोडक्शन की गति में भी तेजी आएगी. यहीं नहीं जितने भी कंपनी का अब तक निजीकरण किया गया है, वहां पर कर्मचारियों को उससे फायदा ही पहुंचा है. केंद्र सरकार को चाहिए कि ग्रामीणों को निजीकरण के लिए अपने भरोसे में लेकर उसके फायदे बताने चाहिए. ऐसे में जो ग्रामीणों में निजीकरण को लेकर होने वाले नुकसान के लिए जो भ्रम व्याप्त है वह दूर हो सकेगा. निजीकरण से उस क्षेत्र का और ग्रामीणों का साथ ही स्थानीय कर्मचारियों का भी विकास हो सकेगा.

जगदलपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 17 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. नक्सलवाद, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रोजगार समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा के साथ एक विषय और था जिस पर दोनों के बीच बात हुई थी. ये विषय था एनएमडीसी का निजीकरण. सीएम ने बस्तर के विकास के लिए एनएमडीसी का निजीकरण नहीं करने की बात कही अमित शाह से की थी, जिस पर गृह मंत्री ने विचार करने का आश्वासन दिया है.

केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट बस्तरवासी

नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध में बस्तरवासी एकजुट हो गए हैं. स्टील प्लांट के डिमर्जर को लेकर सभी कागजी कार्यवाही पूरी कर ली गई है. इसकी जानकारी मिलने के बाद अब बस्तरवासी प्लांट के निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं. इस स्टील प्लांट के निजीकरण को लेकर बस्तरवासियों का एक मत है कि इस प्लांट के निजीकरण से उनका हक छिन जाएगा और कर्मचारियों को ठेका पद्धति से काम कराया जाएगा, जिससे उन्हें काफी परेशानियां हो सकती हैं.

Opposition to privatization
निजीकरण का विरोध

पढ़ें- NMDC स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध, बस्तर सांसद ने मजदूर संगठन को दिया समर्थन

  • देश की नवरत्न कंपनी एनएमडीसी ने नगरनार में स्टील प्लांट बनाने के लिए दो चरणों में भूमि अधिग्रहण किया है.
  • 2001 में एनएमडीसी प्रबंधन ने लगभग 303 किसानों के भूमि का अधिग्रहण किया है.
  • 2010 में 1052 किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है.
  • प्रबंधन ने दोनों ही चरण के अधिग्रहण के दौरान सभी प्रभावितों को मुआवजा दिया है.
  • लगभग 1100 लोगों में केवल 800 लोगों को प्लांट में योग्यता के हिसाब से नौकरी दी है.
  • 300 लोग आज भी प्लांट में नौकरी की मांग कर रहे हैं.
    NMDC Steel Plant
    NMDC स्टील प्लांट

एनएमडीसी प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप

गांव के सरपंच लेखन बघेल का कहना है कि प्लांट के निजीकरण के लिए प्रबंधन ने न तो ग्रामसभा से अनुमति लेना जरूरी समझा और न ही ग्रामीणों से किसी तरह की कोई रायशुमारी की है. जबकि आदिवासी क्षेत्र होने की वजह से यहां 5वीं अनुसूची लागू है. प्रबंधन केंद्र सरकार से मिलकर प्लांट को निजीकरण करने पर तुली हुई है. सरपंच और गांव के अन्य ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने अपनी जमीन इसलिए प्लांट लगाने को दी थी ताकि यहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिले और गांव का भी विकास हो सके. लेकिन एनएमडीसी प्रबंधन ने उनके साथ वादाखिलाफी करते हुए निजीकरण के लिए हामी भर दी है. लिहाजा अब निजीकरण से ग्रामीणों और स्थानीय कर्मचारी जो कि प्लांट में काम कर रहे हैं उन्हें भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

300 लोग प्लांट में काम के लिए हैं आंदोलनरत

सरपंच ने कहा कि स्टील प्लांट के लिए नगरनार के प्रभावित लोगों ने अपनी 2400 एकड़ जमीन प्लांट के लिए दी और लगभग 1100 प्रभावितों में से अबतक प्रबंधन ने 800 लोगों को ही नौकरी दी है. जबकि आज भी 300 लोग प्लांट में नौकरी के लिए आंदोलनरत हैं. डीमर्जर के फैसले से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. सरपंच ने कहा कि डिमर्जर से स्थानीय लोगों को काफी नुकसान पहुंचेगा और गांव का विकास भी संभव नहीं है, ऐसे में ग्रामीण इस निजीकरण का पुरजोर विरोध कर रहे हैं और आगामी दिनों में निजीकरण के विरोध में उग्र आंदोलन भी किया जाएगा.

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर कर्मचारी

डिमर्जर के विरोध में ट्रेड यूनियन और ऑल इंडिया कर्मचारी यूनियन भी पिछले 2 महीनों से प्लांट के सामने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. लगभग 2 महीने से इस यूनियन के सभी स्थानीय कर्मचारी आंदोलनरत हैं. कर्मचारियों का कहना है कि किसी भी कीमत पर प्लांट का निजीकरण होने नहीं दिया जाएगा और इसके लिए कर्मचारी संघ लगातार आंदोलन करते रहेगी. इस अनिश्चितकालीन हड़ताल का स्थानीय जनप्रतिनिधि भरपूर सहयोग कर रहे हैं, लेकिन स्टील प्लांट प्रबंधन उनके अनिश्चितकालीन आंदोलन को देखते हुए भी किसी तरह का कोई फैसला नहीं ले रहा है.

मुख्यमंत्री कर रहे निजीकरण का विरोध

जगदलपुर के स्थानीय जनप्रतिनिधि, बस्तर के सभी विधायकों के साथ बस्तर सांसद, खुद उद्योग मंत्री कवासी लखमा और प्रदेश के मुख्यमंत्री भी एनएमडीसी स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री ने देश के गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात कर प्लांट के निजीकरण का विरोध कर ज्ञापन सौंपा. प्रधानमंत्री को भी निजीकरण नहीं किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री ने पत्र लिखा था. बावजूद इसके केंद्र सरकार ने प्लांट का लगभग निजीकरण करने का फैसला ले लिया है.

बस्तर सांसद ने दी आंदोलन की चेतावनी

बस्तर सांसद दीपक बैज का कहना है कि केंद्र सरकार के इस निर्णय के खिलाफ बस्तरवासी और स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ कर्मचारी यूनियन संघ लगातार आंदोलनरत है. जरूरत पड़ने पर प्रभावितों के साथ इस निजीकरण के विरोध में दिल्ली तक कूच भी किया जाएगा. सांसद का कहना है कि बस्तर में पहली बार नवरत्न कंपनी एनएमडीसी ने स्टील प्लांट लगाया है और सरकारी उपक्रम रहने का ग्रामीणों से वादा किया है, लेकिन अब केंद्र सरकार इसे निजी हाथों में सौंपने जा रही है. आगामी दिनों में निजीकरण के विरोध में रेल रोको आंदोलन भी किया जाएगा.

निजीकरण के फायदे बताये सरकार

बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार संजीव पचौरी का कहना है कि डिमर्जर से बस्तरवासियों को थोड़ा बहुत नुकसान तो होगा, लेकिन इसके फायदे भी जरूर मिलेंगे. निजीकरण से न सिर्फ कर्मचारियों के काम का हुनर बढ़ेगा, बल्कि कर्मचारियों के काम करने में तेजी आएगी और प्रोडक्शन की गति में भी तेजी आएगी. यहीं नहीं जितने भी कंपनी का अब तक निजीकरण किया गया है, वहां पर कर्मचारियों को उससे फायदा ही पहुंचा है. केंद्र सरकार को चाहिए कि ग्रामीणों को निजीकरण के लिए अपने भरोसे में लेकर उसके फायदे बताने चाहिए. ऐसे में जो ग्रामीणों में निजीकरण को लेकर होने वाले नुकसान के लिए जो भ्रम व्याप्त है वह दूर हो सकेगा. निजीकरण से उस क्षेत्र का और ग्रामीणों का साथ ही स्थानीय कर्मचारियों का भी विकास हो सकेगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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