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GPS on Pahari Maina: छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना पर जीपीएस लगाने की तैयारी

GPS on Pahari Maina कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ने छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना की वंशवृद्धि व संवर्धन के लिए प्रयास शुरु किया है. पहाड़ी मैना में जीपीएस टैग लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मैना के टैगिंग के बाद जीपीएस सिस्टम से उसे ट्रैक किया जाएगा. मैना के पीछे एक टीम रहेगी, जो उसे जीपीएस से ट्रैक करेगी और दूर से उसकी एक्टिविटी को नोट करेगी.

Preparation to install GPS on Pahari Maina
पहाड़ी मैना पर जीपीएस लगाने की तैयारी
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Published : Nov 3, 2022, 6:14 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: इंसानों की बोली की हूबहू नकल करने वाली छत्तीसगढ़ राज्य की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना की आवाज एक समय बस्तर में हर जगह गूंजा करती थी. लेकिन अब शहर तो छोड़ो, जंगल में भी मैना की आवाज सुनना काफी मुश्किल हो गया है. जिसको देखते हुए अब कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा पहाड़ी मैना की वंशवृद्धि व संवर्धन के लिए उनकी टैगिंग की प्रक्रिया शुरू (Preparation to install GPS on Pahari Maina) कर दी है. GPS on Pahari Maina

राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना के संवर्धन व वंशवृद्धि के प्रयास जारी
जीपीएस टैग से होगी पहाड़ी मैना की निगरानी: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के डायरेक्टर गणवीर धम्मशील ने बताया कि "विभाग का प्रयास है कि पहाड़ी मैना का संवर्धन व वंशवृद्धि हो. जिसको देखते हुए जंगलों, पहाड़ो में विचरण करने वाली पहाड़ी मैना के पैरों में टैगिंग लगाया जाएगा. यह टैग जीपीएस से लैस होगा. जिसके बाद जिन जिन मैना के पैरों में जीपीएस लगेगा, उन मैना की मॉनिटरिंग विभाग के अधिकारी करेंगे. यह काम नवंबर के पहले हफ्ते से ही शुरू हो जाएगा."

यह भी पढ़ें: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए 52 चीतल


छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना को बचाने की पहल: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ ने इसकी स्पेशल ट्रेनिंग गुजरात से ली है. उन्होंने बताया कि "अभी तक पहाड़ी मैना के संबंध में कोई विशेष जानकारी किसी के पास भी नहीं है. बड़े बड़े एक्सपर्ट भी पहाड़ी मैना को देखकर नहीं बता पाते हैं कि मैना नर है या मादा. ऐसे में इससे पहले पहचान की प्रक्रिया को सरल बनाने और मैना के संबंध में संपूर्ण जानकारी जुटाने अब तक किसी ने कोशिश भी नहीं की थी. जानकारी के अभाव में पहाड़ी मैना की वंश वृद्धि संवर्धन व संरक्षण का काम नहीं हो पा रहा था. ऐसे में पहाड़ी मैना में जीपीएस टैग लगाने का निर्णय लिया गया है. ताकि छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना (Pahari Maina state bird of Chhattisgarh) को विलुप्त होने से बचाया जा सके."

संवर्धन व वंशवृद्धि के प्रयास जारी: पहाड़ी मैना के टैगिंग के बाद जीपीएस सिस्टम से उसे ट्रैक किया जाएगा. मैना के पीछे एक टीम रहेगी, जो उसे जीपीएस से ट्रैक करेगी और दूर से उसकी एक्टिविटी को नोट करेगी. मैना किस पेड़ पर बैठती है, कितने देर बैठती है, क्या खाती है, रात में वह किस पेड़ पर डेरा जमाती है, कब और कैसे सहवास करती है? जैसी सारी बातों पर रिसर्च होगी. इसके बाद मैना को जब प्रजनन केंद्र में लाया जाएगा. तो इसी रिसर्च की मदद से वंश वृद्धि की प्रक्रिया शुरू होगी. रिसर्च के लिए कोई टाइम फिक्स नहीं किया गया है. यह काम एक महीने से 1 साल तक भी चल सकता है.

बस्तर: इंसानों की बोली की हूबहू नकल करने वाली छत्तीसगढ़ राज्य की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना की आवाज एक समय बस्तर में हर जगह गूंजा करती थी. लेकिन अब शहर तो छोड़ो, जंगल में भी मैना की आवाज सुनना काफी मुश्किल हो गया है. जिसको देखते हुए अब कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा पहाड़ी मैना की वंशवृद्धि व संवर्धन के लिए उनकी टैगिंग की प्रक्रिया शुरू (Preparation to install GPS on Pahari Maina) कर दी है. GPS on Pahari Maina

राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना के संवर्धन व वंशवृद्धि के प्रयास जारी
जीपीएस टैग से होगी पहाड़ी मैना की निगरानी: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के डायरेक्टर गणवीर धम्मशील ने बताया कि "विभाग का प्रयास है कि पहाड़ी मैना का संवर्धन व वंशवृद्धि हो. जिसको देखते हुए जंगलों, पहाड़ो में विचरण करने वाली पहाड़ी मैना के पैरों में टैगिंग लगाया जाएगा. यह टैग जीपीएस से लैस होगा. जिसके बाद जिन जिन मैना के पैरों में जीपीएस लगेगा, उन मैना की मॉनिटरिंग विभाग के अधिकारी करेंगे. यह काम नवंबर के पहले हफ्ते से ही शुरू हो जाएगा."

यह भी पढ़ें: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए 52 चीतल


छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना को बचाने की पहल: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ ने इसकी स्पेशल ट्रेनिंग गुजरात से ली है. उन्होंने बताया कि "अभी तक पहाड़ी मैना के संबंध में कोई विशेष जानकारी किसी के पास भी नहीं है. बड़े बड़े एक्सपर्ट भी पहाड़ी मैना को देखकर नहीं बता पाते हैं कि मैना नर है या मादा. ऐसे में इससे पहले पहचान की प्रक्रिया को सरल बनाने और मैना के संबंध में संपूर्ण जानकारी जुटाने अब तक किसी ने कोशिश भी नहीं की थी. जानकारी के अभाव में पहाड़ी मैना की वंश वृद्धि संवर्धन व संरक्षण का काम नहीं हो पा रहा था. ऐसे में पहाड़ी मैना में जीपीएस टैग लगाने का निर्णय लिया गया है. ताकि छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना (Pahari Maina state bird of Chhattisgarh) को विलुप्त होने से बचाया जा सके."

संवर्धन व वंशवृद्धि के प्रयास जारी: पहाड़ी मैना के टैगिंग के बाद जीपीएस सिस्टम से उसे ट्रैक किया जाएगा. मैना के पीछे एक टीम रहेगी, जो उसे जीपीएस से ट्रैक करेगी और दूर से उसकी एक्टिविटी को नोट करेगी. मैना किस पेड़ पर बैठती है, कितने देर बैठती है, क्या खाती है, रात में वह किस पेड़ पर डेरा जमाती है, कब और कैसे सहवास करती है? जैसी सारी बातों पर रिसर्च होगी. इसके बाद मैना को जब प्रजनन केंद्र में लाया जाएगा. तो इसी रिसर्च की मदद से वंश वृद्धि की प्रक्रिया शुरू होगी. रिसर्च के लिए कोई टाइम फिक्स नहीं किया गया है. यह काम एक महीने से 1 साल तक भी चल सकता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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