बस्तर: सुकमा जिले के कोन्टा ब्लॉक मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर भेज्जी मुख्य सड़क से 4 किमी अंदर रेगाड़गट्टा ग्राम पंचायत के आश्रित पारा उडसनपारा, स्कूलपारा, पटेलपारा, ताड़गुड़ा, कुम्हारपारा, मुसलमड़गू है. गांव में 200 से अधिक घर है. जिसकी आबादी 800 है. गांव में अधिकांश लोग हाथ पांव में सूजन, शरीर दर्द और शरीर में जलन की समस्या से ग्रस्त है. पिछले ढाई वर्षों में गांव में अज्ञात बिमारी से 61 लोगों की मौत हो गई है. इसकी जानकारी ग्रामीणों ने ही जिला प्रशासन को दी। इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और स्वास्थ्य अमला भेज दिया है. गांव का एक परिवार इस बीमारी से उजड़ गया. 5 सदस्यों में से 4 लोगों की मौत हो गयी, जिसमें एक 12 साल का बालक शामिल है.
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ग्रामीणों ने बताया कि "गांव में अधिकांश लोग बीमार है, गांव में आने जाने के संसाधन नहीं है. पगडंडी के सहारे ग्रामीण अपने गांव तक पहुंचते हैं. गांव से करीब 4 किमी दूर मुख्य सड़क है. इलाज के लिए कोन्टा और सुकमा जाना पड़ता है. लंबे समय से बीमार होने की वजह से अधिकांश लोगों की मौत हुई है."
उन्होंने बताया कि इस साल मई महीने में स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची थी. जहां पर कुछ लोगों का इलाज किया गया. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग नहीं स्थानीय लोगों का जांच सैंपल लिया. लेकिन आज तक जांच सैंपल मैं क्या कुछ निकल कर आया है. यह जानकारी भी साझा नहीं किए. इस गांव में किस बीमारी ने दस्तक दिया है और क्यों ग्रामीणों की मौत हो रही है. इसके पीछे का कारण आज तक इस गांव के ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है और ना ही स्वास्थ्य विभाग ने जागरूक करने के लिए कुछ प्रयास किया है.
इसके अलावा गांव के युवक ने बताया कि बीते दिनों जांच टीम गांव में पहुंची थी और उन्होंने गांव के सभी हैंडपंपों की जांच की. जिसके बाद सचिव ने बताया कि गांव में यूरिक है. इसके बावजूद भी किसी प्रकार का ठोस निर्णय जिम्मेदारों के द्वारा नहीं लिया गया और ना ही इसमें सुधार किया गया. यही कारण है कि लगातार ग्रामीणों की अज्ञात बीमारी से मौत हो रही है.
सुकमा के सीएमएचओ यशवंत ध्रुव ने कहा कि वे बीमारी की जानकारी लगने के बाद गांव में पहुंचे और उन्होंने यह भी स्वीकार करते बताया कि बीएमओ की टीम ने इस गांव में जांच किया था. जांच के बावजूद भी इतने दिनों तक बीमारी का पता नहीं लगता ना यह स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को दर्शाता है. क्योंकि लगातार स्वास्थ्य विभाग के नजरों में यह गांव था और वह खुद स्वीकार करते हुए 3 साल में लगभग 61 लोगों की मौत की भी सूचना उन्हें मिली थी. इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों ने ग्रामीणों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
इस मामले पर उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि"मीडिया के माध्यम से उन्हें यह जानकारी लगी है. जानकारी मिलते ही तत्काल एसडीएम और कलेक्टर को निर्देशित किया गया है. गांव में स्वास्थ्य अमला को भेजा गया है. आदिवासी इलाज करवाने में संकोच करते हैं. यही वजह है इतना विलंब हुआ है. लेकिन अब सभी बीमार मरीजों को सुकमा लाकर इलाज करने का निर्देश हमने दे दिया है."