रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार की विश्वास, विकास और सुरक्षा की नीति काम करते हुए दिख (Naxalites confined in Chhattisgarh) रही है. क्योंकि कभी नक्सली क्षेत्र में पूरे देश में मशहूर छत्तीसगढ़ राज्य में अब विकास की गंगा बह रही है.सरकार की नीतियों के कारण अब राज्य के नक्सल प्रभावित बस्तर अंचल में नक्सल गतिविधियां सिमट गई हैं. सरकार का दावा है कि बीते साढ़े तीन वर्षों से राज्य में नक्सली घटनाओं की संख्या में काफी कमी आई है.
क्या कहते हैं आंकड़े : सरकार ने नक्सली घटनाओं में कमी का दावा किया है. साथ ही सरकार ने ये भी कहा है (chhattisgarh government claimed to be naxal free) कि बस्तर संभाग के 589 गांवों के पौने छह लाख ग्रामीण नक्सलियों के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो चुके (Many villages of Bastar division are Naxal free) हैं. इनमें सर्वाधिक 121 गांव सुकमा जिले के हैं. दंतेवाड़ा जिले के 118 गांव, बीजापुर जिले के 115 गांव, बस्तर के 63 गांव, कांकेर के 92 गांव, नारायणपुर के 48 गांव और कोंडागांव के 32 गांव नक्सल प्रभाव से मुक्त हुए हैं.
नक्सली घटनाओं में आई कमी : वर्ष 2008 से लेकर 2018 तक के आंकड़ों को यदि देखा जाए तो इस दौरान राज्य में नक्सली हर साल 500 से लेकर 600 हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे. जो कि बीते साढ़े तीन वर्षों में घटकर औसतन रूप से 250 तक रह गई है. वर्ष 2022 में अब तक मात्र 134 नक्सल घटनाएं हुई हैं, जो कि 2018 से पूर्व घटित घटनाओं से लगभग चार गुना कम हैं. राज्य में 2018 से पूर्व नक्सली मुठभेड़ के मामले प्रतिवर्ष 200 के करीब हुआ करते थे, जो अब घटकर दहाई के आंकड़े तक सिमट गए हैं. वर्ष 2021 में राज्य में मुठभेड़ के मात्र 81 और वर्ष 2022 में अब तक 41 मामले हुए हैं. नक्सलियों के आत्मसमर्पण के मामलों में भी तेजी आई है.बीते साढ़े तीन वर्षों में 1589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. यह आंकड़ा 10 वर्षों में समर्पित कुल नक्सलियों की संख्या के एक तिहाई से अधिक है.
बंद हुए स्कूल भी खुले : नक्सल आतंक के कारण बस्तर संभाग में वर्षों से बंद 363 स्कूलों में से 257 स्कूल फिर से बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के लिए शुरू हो गए (Schools closed due to Naxal terror reopened) हैं. जिसमें से 158 स्कूल बीजापुर जिले के, 57 स्कूल सुकमा, दो कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के हैं. इसके साथ ही 196 गांवों में बिजली पहुंचाई गई है. बस्तर अंचल में स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़ने के प्रभावी कदम के साथ-साथ छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, बस्तर फाइटर्स एवं जिला पुलिस बल में भर्ती का अधिक अवसर मिलने से माओवादियों संगठनों की भर्ती में कमी आयी है. छत्तीसगढ़ के बदलते हालातों के कारण बस्तर संभाग में माओवादी संगठन की गतिविधि दक्षिण बीजापुर, दक्षिण सुकमा, इन्द्रावती नेशनल पार्क का इलाका, अबूझमाड़ एवं कोयलीबेड़ा क्षेत्र के केवल अंदरूनी हिस्से तक सिमट कर रह गई है.