जगदलपुर: 5 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर में तस्वीर बदल रही है. समय-समय पर सरकारें नक्सलियों से लड़ने के साथ ही साथ उन आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश करती हैं, जो भटक कर नक्सली संगठन में शामिल हो जाते हैं. वक्त के साथ सरेंडर पॉलिसी बदली है, जिसका असर नजर आ रहा है. इसकी तारीफ वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार ने बस्तर में भी की है.
दंतेवाड़ा जिले में लोन वर्राटू अभियान चलाया जा रहा है, जिसका बड़ा असर देखने को मिल रहा है. 6 महीनों में लोन वर्राटू अभियान के तहत 400 से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया है. इसमें कई इनामी नक्सली शामिल हैं. अभियान की सफलता के बाद इसे बस्तर संभाग के सभी जिलों में चलाने पर विचार किया जा रहा है.
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क्या है लोन वर्राटू अभियान ?
लोन वर्राटू गोंडी शब्द है जिसका अर्थ 'घर वापस आइए' होता है. इस अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने पुलिस ने आत्मसमर्पण के फायदे के बैनर पोस्टर के साथ ही नक्सलियों के नामों की लिस्ट भी जिले के हर गांव पंचायत में लगाई है. ग्रामीण अपने परिवार के वे लोग जो नक्सल संगठन से जुड़े हैं उनको वापस मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस के पास ला रहे हैं. ग्रामीण भी अपने गांव के नक्सलियों को आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने की अपील कर रहे हैं. यही वजह है कि लोन वर्राटू अभियान के तहत आदिवासी ग्रामीण लगातार नक्सल संगठन छोड़ मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.
![Lone Varratu campaign is proving effective in bastar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bst-01-surrenderpolicyspl-pkg-7205404_27112020161703_2711f_01864_252.jpg)
पहले बनाई गई थी लिस्ट
इस अभियान को शुरू करने से पहले पुलिस ने 266 पन्नों में 600 नक्सलियों के नाम के लिस्ट तैयार की थी और हर गांव पंचायत में लिस्ट को चस्पा कर ग्रामीणों के बीच नक्सलियों के पहचान की स्पष्ट जानकारी दी है. लोन वर्राटू अभियान की खास बात यह है कि इस अभियान के तहत जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस और जिला प्रशासन की तरफ से रोजगार की व्यवस्था की जा रही है.
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लोन वर्राटू अभियान की खास बात
- इस अभियान में जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस और जिला प्रशासन उन्हें तत्काल रोजगार की व्यवस्था कर रहा है.
- सरेंडर नक्सलियों से बिल्डिंग, स्कूल, सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण कार्य कराया जाता है, जिसे नक्सली नुकसान पहुंचा चुके होते हैं.
- सरेंडर नक्सली अपने गांव पंचायत के विकास कार्यों में योगदान दे रहे हैं.
- यह अभियान फिलहाल बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में ही चलाया जा रहा है और इसकी सफलता को देखते हुए अन्य जिलों में भी इस अभियान को शुरू करने की तैयारी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है.
- इस अभियान के तहत सरेंडर करने वालों में एक लाख से लेकर 10 लाख के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
- लोन वर्राटू अभियान के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बस्तर पुलिस अपने साथ पुलिस में भी नौकरी दे रही है और इसके लिए बकायदा उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ ही नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे हैं एंटी नक्सल ऑपरेशन में भी शामिल कर रही है.
इनामी समेत 400 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
लोन वर्राटू अभियान बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में काफी कारगर साबित हो रहा है. बस्तर आईजी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के गठन के बाद अब तक पूरे बस्तर संभाग से कुल 4000 नक्सली आत्मसमर्पण कर सरकार की पुनर्वास नीति से जुड़े हैं. इनमें से दंतेवाड़ा जिले में ही हाल ही में 6 महीने पहले शुरू किए गए लोन वरा टू अभियान में कुल 400 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. इसमें एक लाख से लेकर 10 लाख के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
![Lone Varratu campaign is proving effective in bastar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bst-01-surrenderpolicyspl-pkg-7205404_27112020161703_2711f_01864_955.jpg)
संभाग के सभी जिलों में चलाया जाएगा अभियान
आईजी ने कहा कि जिस तरह से दंतेवाड़ा जिले में लोन वर्राटू अभियान के तहत पुलिस को बड़ी सफलता मिल रही है इसी के तर्ज पर बस्तर के अन्य जिलों बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और कांकेर में भी लोन वर्राटू अभियान की शुरूआत की जाएगी, जिसके लिए प्लानिंग कर ली गई है और आने वाले दिनों में इस अभियान को बस्तर संभाग के सभी जिलों में चलाया जाएगा.