जगदलपुर: कभी छत्तीसगढ़ में मलेरिया से होने वाली 80 फीसदी से अधिक मौतों के लिए चर्चित रहने वाले बस्तर इस मामले में 3 सालों के भीतर ही दशा और दिशा सुधर गई है. यह काम मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान (Malaria Free Bastar Campaign) से मुमकिन हुआ है. 3 सालों में बस्तर जिले में मलेरिया का वार्षिक परजीवी सूचकांक (Annual Parasite Index) प्रति हजार की आबादी में 15. 5 से घटकर 3.19 पर आ गया है.
स्वास्थ विभाग ने ली राहत की सांस
दरअसल बस्तर में बढ़ते मलेरिया के प्रकोप को देखते हुए सितंबर 2019 से मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान (Malaria Free Bastar Campaign) की शुरुआत की गई थी. तब से अब तक इसके तीन चरण पूरे हो चुके हैं. चौथा चरण 15 जुलाई से 31 सितंबर को खत्म होगा. मलेरिया के नियंत्रण में मिली सफलता से जिला प्रशासन और स्वास्थ विभाग (health Department) ने भी राहत की सांस ली है. विभाग की योजना है कि अगले साल तक परजीवी सूचकांक को एक फीसद से नीचे ले जाया जाए. इस अभियान की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2020 की तुलना में इस साल अभी तक मलेरिया के मरीजों की संख्या में 40 फीसदी की कमी आ चुकी है.
अभियान को सफल बनाने के लिए जद्दोजहद
मलेरिया से निपटने के लिए बस्तर में चलाए जा रहे, मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान कारगर साबित हो रही है. साल 2019 सितंबर माह में शुरू हुई. इस अभियान के तहत मलेरिया मरीजों में 40 फीसदी की कमी आ चुकी है. इस अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम बस्तर के शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में घर-घर पहुंचकर मलेरिया जांच कर रही है. मलेरिया के लक्षण पाए जाने वाले मरीजों को त्वरित उपचार के लिए दवाइयां भी उपलब्ध करा रही हैं. इस अभियान के 4 चरणों के दौरान नर से मितानिन तक के मैदानी अमले ने पूरी ताकत झोंक दी है.
ग्रामीण अंचलों में कैंप
विभाग की टीम नक्सल प्रभावित (naxal affected area) क्षेत्र और सुदूर ग्रामीण अंचलों में कैंप लगाकर और घर घर पहुंचकर लोगों की मलेरिया जांच कर रही है. हालांकि अभी मलेरिया जांच में पुरुषों की तुलना में मलेरिया पीड़ित में महिलाओं और 1 से 14 साल के बच्चों की संख्या अधिक है. लेकिन राहत वाली खबर यह है कि बीते वर्ष की तुलना में वार्षिक परिधि भी सूचकांक दर में बेहद कमी आई है.
इधर स्वास्थ विभाग की ओर से चलाए गए मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान में पहले चरण में 5,203 दूसरे चरण में 4,909 और तृतीय चरण में 1818 मलेरिया के पॉजिटिव मामले सामने आए हैं. वहीं चौथे चरण के इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के 162 टीमों के द्वारा 1 लाख 46 हजार 677 आबादी वाले 149 पहुंचविहीन अति संवेदनशील ग्रामो के 1 लाख 48 हजार 115 लोगों की मलेरिया जांच की गई और इनमें से केवल 1459 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए जिनका त्वरित उपचार भी किया गया.
मेडिकेटेड मच्छरदानिया बांटी गई
इसके अलावा समूचे बस्तर जिले में 3 लाख मेडिकेटेड मच्छरदानिया भी वितरित किए जा चुके हैं. जिसके चलते गांव-गांव तक मलेरिया से बचाव के लिए ग्रामीणों के द्वारा भी सावधानी बरती गई और मलेरिया से बचने के लिए ग्रामीणों में भी जागरूकता देखने को मिली. बस्तर कलेक्टर का कहना है कि राज्य शासन की तरफ से चलाए गए मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान काफी कारगर साबित हुई है. इसी का नतीजा रहा कि मलेरिया मरीजों की संख्या में 40 फीसदी की कमी आई है.
कराई जा रही है मलेरिया की जांच
उन्होंने बताया कि अभी भी स्वास्थ्य विभाग की टीम जिसमें स्टाफ नर्स के साथ ही मितानिन और आंगनबाड़ी के कार्यकर्ताओं के ओर घर-घर जाकर मलेरिया की जांच की जा रहा है. पॉजिटिव आने वाले मरीजों को तुरंत दवा का वितरण भी किया जा रहा है. कलेक्टर ने बताया कि मलेरिया जांच में अधिकतर बिना लक्षण वाले मरीज सामने आए हैं. वहीं खासकर महिलाओं और बच्चों को मलेरिया से बचाने के लिए ग्रामीण अंचलों में विभाग के द्वारा जागरूक भी किया जा रहा है. कलेक्टर ने बताया कि फिलहाल यह अभियान सफलता की ओर है और आने वाले कुछ महीनों में बस्तर पूरी तरह से मलेरिया से मुक्त होने की ओर अग्रसर है.