बस्तर: बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि ''बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में नरवा गरवा घुरवा बाड़ी के साथ ही गोधन न्याय योजना चल रही है. ग्रामीणों से बड़ी मात्रा में गोबर खरीदी की जा रही है. गोबर से अलग अलग प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं. पहले वर्मी कंपोस्ट बनाया गया, फिर गमला बनाया गया. अब गोबर से पेंट बनाया जा रहा है. यह पेंट इकोफ्रेंडली है और लो कॉस्ट भी है और ड्यूरेबल भी है.''
''गोबर पेंट को प्रमोट करने के लिए हमारी कोशिश है कि सभी सरकारी कार्यालयों में गोबर पेंट किया जाए. छत्तीसगढ़ सरकार से भी इस संबंध में मार्गदर्शन मिला है. पहले हम पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. उसके बाद दूसरे सरकारी कार्यालयों में गोबर पेंट होगा.'' चंदन कुमार,कलेक्टर,बस्तर
गोबर से पेंट बनाए जाने पर बस्तर की संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में आदिवासी अपने घरों में गोबर से ही लिपाई पुताई करते हैं. गोबर का इस्तेमाल घर के किचन से लेकर घर के आंगन तक किया जाता है. प्राचीन काल से चली आ रही यह परंपरा बस्तर के शासकीय कार्यालयों में दिखने से बस्तरवासियों में उत्साह भी नजर आ रहा है.
गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन शुरू हो गया है. फिलहाल गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए पांच यूनिट लग चुकी है. रायपुर और दुर्ग जिले के गौठानों में दो दो, कांकेर के चारामा स्थित गौठान में एक यूनिट चल रही है. इन पांच यूनिट से अब तक करीब 8997 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किया गया है. राज्य के 25 जिलों के 37 चिन्हित गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट लगाने की तैयारी है. जनवरी माह के अंत तक यह सभी 37 यूनिटें गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन करने लगेंगी.
गोधन न्याय योजना के तहत राज्य में हितग्राहियों को 387 करोड़ 32 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है. गोधन न्याय योजना के तहत छत्तीसगढ़ के गौठानों में 2 रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है.
गोधन न्याय योजना से 3 लाख 13 हजार से ज्यादा ग्रामीण पशुपालक लाभान्वित हुए हैं. राज्य में अब तक 10,894 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है. 9591 गौठान बन चुके हैं. छत्तीसगढ़ में अब तक 4,564 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं. यानी यह गौठान अब खुद की जमा पूंजी से गोबर खरीद रहे हैं. स्वावलंबी गौठान अबतक 35.19 करोड़ रूपए का गोबर खरीद चुके हैं.