जगदलपुर: कोरोना महामारी ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है. छोटे से लेकर बड़े हर वर्ग के लोग इस संक्रमण के चलते बहुत ज्यादा प्रभावित हुए हैं. छत्तीसगढ़ के बस्तर के ग्रामीण अंचलों में लगने वाले हाट बाजारों के व्यापार पर भी कोरोना का काफी असर पड़ा है. महामारी के चलते पिछले 5 महीने से बंद रहे इन हाट बाजारों के छोटे-छोटे ग्रामीण फुटकर व्यापारियों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है. हालांकि ग्रामीणों की मांग पर शासन ने बस्तर के ग्रामीण अंचलों में लगने वाले इन हाट बाजार को दोबारा शुरू करने के आदेश तो दे दिए हैं लेकिन अब इन बाजारों में वह रौनक देखने को नहीं मिल रही है.
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण बस्तर में आदिवासी कल्चर के साथ यहां के ग्रामीण अंचलों में लगने वाली हाट बाजारों की खूबसूरती भी देखते ही बनती है. इन हाट बाजारों में ग्रामीणों की वह हर जरूरत का सामान मिलता है जो उनके दैनिक जीवन में उपयोग होती है. सप्ताह में 1 दिन लगने वाले बाजार को साप्ताहिक हाट बाजार कहा जाता है और इन बाजारों में बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीण पहुंचते हैं और अपने दैनिक जीवन की वस्तुएं खरीदते हैं.
पढ़ें- जगदलपुर: अस्थाई सब्जी बाजार पहुंचकर कलेक्टर और एसपी ने जानी व्यापारियों की समस्या
लेकिन कोरोना महामारी की वजह से पिछले 5 महीनों से इन हाट बाजारों को प्रशासन ने बंद करने के निर्देश दिए थे जिसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. क्योंकि इन हाट बाजारों में सब्जी से लेकर राशन के वह सभी सामान मिलते हैं जो उनके लिए उपयोगी होते हैं. लॉकडाउन की वजह से यह सामान भी उन्हें नहीं मिल रहे थे और कई दिनों तक उन्हें भोजन के साथ केवल नमक से ही अपना भूख मिटाना पड़ा.
लोगों में कोरोना का खौफ
हालांकि ग्रामीणों की लगातार मांग के बाद शासन ने रियायत देते हुए इन हाट बाजारों को कुछ शर्तों के साथ शुरू करने के आदेश तो दिए लेकिन अब इन बाजारों में वह रौनक देखने को नहीं मिल रही है. ग्रामीणों ने बताया कि कोरोना और पुलिस के डर से ग्रामीण इन हाट बाजार में पहुंचने के लिए डरते हैं और घर से केवल एक ही व्यक्ति बाजार पहुंचता है. जिस वजह से कभी गुलजार रहने वाली इन हाट बाजारों की रौनक चली गई है.
ज्यादा सामान लेने से बच रहे ग्रामीण
ग्रामीण फुटकर व्यापारियों ने बताया कि कोरोना की वजह से उनके व्यापार पर काफी प्रभाव पड़ा है. पिछले 5 महीनों से सप्ताहिक बाजार बंद होने की वजह से उन्हें अपने सामानों को बेचने के लिए कोई जगह नहीं मिलती थी, जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक संकट से जूझना पड़ा. कोरोना ने उनकी पूरी तरह से कमर तोड़ कर रख दी है. हालांकि फिर से साप्ताहिक बाजार को शुरू किया गया है लेकिन बाजार में अब वह रौनक देखने को नहीं मिलती है और न ही लोग खाने-पीने की वस्तु के अलावा किसी वस्तु को लेने में रुचि दिखा रहे हैं.
ग्रामीणों में अब भी जागरूकता की कमी
इधर ग्रामीणों ने शहर से आने वाले सभी व्यापारियों को कोरोना के डर से हाट बाजारों में आना बंद करा दिया है. हालांकि कोरोना को लेकर ग्रामीणों में जागरूकता की अभी भी कमी देखने को मिल रही है. ETV भारत की टीम ने जब लोहंडीगुड़ा हाट बाजार का दौरा किया तो अधिकतर ग्रामीण न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते दिखे. इसके अलावा कुछ ही ग्रामीणों ने मास्क लगाया था. ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि इन हाट बाजारों में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को नियमित करें और सावधानी के साथ इन बाजारों का संचालन होने दें ताकि इन ग्रामीणों की जिंदगी फिर से पटरी पर लौट सके.