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पाटजात्रा रस्म के साथ विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की हुई शुरुआत - bastar dussehra chariot

75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत हो चुकी है. पाटजात्रा के बाद पूरे विधि विधान से इस पर्व का प्रारंभ हुआ है. जिससे पूरे बस्तर में काफी उत्साह है.

पाटजात्रा रस्म
पाटजात्रा रस्म
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Published : Aug 8, 2021, 9:40 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत रविवार को हरेली अमावस्या के दिन पाटजात्रा रस्म पूजा विधान के साथ शुरू हुई. विधि-विधान से मां दंतेश्वरी मंदिर के सामने टूरलूखोटला लकड़ी की पूजा अर्चना करने के बाद बकरा और मुंगरी मछली की बलि देकर मां को प्रसाद स्वरूप चढ़ाया गया. परंपरा अनुसार विशेष गांव बिलौरी के ग्रामीण साल पेड़ की लकड़ी लेकर जगदलपुर पहुंचते हैं और इसी लकड़ी से रथ बनाने के ओजार और चक्के का निर्माण किया जाता है. रथ निर्माण करने वाले कारीगर, पुजारी और दशहरा पर्व से जुड़े मांझी चालकी, जगदलपुर विधायक स्थानीय जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोगों की उपस्थिति में बस्तर दशहरा की पहली और महत्वपूर्ण रस्म की अदायगी की गयी.

75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व की शुरुआत आज पाट जात्रा रस्म के साथ शुरू हो चुकी है. विशालकाय रथ निर्माण के लिए जिस लकड़ी से हथौड़े और चक्के तैयार किए जाते हैं उसे टूरलू खोटला कहा जाता है. जिसे विशेष गांव बिलौरी से जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में लाकर विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. नियमानुसार बेदारगुड़ा में 45 घर है और हर घर से एक व्यक्ति का आना जरूरी होता है. परंपरागत रूप से साल के वृक्ष की साढ़े 3 हाथ लंबी और लगभग 3 फुट की गोलाई की लकड़ी मंदिर के प्रांगण में लाई जाती है. इस लकड़ी की ही पूजा अर्चना करने के बाद शहर के सिरहासार भवन में रथ निर्माण के लिए हथौड़े और चक्कों के एक्सेल का निर्माण किया जाता है.

पाटजात्रा रस्म के साथ विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की हुई शुरुआत

इस विधान के बाद अब बस्तर दशहरे में चलने वाले दो मंजिले काष्ठ (लकड़ी से बनी रथ)के निर्माण के लिए जंगल से लकड़ी लाने का क्रम शुरू हो जाएगा. इस पर्व की सबसे मुख्य कड़ी माने जाने वाले मांझीयो का कहना है कि आज पाटजात्रा रस्म के साथ विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत हो चुकी है

इस साल भी पाटजात्रा का रस्म अच्छे से सम्पन्न किया गया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मांझी चालकियों के मानदेय बढ़ाने की घोषणा की थी और ऐसे में इस बार उम्मीद है कि मुख्यमंत्री उनके मानदेय बढ़ाने पर विचार करें. इधर जगदलपुर विधायक और संसदीय सचिव रेखचंद जैन ने कहा कि पर्व में रथ परिक्रमा को लेकर जल्द ही स्थानीय,जनप्रतिनिधियों ,माझी,चालकियों और शासन प्रशासन के साथ बैठक की जाएगी. उसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा. हालांकि कोशिश की जा रही है कि हर साल की भांति इस वर्ष भी बस्तर दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया जाए और इसके लिए कोरोना महामारी को देखते हुए सारे नियमों का पालन करते हुए रस्म की अदायगी करवाई जाए.

उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक पर्व को पूरे विधि विधान और धूमधाम से मनाया जाए इसके लिए मुख्यमंत्री से भी चर्चा की जाएगी. रेखचंद जैन ने कहा कि, मांझी चालकियों के इस साल मानदेय बढ़ाने को लेकर भी मुख्यमंत्री से बस्तर दशहरा समिति के द्वारा चर्चा की जाएगी. इधर बस्तर दशहरा की पहली रस्म के बाद अब दूसरी महत्वपूर्ण रस्म डेरी गढ़ई कुछ दिनों बाद सम्पन्न होगी.

जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत रविवार को हरेली अमावस्या के दिन पाटजात्रा रस्म पूजा विधान के साथ शुरू हुई. विधि-विधान से मां दंतेश्वरी मंदिर के सामने टूरलूखोटला लकड़ी की पूजा अर्चना करने के बाद बकरा और मुंगरी मछली की बलि देकर मां को प्रसाद स्वरूप चढ़ाया गया. परंपरा अनुसार विशेष गांव बिलौरी के ग्रामीण साल पेड़ की लकड़ी लेकर जगदलपुर पहुंचते हैं और इसी लकड़ी से रथ बनाने के ओजार और चक्के का निर्माण किया जाता है. रथ निर्माण करने वाले कारीगर, पुजारी और दशहरा पर्व से जुड़े मांझी चालकी, जगदलपुर विधायक स्थानीय जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोगों की उपस्थिति में बस्तर दशहरा की पहली और महत्वपूर्ण रस्म की अदायगी की गयी.

75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व की शुरुआत आज पाट जात्रा रस्म के साथ शुरू हो चुकी है. विशालकाय रथ निर्माण के लिए जिस लकड़ी से हथौड़े और चक्के तैयार किए जाते हैं उसे टूरलू खोटला कहा जाता है. जिसे विशेष गांव बिलौरी से जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में लाकर विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. नियमानुसार बेदारगुड़ा में 45 घर है और हर घर से एक व्यक्ति का आना जरूरी होता है. परंपरागत रूप से साल के वृक्ष की साढ़े 3 हाथ लंबी और लगभग 3 फुट की गोलाई की लकड़ी मंदिर के प्रांगण में लाई जाती है. इस लकड़ी की ही पूजा अर्चना करने के बाद शहर के सिरहासार भवन में रथ निर्माण के लिए हथौड़े और चक्कों के एक्सेल का निर्माण किया जाता है.

पाटजात्रा रस्म के साथ विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की हुई शुरुआत

इस विधान के बाद अब बस्तर दशहरे में चलने वाले दो मंजिले काष्ठ (लकड़ी से बनी रथ)के निर्माण के लिए जंगल से लकड़ी लाने का क्रम शुरू हो जाएगा. इस पर्व की सबसे मुख्य कड़ी माने जाने वाले मांझीयो का कहना है कि आज पाटजात्रा रस्म के साथ विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत हो चुकी है

इस साल भी पाटजात्रा का रस्म अच्छे से सम्पन्न किया गया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मांझी चालकियों के मानदेय बढ़ाने की घोषणा की थी और ऐसे में इस बार उम्मीद है कि मुख्यमंत्री उनके मानदेय बढ़ाने पर विचार करें. इधर जगदलपुर विधायक और संसदीय सचिव रेखचंद जैन ने कहा कि पर्व में रथ परिक्रमा को लेकर जल्द ही स्थानीय,जनप्रतिनिधियों ,माझी,चालकियों और शासन प्रशासन के साथ बैठक की जाएगी. उसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा. हालांकि कोशिश की जा रही है कि हर साल की भांति इस वर्ष भी बस्तर दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया जाए और इसके लिए कोरोना महामारी को देखते हुए सारे नियमों का पालन करते हुए रस्म की अदायगी करवाई जाए.

उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक पर्व को पूरे विधि विधान और धूमधाम से मनाया जाए इसके लिए मुख्यमंत्री से भी चर्चा की जाएगी. रेखचंद जैन ने कहा कि, मांझी चालकियों के इस साल मानदेय बढ़ाने को लेकर भी मुख्यमंत्री से बस्तर दशहरा समिति के द्वारा चर्चा की जाएगी. इधर बस्तर दशहरा की पहली रस्म के बाद अब दूसरी महत्वपूर्ण रस्म डेरी गढ़ई कुछ दिनों बाद सम्पन्न होगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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