बस्तर: जिला कलेक्टर रजत बंसल ने गुरुवार रात नक्सल प्रभावित दरभा इलाके मांदर कोंटा गांव पहुंचे. जहां उन्होंने ग्रामीणों के साथ रात बिताई और उनसे रूबरू हुए. कलेक्टर ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनी, बस्तर में लंबे अरसे बाद ऐसा हुआ है कि कोई कलेक्टर नक्सल प्रभावित गांव में रात बिताया हो.
आपने अक्सर देखा होगा कि आईएएस अफसर गांव-गांव जाकर ग्रामीणों से रूबरू होते है.उनकी समस्या से अवगत होते है लेकिन बस्तर जैसे दुरस्त अंचल में कलेक्टर का किसी गांव मे रुकना और उनकी समस्या को जानने का तरीका आज कल कम ही देखने को मिलता है. वर्षों बाद बस्तर में ऐसा देखने को मिला जब बस्तर कलेक्टर रात में नक्सलियों के गढ़ में रुके और ग्रामीणों से रूबरू हुए. गुरुवार रात कलेक्टर रजत बंसल अचानक एक गांव मे जाने की योजना बनाई और निकल पड़े, उन्हें ना तो नक्सलियों का डर था और ना ही रात के अंधेरे का. ग्रामीण किन परिस्थितियों का सामना करते हैं उससे रूबरू होना ही उनका मकसद था.
धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है दरभा
दरसअल गुरुवार को दरभा इलाके के मांदर कोंटा के ग्रामीण दशहरा पर्व में शामिल होने आए थे. देर शाम ग्रामीण दशहरा रथ परिचालन में अपनी सहभागिता निभा रहे थे. इसी दौरान कलेक्टर रजत बंसल से ग्रामीणों ने चर्चा की और गांव की समस्या से अवगत कराया. फिर क्या था रात करीब 10 बजे कलेक्टर ने गांव जाने का मन बनाया और रात वहीं गुजारने का फैसला ले लिया. कलेक्टर रजत बंसल अपने कुछ सहयोगियों के साथ गांव पहुंच गए.
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ग्रामीणों की सुनी समस्याएं
ग्रामीण परिवेश में वे गांव वालों के बीच में रहे. इस बीच ग्रामीणों ने जंगल के बीच बसे अपने गांव की विभिन्न समस्याएं बताई. जिसे कलेक्टर ने जल्द सुलझाने का आश्वाशन दिया है. गांव वालों ने पेयजल,स्वास्थ्य और पहुंच मार्ग जैसे सुविधाओं की मांग रखी. कलेक्टर को अपने बीच पाकर ग्रामीण काफी खुश नजर आए. कलेक्टर रजत बसंल रात में गांव के हिड़मा राम के यहां रुके, बस्तर का दरभा इलाका नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है. ऐसे में एक कलेक्टर का मौके में जाकर ग्रामीणों से रूबरू होना वह भी रात के समय मे आश्चर्य कर देने वाला जरूर था, मगर काम करने का जज्बा अगर मन में हो तो इलाका कोई भी यह मायने नहीं रखता.
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लंबे अर्से बाद किसी कलेक्टर ने नक्सलियों के गढ़ में रात बिताई
कलेक्टर का दौरा यही साबित करता है की ग्रामीणों की समस्या उनके बीच में ही जाकर सुलझाई जा सकती है. बस्तर में वर्षों बाद ऐसी तस्वीरे देखने मिली है. अविभाजित बस्तर के पहले कलेक्टर आरसीव्हीपी नरोन्हा ने भी इसी तरह रात में गांव जाकर गांव वालों से रूबरू हुआ करते थे, हालांकि तब में और अब में काफी अंतर है. इनके बाद ब्रमदेव शर्मा, पीडी मीणा, प्रदीप बैजल, प्रवीर कृष्ण समेत कई कलेक्टर गांव मे रात्रि रुककर ग्रामीणों की समस्याओं से अवगत होते रहे. वर्ष 2000 में छतीसगढ़ राज्य का गठन हुआ तब से लेकर अब तक किसी भी कलेक्टर की रुचि ग्रामीण इलाकों में रात गुजार कर समस्याओं से रूबरू होने की नहीं रही. राज्य स्थापना के 20 सालों बाद रजत बंसल ऐसे पहले कलेक्टर हुए जो नक्सल प्रभावित गांव मे रात गुजार ग्रामीणों की समस्याओं से रूबरू हुए.