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बस्तरः वाह रे समाज के ठेकेदार! मौत पर इंसानियत भूल आपस में भिड़े

शव को दफनाने के लिए गांव के लोगों ने जमीन देने से इंकार कर दिया है. इस कारण दो गुटों के बीच मामले ने तुल पकड़ लिया और विवाद बढ़ गया है.

शव को दफनाने के लिए गाँव के लोगों ने जमीन देने से इनकार कर दिया
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Published : Aug 26, 2019, 10:43 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

बस्तरः देश ने भले ही तरक्की क्यों न कर ली हो, चंद्रमा पर चंद्रयान-2 भेज चुके हो, डिजिटल युग में जी रहे हो, लेकिन इन सब से इतर आज भी लोग आपस में एक दूसरे से लड़ रहे हैं. समाज, धर्म, कौम की दुहाई दे रहे हैं. ऐसा ही एक मामला जगदलपुर शहर से लगे गांव डोगाम में देखने को मिला है. यहां दो विशेष समाज के लोग एक व्यक्ति की मौत हो जाने पर उसका अंतिम सस्कार छोड़ विवाद में उलझे हुए हैं. मौत पर इंसानियत भूल आपस में लड़ रहे हैं. समाज के ठेकेदार जमकर सियासत का गंदा खेल खेल रहे हैं. शर्म है समाज के ऐसे ठेकेदारों पर, जो मौत पर भी राजनीति और सियासत कर रहे हैं.

two groups for died body burial in jagdalpur

दरअसल, डोगाम में एक ग्रामीण की मौत होने के बाद उसके शव को दफनाने के लिए गांव के लोगों ने जमीन देने से इंकार कर दिया. इस कारण दो वर्ग के बीच मामला तुल पकड़ लिया है और विवाद बढ़ गया है. मामले को शांत करना के लिए प्रशासन व पुलिस टीम को मौके पर पहुंची.

श्मशान जमीन बांटने का निर्देश

प्रशासनिक अधिकारियों ने जमीन विवाद को सुलझाने के लिए तहसीलदार और पटवारी को दोनों समाज के लिए अलग- अलग श्मशान जमीन बांटने का निर्देश दिया है. इसके लिए प्रशासन ने विरोध कर रहे ग्रामीणों से दो दिन की मोहलत मांगी है, जिससे समस्या का हल बातचीत करके निकाला जा सके.

अन्य धर्म को अपनाने की बात

बता दें कि ग्राम डोगाम के पकलू (उम्र 55) की अज्ञात कारणों से मौत हो गई है. मृतक ने कुछ साल पहले एक अन्य धर्म को अपनाया था. मौत बाद मृतक के परिजन अंतिम संस्कार करने के लिए शव को जाटम गांव के श्मशान लेकर पहुंचे, लेकिन वहां ग्रामीणों ने शव को श्मशान में दफनाने से रोक दिया. इसके बाद परिजन शव को वापस अपने गांव डोगाम के श्मशान घाट लेकर पहुंचे और वहां पर शव को दफना दिया. इसकी सूचना मिलते ही डोगाम निवासियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.

प्रशासन को करना पड़ा हस्तक्षेप
ग्रामीणों का कहना है कि 'मृतक किसी अन्य धर्म का अनुयायी था. हम अपने श्मशान की जमीन में किसी अन्य धर्म के अनुयायी को दफनाने नहीं देंगे'. इसके बाद दफनाए गए शव को निकालने के लिए पंच, सरपंच और ग्रामीण इकट्टा हो गए, जिसे लेकर दो गुटों के बीच विवाद शुरू हो गया है. दोनों में विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया है कि मामले को सुलझाने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों को पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर हस्तक्षेप करना पड़ा. हस्तक्षेप के बाद मृतक के परिजन चले गए, लेकिन मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है.

बस्तरः देश ने भले ही तरक्की क्यों न कर ली हो, चंद्रमा पर चंद्रयान-2 भेज चुके हो, डिजिटल युग में जी रहे हो, लेकिन इन सब से इतर आज भी लोग आपस में एक दूसरे से लड़ रहे हैं. समाज, धर्म, कौम की दुहाई दे रहे हैं. ऐसा ही एक मामला जगदलपुर शहर से लगे गांव डोगाम में देखने को मिला है. यहां दो विशेष समाज के लोग एक व्यक्ति की मौत हो जाने पर उसका अंतिम सस्कार छोड़ विवाद में उलझे हुए हैं. मौत पर इंसानियत भूल आपस में लड़ रहे हैं. समाज के ठेकेदार जमकर सियासत का गंदा खेल खेल रहे हैं. शर्म है समाज के ऐसे ठेकेदारों पर, जो मौत पर भी राजनीति और सियासत कर रहे हैं.

two groups for died body burial in jagdalpur

दरअसल, डोगाम में एक ग्रामीण की मौत होने के बाद उसके शव को दफनाने के लिए गांव के लोगों ने जमीन देने से इंकार कर दिया. इस कारण दो वर्ग के बीच मामला तुल पकड़ लिया है और विवाद बढ़ गया है. मामले को शांत करना के लिए प्रशासन व पुलिस टीम को मौके पर पहुंची.

श्मशान जमीन बांटने का निर्देश

प्रशासनिक अधिकारियों ने जमीन विवाद को सुलझाने के लिए तहसीलदार और पटवारी को दोनों समाज के लिए अलग- अलग श्मशान जमीन बांटने का निर्देश दिया है. इसके लिए प्रशासन ने विरोध कर रहे ग्रामीणों से दो दिन की मोहलत मांगी है, जिससे समस्या का हल बातचीत करके निकाला जा सके.

अन्य धर्म को अपनाने की बात

बता दें कि ग्राम डोगाम के पकलू (उम्र 55) की अज्ञात कारणों से मौत हो गई है. मृतक ने कुछ साल पहले एक अन्य धर्म को अपनाया था. मौत बाद मृतक के परिजन अंतिम संस्कार करने के लिए शव को जाटम गांव के श्मशान लेकर पहुंचे, लेकिन वहां ग्रामीणों ने शव को श्मशान में दफनाने से रोक दिया. इसके बाद परिजन शव को वापस अपने गांव डोगाम के श्मशान घाट लेकर पहुंचे और वहां पर शव को दफना दिया. इसकी सूचना मिलते ही डोगाम निवासियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.

प्रशासन को करना पड़ा हस्तक्षेप
ग्रामीणों का कहना है कि 'मृतक किसी अन्य धर्म का अनुयायी था. हम अपने श्मशान की जमीन में किसी अन्य धर्म के अनुयायी को दफनाने नहीं देंगे'. इसके बाद दफनाए गए शव को निकालने के लिए पंच, सरपंच और ग्रामीण इकट्टा हो गए, जिसे लेकर दो गुटों के बीच विवाद शुरू हो गया है. दोनों में विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया है कि मामले को सुलझाने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों को पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर हस्तक्षेप करना पड़ा. हस्तक्षेप के बाद मृतक के परिजन चले गए, लेकिन मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है.

Intro:जगदलपुर। शहर से लगे डोगाम गांव में उस वक्त विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई जब गाँव के एक ग्रामीण की मौत हो जाने के बाद उसके शव को दफन करने के लिए गाँव के लोगों ने जमीन देने से इनकार कर दिया। जिसके बाद गाँव में दो गुटों के बीच विवाद बढ़ने लगा और विवाद को शांत कराने पुलिस व  प्रशासन की टीम को मौके पर पहुचना पड़ा।



Body:दरअसल मामला डोगाम गाँव का है जहाँ कल शनिवार को पाकलु नामक ग्रामीण की अज्ञात कारणों से मौत हो गई। मौत हो जाने के बाद परिजन अंतिम संस्कार करने के लिए शव को जाटम गाँव के शमशान लेकर पहुँचे लेकिन जाटम के ग्रामीणों ने मृतक के परिजनों को शव को शमशान में दफन करने से रोक दिया। जिसके बाद ग्रामीणों के मना करने के बाद परिजन वापस अपने गाँव डोगाम के शमशान घाट पहुँचे और वहां शव को दफन कर दिया। अंतिम संस्कार की सूचना मिलते ही डोगाम के ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।


Conclusion:विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि मृतक किसी अन्य धर्म का अनुयायी था। जहां शव को दफन किया गया है वह आदिवासी समाज का शमशानघाट है और हम अपने शमशान की जमीन पर किसी अन्य धर्म के अनुयायी को दफनाने नही देंगे। और दफन किये गए शव को निकालने पूरे गाँव के लोग इकट्टा हो गए जिसके बाद गाँव में दोनों गुटों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि मामले को सुलझाने  जिला प्रशासन के अधिकारियों को पुलिस बल के साथ मौके पर पहुचना पड़ा। हालांकि मृतक के परिजन प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद वहां से चले गए लेकिन विवाद थमने का नाम नही ले रहा था जिसे देखते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने जमीन के विवाद को सुलझाने तहसीलदार और पटवारी को दोनों समाज के लोगो के लिए अलग- अलग शमशान की जमीन को आबंटन करने का निर्देश दिया। लेकिन गांव के पंच व सरपंच समेत पूरे गावँ के लोग  शव को निकाल कर दूसरे जगह दफनाने की बात पर अड़े रहे, ऐसे में प्रशासन ने 2 दिन का समय विरोध कर रहे ग्रामीणों से मांगा है ताकि इस समस्या का हल बातचीत कर निकाला जा सके । वही मामले को उलझता देख पुलिस बल ने  ग्रामीणों को समझाईश देते हुए मामला शांत कराया। और दो दिन मे इसके निष्कर्ष के लिए ग्रामीणो से समय मांगा है। 

बाईट1 राजाराम तोडेम, उपाध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज
बाईट2- थामावती ठाकुर, स्थानीय ग्रामीण महिला
बाईट3- जी.एस मरकाम, एसडीएम बस्तर। "चेक शर्ट"
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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