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बलौदा बाजार: किसानों पर पड़ी दोहरी मार, न प्रकृति, न सरकार दे रही साथ !

कसडोल से लगे तिल्दा गांव के करीब 35 किसानों ने महानदी की 140 एकड़ जमीन शासन से लीज पर लेकर तरबूज की फसल लगाई थी, लेकिन अब वो फसल बेच नहीं पा रहे हैं. इससे अब किसानों के पास बड़ी चुनौती आ गई है. किसान जो कर्ज लेकर फसल बोए थे, वो पैसे कैसे चुकाएंगे.

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किसानों पर पड़ी दोहरी मार
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Published : Mar 30, 2020, 12:06 AM IST

बलौदा बाजार: कोरोना वायरस के बाद लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है. छत्तीसगढ़ के किसान लॉकडाउन की वजह से बर्बादी के कगार पर हैं. प्रदेशभर में लॉकडाउन जारी है, जिससे किसान अपनी तैयार फसल को बेच नहीं पा रहे हैं. बलौबादा बाजार के तरबूज किसानों का हाल बेहद खराब है. लॉकडाउन की वजह से लाखों रूपए के तरबूज के फसल बर्बाद हो गए हैं, जिससे किसान अब सरकार से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं.

किसानों पर पड़ी दोहरी मार

कसडोल के तकरीबन 35 किसानों ने सरकार से जमीन लीज पर लेकर 140 एकड़ में तरबूज की फसल लगाई थी, किसानों ने मेहनत कर फसल को उगाया फिर उसकी देख-रेख की, मवेशियों से बचाया. लेकिन जब फसल बेचने की बारी आई तो बेमौसम बारिश ने फसल को बर्बाद किया. अब बची कुची कसर कोरोना वायरस से हुए लॉकडाउन ने पूरी कर दी है. जिसने किसानों की कमर को तोड़ कर रख दिया है. हालात ऐसे हो गए हैं कि लॉकडाउन की वजह से किसान न तो खेत जा सकते हैं.. न ही घर से बाहर निकल सकते हैं, जिससे खेत में लगी फसल को मवेशी बर्बाद कर रहे हैं.

35 किसान नहीं बेच पाए फसल

कसडोल क्षेत्र के तिल्दा, डोंगरीडीह, मोहतरा, खर्वे, ठाकुरदिया के किसानों ने प्रत्येक वर्ष की तरह तरबूज की खेती की थी, जो केवल देश के कोने तक ही नहीं बल्कि विदेशों तक भी यहां का तरबूज पंहुचता है, लेकिन इस बार तरबूज की अच्छी पैदावार होने के बावजूद किसानों को लागत भी नसीब नहीं हो पायेगा. अब इन किसानों का सपना धरा का धरा रह गया है. 4 महीने की रखवाली के बाद भी अपने फसल को नहीं बेच पाए.

सरकार से ही मदद की उम्मीद

किसानों का कहना है कि 'साहूकारों से कर्ज लेकर फसल तो लगा दिए, लेकिन इस फसल को खरीदने वाला ही कोई नहीं है.. तरबूज खेत में ही रखे-रखे सड़ रहे हैं. अगर बेचने भी ले जाएं, तो कहां... बाजार भी बंद कर दिए गए हैं, जिससे अब ये गरीब किसान लाखों रुपये कर्ज के बोझ तले दब गए हैं. अब सरकार से ही मदद की उम्मीद है.

किसानों की जिंदगी में अंधेरा

बहरहाल, इस देशव्यापी संकट ने किसानों की जिंदगी में अंधेरा ला दिया है, किसानों ने जो सुबह शाम रेतीली जमीन पर नंगे पांव मेहनत किया था, लेकिन उन किसानों की मेहनत पर बारिश और कोरोना संकट की मार पड़ी है. अब मेहनतकश अन्नदाता सरकार की तरफ टकटकी लगाए है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार इन तरबूज किसानों की सुध कब लेती है.

बलौदा बाजार: कोरोना वायरस के बाद लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है. छत्तीसगढ़ के किसान लॉकडाउन की वजह से बर्बादी के कगार पर हैं. प्रदेशभर में लॉकडाउन जारी है, जिससे किसान अपनी तैयार फसल को बेच नहीं पा रहे हैं. बलौबादा बाजार के तरबूज किसानों का हाल बेहद खराब है. लॉकडाउन की वजह से लाखों रूपए के तरबूज के फसल बर्बाद हो गए हैं, जिससे किसान अब सरकार से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं.

किसानों पर पड़ी दोहरी मार

कसडोल के तकरीबन 35 किसानों ने सरकार से जमीन लीज पर लेकर 140 एकड़ में तरबूज की फसल लगाई थी, किसानों ने मेहनत कर फसल को उगाया फिर उसकी देख-रेख की, मवेशियों से बचाया. लेकिन जब फसल बेचने की बारी आई तो बेमौसम बारिश ने फसल को बर्बाद किया. अब बची कुची कसर कोरोना वायरस से हुए लॉकडाउन ने पूरी कर दी है. जिसने किसानों की कमर को तोड़ कर रख दिया है. हालात ऐसे हो गए हैं कि लॉकडाउन की वजह से किसान न तो खेत जा सकते हैं.. न ही घर से बाहर निकल सकते हैं, जिससे खेत में लगी फसल को मवेशी बर्बाद कर रहे हैं.

35 किसान नहीं बेच पाए फसल

कसडोल क्षेत्र के तिल्दा, डोंगरीडीह, मोहतरा, खर्वे, ठाकुरदिया के किसानों ने प्रत्येक वर्ष की तरह तरबूज की खेती की थी, जो केवल देश के कोने तक ही नहीं बल्कि विदेशों तक भी यहां का तरबूज पंहुचता है, लेकिन इस बार तरबूज की अच्छी पैदावार होने के बावजूद किसानों को लागत भी नसीब नहीं हो पायेगा. अब इन किसानों का सपना धरा का धरा रह गया है. 4 महीने की रखवाली के बाद भी अपने फसल को नहीं बेच पाए.

सरकार से ही मदद की उम्मीद

किसानों का कहना है कि 'साहूकारों से कर्ज लेकर फसल तो लगा दिए, लेकिन इस फसल को खरीदने वाला ही कोई नहीं है.. तरबूज खेत में ही रखे-रखे सड़ रहे हैं. अगर बेचने भी ले जाएं, तो कहां... बाजार भी बंद कर दिए गए हैं, जिससे अब ये गरीब किसान लाखों रुपये कर्ज के बोझ तले दब गए हैं. अब सरकार से ही मदद की उम्मीद है.

किसानों की जिंदगी में अंधेरा

बहरहाल, इस देशव्यापी संकट ने किसानों की जिंदगी में अंधेरा ला दिया है, किसानों ने जो सुबह शाम रेतीली जमीन पर नंगे पांव मेहनत किया था, लेकिन उन किसानों की मेहनत पर बारिश और कोरोना संकट की मार पड़ी है. अब मेहनतकश अन्नदाता सरकार की तरफ टकटकी लगाए है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार इन तरबूज किसानों की सुध कब लेती है.

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