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यहां शिव का मंदिर निगल रही महानदी, 'घर' छोड़ बाहर आए भगवान

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि शिवरीनारायण और नारायणपुर के मंदिर के साथ ही इस मंदिर का निर्माण हुआ था, लेकिन देख-रेख के अभाव और शासन-प्रशासन की लापरवाही के चलते इस मंदिर का अस्तित्व खतरे में है.

शिवलिंग
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Published : Jul 29, 2019, 12:23 PM IST

Updated : Jul 29, 2019, 8:56 PM IST

बलौदाबाजार : भगवान शिव को जगत का तारणहार कहा जाता है, जो भी भोले के दर पर आता है, मुसीबतों से छुटकारा पाता है. लेकिन प्रकृति जब कहर बरपाने पर आती है तो क्या इंसान, क्या भगवान सब पर बन आती है. ये मंजर बलौदाबाजार के खर्वे गांव में पहाड़ी पर मौजूद शिव मंदिर का है. नदी में आई बाढ़ मंदिर के नीचे मौजूद पहाड़ी की मिट्टी अपने साथ बहाकर नदी में ले गई. कटाव की वजह से पहाड़ी का एक हिस्सा गायब हो गया और जो हिस्सा बचा है वो कभी भी जमींदोज हो सकता था. भक्तों ने भगवान को मुसीबत से बचाने की ठानी और पूरे विधि विधान के साथ दूसरी जगह शिवलिंग की प्राणप्रतिष्ठा की.

महानदी के बहाव से ढह रहा है मंदिर

वर्षों पहले हुआ निर्माण
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि शिवरीनारायण और नारायणपुर के मंदिर के साथ ही इस मंदिर का निर्माण हुआ था, लेकिन देख-रेख के अभाव और शासन-प्रशासन की लापरवाही के चलते इस मंदिर का अस्तित्व खतरे में है.

श्रद्धालुओं की संख्या हुई कम
हर साल सावन के महीने में यहां कावड़िए हजारों की संख्या में जल चढ़ाने आते थे. लेकिन महानदी की धारा से धीरे-धीरे हो रहे कटाव के चलते यहां श्रद्धालुओं की संख्या कम होती चली गयी और ग्रामीण इस प्राचीन मंदिर को बचाने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे.

प्राचीन मंदिर का आधा हिस्सा महानदी में समाया
खर्वे गांव के ग्रामीणों ने इस मंदिर को बचाने के लिए सबसे पहले अविभाजित मध्यप्रदेश के पर्यटन मंत्री और कसडोल विधायक कन्हैया लाल शर्मा से 1989 में तटबंध बनाने की मांग की थी, जिसपर उन्होंने इस प्राचीन मंदिर के अस्तित्व को बचाने के लिए तटबंध बनाने की स्वीकृति दे दी थी. लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते तटबंध का निर्माण नहीं हो सका था, जिसके बाद ग्रामीणों ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल और पूर्व पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से भी इस मंदिर को बचाने की गुहार लगाई थी. लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. इस वजह से आज इस प्राचीन मंदिर का आधा हिस्सा महानदी में समा चुका है और ये मंदिर अपने अस्तित्व को खोने के कगार पर है.

शिवलिंग को मंदिर से हटा कर दूसरी जगह स्थापित किया
इस मंदिर के महानदी में जलमग्न होने से पहले ग्रामीणों ने मंदिर के भीतर रखे शिवलिंग को मंदिर से पूजा पाठ कर पास में ही स्थापित कर दिया है, लेकिन मंदिर का आधा हिस्सा बहने से जहां एक ओर ग्रामीणों की आस्था को आघात पहुंचा है, तो वहीं दूसरी ओर पुरातत्व और पर्यटन विभाग की कार्यशैली पर भी लोग उंगलियां उठा रहे हैं.

बलौदाबाजार : भगवान शिव को जगत का तारणहार कहा जाता है, जो भी भोले के दर पर आता है, मुसीबतों से छुटकारा पाता है. लेकिन प्रकृति जब कहर बरपाने पर आती है तो क्या इंसान, क्या भगवान सब पर बन आती है. ये मंजर बलौदाबाजार के खर्वे गांव में पहाड़ी पर मौजूद शिव मंदिर का है. नदी में आई बाढ़ मंदिर के नीचे मौजूद पहाड़ी की मिट्टी अपने साथ बहाकर नदी में ले गई. कटाव की वजह से पहाड़ी का एक हिस्सा गायब हो गया और जो हिस्सा बचा है वो कभी भी जमींदोज हो सकता था. भक्तों ने भगवान को मुसीबत से बचाने की ठानी और पूरे विधि विधान के साथ दूसरी जगह शिवलिंग की प्राणप्रतिष्ठा की.

महानदी के बहाव से ढह रहा है मंदिर

वर्षों पहले हुआ निर्माण
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि शिवरीनारायण और नारायणपुर के मंदिर के साथ ही इस मंदिर का निर्माण हुआ था, लेकिन देख-रेख के अभाव और शासन-प्रशासन की लापरवाही के चलते इस मंदिर का अस्तित्व खतरे में है.

श्रद्धालुओं की संख्या हुई कम
हर साल सावन के महीने में यहां कावड़िए हजारों की संख्या में जल चढ़ाने आते थे. लेकिन महानदी की धारा से धीरे-धीरे हो रहे कटाव के चलते यहां श्रद्धालुओं की संख्या कम होती चली गयी और ग्रामीण इस प्राचीन मंदिर को बचाने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे.

प्राचीन मंदिर का आधा हिस्सा महानदी में समाया
खर्वे गांव के ग्रामीणों ने इस मंदिर को बचाने के लिए सबसे पहले अविभाजित मध्यप्रदेश के पर्यटन मंत्री और कसडोल विधायक कन्हैया लाल शर्मा से 1989 में तटबंध बनाने की मांग की थी, जिसपर उन्होंने इस प्राचीन मंदिर के अस्तित्व को बचाने के लिए तटबंध बनाने की स्वीकृति दे दी थी. लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते तटबंध का निर्माण नहीं हो सका था, जिसके बाद ग्रामीणों ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल और पूर्व पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से भी इस मंदिर को बचाने की गुहार लगाई थी. लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. इस वजह से आज इस प्राचीन मंदिर का आधा हिस्सा महानदी में समा चुका है और ये मंदिर अपने अस्तित्व को खोने के कगार पर है.

शिवलिंग को मंदिर से हटा कर दूसरी जगह स्थापित किया
इस मंदिर के महानदी में जलमग्न होने से पहले ग्रामीणों ने मंदिर के भीतर रखे शिवलिंग को मंदिर से पूजा पाठ कर पास में ही स्थापित कर दिया है, लेकिन मंदिर का आधा हिस्सा बहने से जहां एक ओर ग्रामीणों की आस्था को आघात पहुंचा है, तो वहीं दूसरी ओर पुरातत्व और पर्यटन विभाग की कार्यशैली पर भी लोग उंगलियां उठा रहे हैं.

Intro: बलौदाबाजार - पूरे देश में शावन का पवित्र महीना चल रहा है और शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है जहां एक एक तरफ हर हर महादेव के जयकारों से शिवालय गूंज रहा है तो वहीं दूसरी तरफ बलौदाबाजार जिले के खर्वे गांव का प्राचीन शिव मंदिर आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, इस मंदिर के बारे में गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण शिवरीनारायण और नारायणपुर के मंदिर के साथ ही हुआ था लेकिन देख रेख के अभाव और शाशन प्रशासन की लापरवाही के चलते इस मंदिर का अस्तित्व खतरे में है।Body:बलौदाबाजार जिले के कसडोल से लगे खर्वे गांव में महानदी के किनारे प्राचीन भगवान भोलेनाथ का मंदिर है, इस मंदिर के जानकार बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 6 वीं शताब्दी में हुआ था हालांकि
इसका कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है लेकिन इस गांव के बुजुर्ग ग्रामीण बताते है कि इस मंदिर का निर्माण किसने और कब कराया इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर साल शावन के महीने में यहां कावड़िये हजारों की संख्या में जल चढ़ाने आते थे, महानदी के धीरे धीरे हो रहे कटाव के चलते यहां श्रद्धालुओं की संख्या कम होती चली गयी और ग्रामीण इस प्राचीन मंदिर को बचाने संघर्ष करते रह गए।

खर्वे गांव के ग्रामीणों ने इस मंदिर को बचाने के लिए सबसे पहले मध्यप्रदेश शाशन काल के पर्यटन मंत्री और कसडोल विधायक कन्हैया लाल शर्मा से 1989 में तटबंध बनाने की मांग की थी जिसपर उन्होंने इस प्राचीन मंदिर के अस्तित्व को बचाने के लिए तटबंध बनाने की स्वीकृति दे दी थी,लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते तटबंध का निर्माण नहीं हो सका था जिसके बाद ग्रामीणों ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल और पूर्व पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से भी इस मंदिर को बचाने गुहार लगाई लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जिसके फलस्वरूप आज इस प्राचीन मंदिर का आधा हिस्सा महानदी में समा चुका है और ये मंदिर अपने अस्तित्व को खोने के कगार पर है। इस मंदिर के महानदी में जलमग्न होने से पहले ग्रामीणों ने मंदिर के भीतर रखे शिवलिंग को मंदिर से पूजा पाठ कर पास में ही स्थापित कर दिया है,लेकिन मंदिर के आधा हिस्सा बहने से जहां एक ओर ग्रामीणों की आस्थाओं को आघात पहुंचा है तो वहीं दूसरी ओर पुरातत्व और पर्यटन विभाग की कार्यशैली पर भी लोग उंगलियां उठा रहे है। Conclusion:खर्वे गांव का यह प्राचीन मंदिर अब जलमग्न होने की कगार पर है लेकिन ग्रामीणों की आस्था अब भी बरकरार है।

बाईट - ग्रामीण खर्वे

बाईट - दिलहरण जायसवाल - सरपंच खर्वे
Last Updated : Jul 29, 2019, 8:56 PM IST
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