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बलौदाबाजार में दम तोड़ रही उज्ज्वला योजना, एलपीजी सिलेंडर होने पर भी चूल्हे में पक रहा खाना

बलौदाबाजार में उज्जवला योजना दम तोड़ रही है. एलपीजी सिलेंडर पास होने के बावजूद लोग चूल्हे में खाना पकाने को मजबूर हैं.

उज्जवला योजना
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Published : Apr 22, 2019, 12:07 AM IST

बलौदाबाजार: एक मई 2016 यह वह तारीख थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को उज्ज्वला योजना का तोहफा दिया था. इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे आने वाले हर परिवार को दो सौ रुपये में एलपीजी गैस किट बांटी गई थी. हमने पड़ताल कर यह पता लगाने की कोशिश की कि, जिले में योजना का क्या हाल है.

पैकेज


लोगों को नहीं मिल रहा फायदा
पीएम ने जब गैस कनेक्शन बांटा था उस दौरान गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को यह उम्मीद जगी थी कि, धुआं से आजादी मिलेगी. लकड़ी और कोयला इकट्ठा करने का टेंशन छू मंतर हो जाएगा. दुखों के दिन लद जाएंगे. अब अच्छे दिन आएंगे. योजना को लागू हुए तीन साल का वक्त हो चुका था, लिहाजा हमने सोचा कि क्यों न पड़ताल कर इस हकीकत का पता लगाया जाए कि आखिर योजना का कितना लाभ असल में लोगों को मिल रहा है.


लोगों के बीच पहुंची ईटीवी भारत की टीम
हमने छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में लोगों के बीच पहुंचकर उज्ज्वला योजना की पड़ताल शुरू की. हमारी टीम इसके लिए लोगों के घर पहुंची... इस दौरान हमारी आंखों के सामने जो भी दिखा, पहली नजर में उस पर भरोसा ही नहीं हुआ. हमने देखा कि यह योजना अंधकार में समा चुकी है. एलपीजी सिलेंडर कोने में पड़ा रीफलिंग का इंतजार कर रहा था और लाभार्थी महिला चूल्हा फूंककर लकड़ी और कंडे की आंच में खाना पका रही थी.


लोगों ने रीफिल नहीं कराया एलपीजी सिलेंडर
अब आप सोच रहे होंगे कि भला सिलेंडर होने के बाद भी ये चूल्हे पर खाना क्यों पका रहे हैं. जिले में योजना के तहत एक लाख 31 हजार 722 परिवारों को एलपीजी कनेक्शन बांटे गए थे, लेकिन इनमें से कुछ ही परिवार ऐसे होंगे, जिन्होंने दूसरी या फिर तीसरी बार सिलेंडर रीफिल कराया होगा.


सिस्टम ने नहीं दिया ध्यान
योजना लॉन्च तो कर दी गई, लेकिन शायद सरकार से लेकर सिस्टम किसी का इस ओर ध्यान नहीं दिया कि जो दिन में बमुश्किल दो सौ से तीन सौ रुपये कमा पाता है, वो भला करीब साढ़े सात सौ रुपये देकर सिलेंडर कैसे भरवाएगा. अगर किसी ने भी इस ओर ध्यान दिया होता, तो शायद इन महिलाओं के साथ-साथ कोने में पड़ा एलपीजी सिलेंडर अपने अच्छे दिन का इंतजार नहीं कर रहा होता.

बलौदाबाजार: एक मई 2016 यह वह तारीख थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को उज्ज्वला योजना का तोहफा दिया था. इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे आने वाले हर परिवार को दो सौ रुपये में एलपीजी गैस किट बांटी गई थी. हमने पड़ताल कर यह पता लगाने की कोशिश की कि, जिले में योजना का क्या हाल है.

पैकेज


लोगों को नहीं मिल रहा फायदा
पीएम ने जब गैस कनेक्शन बांटा था उस दौरान गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को यह उम्मीद जगी थी कि, धुआं से आजादी मिलेगी. लकड़ी और कोयला इकट्ठा करने का टेंशन छू मंतर हो जाएगा. दुखों के दिन लद जाएंगे. अब अच्छे दिन आएंगे. योजना को लागू हुए तीन साल का वक्त हो चुका था, लिहाजा हमने सोचा कि क्यों न पड़ताल कर इस हकीकत का पता लगाया जाए कि आखिर योजना का कितना लाभ असल में लोगों को मिल रहा है.


लोगों के बीच पहुंची ईटीवी भारत की टीम
हमने छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में लोगों के बीच पहुंचकर उज्ज्वला योजना की पड़ताल शुरू की. हमारी टीम इसके लिए लोगों के घर पहुंची... इस दौरान हमारी आंखों के सामने जो भी दिखा, पहली नजर में उस पर भरोसा ही नहीं हुआ. हमने देखा कि यह योजना अंधकार में समा चुकी है. एलपीजी सिलेंडर कोने में पड़ा रीफलिंग का इंतजार कर रहा था और लाभार्थी महिला चूल्हा फूंककर लकड़ी और कंडे की आंच में खाना पका रही थी.


लोगों ने रीफिल नहीं कराया एलपीजी सिलेंडर
अब आप सोच रहे होंगे कि भला सिलेंडर होने के बाद भी ये चूल्हे पर खाना क्यों पका रहे हैं. जिले में योजना के तहत एक लाख 31 हजार 722 परिवारों को एलपीजी कनेक्शन बांटे गए थे, लेकिन इनमें से कुछ ही परिवार ऐसे होंगे, जिन्होंने दूसरी या फिर तीसरी बार सिलेंडर रीफिल कराया होगा.


सिस्टम ने नहीं दिया ध्यान
योजना लॉन्च तो कर दी गई, लेकिन शायद सरकार से लेकर सिस्टम किसी का इस ओर ध्यान नहीं दिया कि जो दिन में बमुश्किल दो सौ से तीन सौ रुपये कमा पाता है, वो भला करीब साढ़े सात सौ रुपये देकर सिलेंडर कैसे भरवाएगा. अगर किसी ने भी इस ओर ध्यान दिया होता, तो शायद इन महिलाओं के साथ-साथ कोने में पड़ा एलपीजी सिलेंडर अपने अच्छे दिन का इंतजार नहीं कर रहा होता.

Intro: गरीब परिवार की महिलाओं को रसोई के धुएं से निजात दिलाने के लिए शुरू की गई उज्वला योजना का उद्देश्य उसी रसोई के धुएं में उड़ता नजर आ रहा है। केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत तो बड़ी जोर शोर से की लेकिन ग्रामीण महिलाएं अपने सिलेंडर का रिफिल करवाने में भी असमर्थ हैं लिहाजा जितना पैसा इस योजना के प्रचार-प्रसार और विज्ञापन पर खर्च किया गया वही पैसा अगर इन महिलाओं को गैस सिलेंडर दिलवाने के लिए किया जाता तो योजना कहीं सफल साबित होती। ईटीवी भारत की टीम उज्ज्वल योजना की पड़ताल करने जिला मुख्यालय से महज 4 किलो मीटर दूर भरसेली गाव पहुची जहा गरीब परिवारो को सिलेंडर तो बाटा गया लेकिन उन्हें बाद में इस योजना का लाभ नही मिल पाया।। की महिलाओं को रसोई में धुंए की घुटन से निदिलाने के लिए की थी।। गरीब परिवारो को महज 200 रुपए में गरीब परिवारो के लिए सिलेण्डर में दिया गया था।। योजनाओ के लिए


Body:गाव की महिलाओ ने बताया कि योजना तो अच्छी है लेकिन इसका सही तरह से लाभ नहीं मिल पा रहा है गाव की गरीब परिवार की महिलाएं ने कहा कि शुरुआत में 200 रुपए की दर से उन्हें सिलेंडर तो मिल गया लेकिन सिलेंडर खत्म होने के बाद उन्हें फिर से लकड़ी ओर चूल्हे से खाना बनाना पड़ा।। सिलेंडर का महंगा होना महिलाओ ने बताया कि उनके घरों में सिलेण्डर तो है लेकिन उसे रिफिल करवाने के लिए उतने पैसे नही है।। कभीं900 रुपए तो कभी 1000 रुपए देना पड़ता है ।।वही उनके परिवार की आय उतनी नही है के वे इतनी राशि देकर सिलेंडर रिफिल करवा सके।। सिलेण्डर आसानी से नही मिलता गाव में लोगो को सिलेंडर तो मिला है लेकिन सिलेण्डर रिफिलिंग की एजेंसी गाव से बहुत दूर है। गाव में लोगो कप अलग अलग एजेंसियों के माध्य्म से सिलेण्डर मिला है ।। कई लोग ऐसे है जिनकी सिलेंडर एजेंसी गाव से 20 से 21 किलोमीटर दूर है।जिससे उन्हें रिफलिंग के लिए आने जाने में जी ज्यादा पैसे लग जाते है।। साथ ही एजेंसियों के लोग भी बहुत कम पहुचते है।।


Conclusion:भरसेली गाव की महिला धनकुवार ध्रुव ने बताया के मुझे गैस सिलेंडर मिला है लेकिन जब पहली बार मुझे सिलेंडर मिला उसी का ही उपयोग किया है उसके बाद एक बार 1000 रुपए खर्च कर सिलेंडर भरवाया उसके बाद से उसका उपयोग नही किया है।।अभी हम लोग घर मे चूल्हे में ही खाना बनाते है।। सिलेण्डर इतना महंगा है कि हम उसे कैसे रिफिल करवाएं। लकड़ी काटकर और कंडे से बना रहे खाना वही महिला ने बताया कि वे लकडी ओर कंडे को इकट्ठा कर उसी से खाना बनाते है। चूल्हे से निलने वाले धुंए से भी हमे फर्क नही पड़ता सिलेंडर इतना महंगा की इस चूल्हे से ही हम खाना बना रहे है।। वही गाव में प्रायः गरीब परिवारों को उज्वला योजना के तहत सिलेण्डर मिला है लेकिन एक दो बार से ज्यादा ही किसी ने सिलेण्डर रिफिल करवा कर उसका इस्तेमाल किया होगा ।बाकी सभी चूल्हे में ही अपना भोजन बना रहे है।। जिले में उज्ज्वल योजना के तहत 1 लाख 31 हज़ार 7 सौ बाइस (131722) गरीब परिवारो को उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर बाटे गए है।। निर्माण श्रमिको को 8140।। कुल लाभन्वित गैर निर्माण श्रमिक शहरी 2013 तथा गैर निर्माण श्रमिक शहरी ग्रामीण 89951 अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति 22128 । प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को 229 अंत्योदय कार्ड धारक 9175 वनवासीयो को 86 लोगो को उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर बाटा गया है।। ग्रामीण।महिलाओं की बाईट।। चूल्हे में खाना बनाते शार्ट। लकड़ी काटते शार्ट। कंडे ओर लकड़ी के शार्ट ।। गाव की महिला धनकुवार ध्रुव के साथ one to one रिपोर्टर- सिद्धार्थ श्रीवसन बलौदा बाजार
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