बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ में जब से भूपेश सरकार ने कार्यभार संभाला है, तब से लेकर अब तक मवेशियों के संरक्षण को लेकर कई ऐलान किए गए. योजना से लेकर अभियान तक इसमें शामिल हैं. लेकिन बलौदाबाजार में बुधवार को करीब 12 मवेशियों के उफनती नदी में बह जाने की खबर सरकार की इन योजनाओं पर सवाल उठा रही है. योजनाओं के बावजूद मवेशियों की स्थिति दयनीय बनी हुई है.
ताजा मामला कसडोल जनपद पंचायत के बरघाट का है, यहां बुधवार सुबह से बारिश हो रही थी. जिसके बाद नाले में पानी ऊफान पर आ गया था. इस दौरान पुल पार कर रहे मवेशी तेज बहाव की चपेट में आ गए. करीब 12 मवेशी एक-एक कर नाले में बह गए. इस घटना में कितने मवेशियों की मौत हुई है, इसका अब तक खुलासा नहीं हो सका है. फिलहाल नाले का बहाव काफी तेज है, बहाव के थमने के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी.
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योजना से लेकर अभियान तक
भूपेश बघेल सरकार ने सत्ता में आते ही महत्वाकांक्षी योजना नरवा,गरवा,घुरवा, बारी की शुरुआत की थी. इसके तहत कई गौठानों का निर्माण कराए गया, लेकिन कई जिलों से गौठानों में मवेशियों की भूख से मौत की खबरें आई थीं. सरकार ने इसके बाद मवेशियों के संरक्षण और आवार पशुओं से फसल को बचाने के लिए रोका-छेका अभियान शुरुआत की, लेकिन कई जिलों में अभियान विफल रहा. हाल के दिनों में गौठानों की रूप रेखा सुधारने और लोगों में पशुधन मोह बढ़ाने के लिए गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई है. लेकिन मवेशियों के साथ हो रहे हादसों के बीच सरकार की सारी योजनाओं पर सवाल उठ रहे हैं.
पानी के बहाव में बहा था युवक
कसडोल के युवाओं ने बताया कि बरघाट पुल की उंचाई बहुत कम है, हल्की बरसात में पानी पुल के ऊपर से बहने लगता हैं बता दें कुछ दिन पहले भी इसी पुल को पार करते हुए एक युवक की पानी में बहने से मौत हो गई थी. लोगों का कहना है कि पुल पर हो रहे हादसों को रेलिंग लगाकर रोका जा सकता है. लेकिन शासन प्रशासन की अनदेखी के चलते अब तक पहल नहीं हुई है.