बलौदा बाजार: जिले के सिविल अस्पताल में बेड के अभाव के कारण डिलीवरी और नसबंदी के मरीजो के समय से पहले ही डिस्चार्ज करना पड़ रहा है. ऐसे करने से जच्चा और बच्चा दोनों को दिक्कतें हो रही है. दरअसल, सरकार के पास नई इमारत का प्रस्ताव अस्पताल की ओर से भेजा जा चुका है. हालांकि ये प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. जगह की कमी होने के कारण मरीजों को जल्दी डिस्चार्ज किया जा रहा है.
ग्रामीण क्षेत्र के लोग पहुंचते हैं अस्पताल: इस अस्पताल में गरीब, आदिवासी लोग स्वास्थ्य संबंधी समस्या को लेकर आते हैं. इस क्षेत्र के गरीब मजदूर, मध्यम वर्ग के लोग बडी से बड़ी बीमारी के इलाज के लिये शासकीय चिकित्सा सुविधा पर निर्भर हैं. भाटापारा क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल सिविल अस्पताल है. इस अस्पताल में 6 से 7 जिले के लोग इलाज के पहुंचते हैं.
अस्पताल में बड़े डॉक्टर और बड़ी बिल्डिंग की आवश्यकता: भाटापारा सिविल अस्पताल में डॉक्टरों का अभाव है. खास तौर पर हृदय रोग विशेषज्ञ ,शिशु रोग विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक, चर्मरोग विशेषज्ञ की कमी से यहां उचित इलाज लोगों को नहीं मिल पाता है. मरीजों की संख्या हर दिन यहां 250 से 300 की है. जबकि अस्पताल में जगह की काफी किल्लत है. जगह की कमी के कारण मरीजों को जल्द ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है.
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पुराने कलेक्टर की पहल से मिली महिला चिकित्सा की सुविधा: जिले के पुराने कलेक्टर के पहल से यहां महिला चिकित्सा की सुविधा मुहैया हो पायी है. इस सुविधा के मिलने के बाद यहां प्रसव, नसबंदी करायी जा रही है.
वर्तमान में सिविल अस्पताल में मिल रही सुविधा: वर्तमान में भाटापारा सिविल अस्पताल में एक्स-रे मशीन सुविधा, सोनोग्राफी हड्डी प्लास्टर सुविधा, ऑक्सीजन सुविधा है. इन सब सुविधाओं के बावजूद इस अस्पताल में चिकित्सक और जगह की कमी के कारण लोगों को दिक्कतें हो रही है.