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इलाज करने वाला अस्पताल ही हुआ 'बीमार', नहीं हैं कोई सुविधाएं - वाटर कूलरशौचालय का हाल भी बुरा

भाटापारा के सरकारी सामुदायिक स्वास्थय केंद्र  को जिला हॉस्पिटल की तरह तवज्जो दी जाती है. लेकिन इस अस्पताल में असुविधाओं की भरमार है. यहां न तो डॉक्टर हैं और न ही साफ-सफाई.

अस्पताल
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Published : Jun 3, 2019, 11:35 PM IST

Updated : Jun 4, 2019, 12:04 AM IST

बलौदा बाजार: देश भर में जहां एक तरफ स्वच्छ भारत अभियान जोर-शोर से चलाया जा रहा है. वहीं जिले में एक ऐसा स्वास्थ्य केंद्र है, जहां के अधिकारी और कर्मचारी स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. इस अस्पताल में असुविधाओं की भरमार है. यहां न तो डॉक्टर हैं और न ही साफ-सफाई. पीने के पानी के लिए लगे वाटर एटीएम भी शो-पीस बनकर रह गए हैं.

अस्पताल में नहीं हैं सुविधाएं

भाटापारा के सरकारी सामुदायिक स्वास्थय केंद्र को जिला हॉस्पिटल की तरह तवज्जो दी जाती है. यहां हर रोज लगभग 300 से 500 मरीज अपनी बीमारियों का इलाज कराने पहुंचते हैं. लेकिन इस अस्पताल में हड्डी रोग, महिला रोग, चाइल्ड स्पेश्लिस्ट, रेडियो लॉजिस्ट जैसे कई आवश्यक रोगों के डाक्टर नहीं हैं. वहीं ब्लड बैंक की शुरुआत हो सकती है लेकिन यहां के डॉक्टरों और बीएमओ का ध्यान न देना लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

वाटर कूलर और शौचालय का हाल भी बुरा
हॉस्पिटल में शौचालय की हालत बेहद खराब है. शौचालय के सेप्टिक टैंक में गंदगी का भंडार है. बिजली के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं. अस्पताल में वाटर कूलर तो लगाएं गए हैं लेकिन सफाई नहीं होने की वजह से इनका पानी पीने लायक नहीं है. वाटर कूलर को कभी साफ भी नहीं किया जाता है.

रात के समय डॉक्टर नहीं रहते मौजूद
वहीं जब साफ सफाई के मामले में अस्पताल के नर्स से पूछताछ कि गई तो उन्होंने बताया कि इसके लिए कई बार नगर पालिका को बोला गया है लेकिन नगर पालिका इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. वहीं अस्पताल के मरीज ने बताया कि दिन में तो इलाज के लिए डॉक्टर आ जाते हैं लेकिन रात के समय यहां कोई मौजूद नहीं रहता है.

अस्पताल में 108 की सुविधा का भी अभाव
इस भीषण गर्मी में अस्पताल में मरिजों के लिए कूलर तो लगाए गए हैं लेकिन उनमें से कई की स्थिति खराब है. लैब को ठंडा रखना बेहद जरूरी होता है लेकिन यहां कूलर लगाया ही नहीं गया है.
यहां आने वाले मरीजों को एंबुलेंस के लिए भटकना पड़ता है. इमरजेंसी में 108 की सुविधा नहीं मिल पाती. अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि गाड़ी खराब पड़ी है.

बलौदा बाजार: देश भर में जहां एक तरफ स्वच्छ भारत अभियान जोर-शोर से चलाया जा रहा है. वहीं जिले में एक ऐसा स्वास्थ्य केंद्र है, जहां के अधिकारी और कर्मचारी स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. इस अस्पताल में असुविधाओं की भरमार है. यहां न तो डॉक्टर हैं और न ही साफ-सफाई. पीने के पानी के लिए लगे वाटर एटीएम भी शो-पीस बनकर रह गए हैं.

अस्पताल में नहीं हैं सुविधाएं

भाटापारा के सरकारी सामुदायिक स्वास्थय केंद्र को जिला हॉस्पिटल की तरह तवज्जो दी जाती है. यहां हर रोज लगभग 300 से 500 मरीज अपनी बीमारियों का इलाज कराने पहुंचते हैं. लेकिन इस अस्पताल में हड्डी रोग, महिला रोग, चाइल्ड स्पेश्लिस्ट, रेडियो लॉजिस्ट जैसे कई आवश्यक रोगों के डाक्टर नहीं हैं. वहीं ब्लड बैंक की शुरुआत हो सकती है लेकिन यहां के डॉक्टरों और बीएमओ का ध्यान न देना लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

वाटर कूलर और शौचालय का हाल भी बुरा
हॉस्पिटल में शौचालय की हालत बेहद खराब है. शौचालय के सेप्टिक टैंक में गंदगी का भंडार है. बिजली के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं. अस्पताल में वाटर कूलर तो लगाएं गए हैं लेकिन सफाई नहीं होने की वजह से इनका पानी पीने लायक नहीं है. वाटर कूलर को कभी साफ भी नहीं किया जाता है.

रात के समय डॉक्टर नहीं रहते मौजूद
वहीं जब साफ सफाई के मामले में अस्पताल के नर्स से पूछताछ कि गई तो उन्होंने बताया कि इसके लिए कई बार नगर पालिका को बोला गया है लेकिन नगर पालिका इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. वहीं अस्पताल के मरीज ने बताया कि दिन में तो इलाज के लिए डॉक्टर आ जाते हैं लेकिन रात के समय यहां कोई मौजूद नहीं रहता है.

अस्पताल में 108 की सुविधा का भी अभाव
इस भीषण गर्मी में अस्पताल में मरिजों के लिए कूलर तो लगाए गए हैं लेकिन उनमें से कई की स्थिति खराब है. लैब को ठंडा रखना बेहद जरूरी होता है लेकिन यहां कूलर लगाया ही नहीं गया है.
यहां आने वाले मरीजों को एंबुलेंस के लिए भटकना पड़ता है. इमरजेंसी में 108 की सुविधा नहीं मिल पाती. अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि गाड़ी खराब पड़ी है.

Intro:भाटापारा - भाटापारा का सरकारी सामुदायिक स्वास्थय केंद्र जिसे जिला अस्पताल की तरह प्राथमिकता दी जाती है, जहां रोजाना लगभग 300 से 500 मरिज अपनी बिमारियो को लेकर इलाज के लिए पहॅुचते है। लेकिन इस अस्पताल मे हड्डी रोग,महिला रोग,चाइल्ड स्पेश्लिस्ट,रेडियो लाजिस्ट, जैसे कई आवश्यक रोगो के डाक्टर नही है,वही ब्लड बैंक की शुरूवात हो सकती है लेकिन यहां के डाक्टरो एवं बीएमओ का ध्यान न देना लोगो के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।

अस्पताल मे साफ सफाई नही , बदबु से मरिज हो सकते है और बीमार
जहां पुरे देश मे स्वच्छता अभियान पर जोर देकर लेागो के घरो मे शैाचालय बनवा कर लोगो को जागरूक किया जा रहा है वही भाटापारा के सामुदायिक स्वास्थय केंद्र के जनरल वार्ड मे स्वच्छता अभियान की घज्जियां उठाई जा रही , शौचालयो का निरिक्षण करने पर पाया कि पुरे शैाचालयो की सैफ्टिक टैंक गंदीगीयो से भरा हुआ है वही लाइट की व्यवस्था भी वहां नही है साथ ही बदबु इतनी की अगर शौचालय का दरवाजा खोल कर अंदर जाए तो सांस लेना मुश्किल हो जाता है साथ ही उल्टी हो जाएगी । यही हालत प्रसुति स्थल मे रखे महिलाओ के स्थानो के शौचालयो मे दिखाई दिया। वही साफ सफाई कि व्यवस्था भी ठप्प दिखाई दी। अस्पताल मे साफ ये देखा गया कि जहां इंसान इलाज के लिए जाता है वही इन हालातो के चलते और बीमार होकर वहा से निकलेंगा।

पीने का पानी है गंदा,कुलर लगा रहा सरकारी अस्पताल के इलाज पर प्रश्न चिन्ह
इस अस्पताल मे लगे वाटर कुलर के पानी देखने के बाद आपको उल्टी आ सकती है क्यो कि इस वाटर कुलर मे पीने का पानी दिखता है नाली के पानी की तरह, इस वाटर कुलर को कभी साफ भी किया जाता है ये सवाल इसके पानी को देखकर आप जरूर करेंगे,वही मरिजो एवं उनके साथ आए परिजनो के लिए पानी पीने के लिए व्यवस्था इस अस्पताल मे नही है। वही बात करे इस भीषण गर्मी मे अस्पताल मे मरिजो के लिए कुलर एवं एसी की तो अस्पताल का स्टाॅफ इसके लिए लोगो से दान मांगता नजर आता है, जबकि स्मार्ट कार्ड से इलाज कर पैसा अस्पताल शासन से वसुल कर लेती है। जबकि अस्पताल मे मरिजो के लिए लगाए गए कुछ कुलर है वही कई कुलर बिगड़े हुए है, अस्पताल के लैब मे कुलर ही नही जबकि अस्पताल के लैब को सबसे ज्यादा ठंडक की आवश्यकता होती है क्योकि यहां केमिकलो को रखा जाता है जिससे ब्लड टेस्ट जैसे कई टेस्ट किये जाते है लेकिन यहां भी कुलर नही लगाया गया है,जिसके कारण टेस्ट के रिपोर्ट सही नही आते जो सरकारी अस्पताल की विश्वसनीयता पर दाग लगाता है।

सरकारी वाहनो की नही व्यवस्था , जानवरो का लगा रहता है जमावड़ा
भाटापारा मे कही दुर्घटना हो जाए या मरिज को दुसरे अस्पताल ले जाना हो आपात काल की स्थिति हो तो मरिज शायद ही इस अस्पताल के भरोसे बच पाए क्यो कि इस अस्पताल मे 108 की सुविधा नही है बार बार पुछने पर अस्पताल स्टाॅफ के द्वारा गाड़ी खराब होने की बात कह कर पलड़ा झाड़ दिया जाता है वही अगर अस्पताल मे किसी की मृत्यू हो जाए और उसे ले जाने के लिए शव वाहन के 1099 पर काॅल किया जाए तो कभी तो लगता नही और लग भी जाता है तो दुसरो राज्यो के लोग उस पर बात करते सुनाई देता है। भाटापारा के इस अस्पताल मे जानवरो से भी खतरा बना रहता है क्योकि अस्पताल के कभी बेड के उपर तो कभी बेड नीचे, कभी डाक्टरो के बैठने की जगह मे तो वाटर कुलर के पास जानवर बैठे कभी भी मिल जाएगे,जिसके चलते मरिज एवं डिलवरी वाली महिलाओ एवं नवजन्मे बच्चो के लिए ये जानवर कभी भी खतरनाक हो सकते है।

अस्पताल के स्टाॅफ जवाब देने से बचते है , जवाबदार अधिकारी नही रहते मौजूद
अस्पताल के मरिज ने बताया कि दिन मे डाक्टर आ भी जाते है लेकिन रात के समय अगर समस्या हुई तो कोई डाक्टर मौजुद नही रहता है। वही इन सारी समस्याआ के लिए डयूटी पर मौजूद नर्स एंव स्टाॅफ से कुद पुछना चाहे तो उनके द्वारा जवाब देने से मना कर दिया गया वही न डाक्टर वहां मौजूद थे न कोई जिम्मेदार अधिकारी। वही कैमरे सामने न आकर एक नर्स ने बताया कि साफ सफाई के लिए कई बार नगर पालिका को बोला गया है लेकिन नगर पालिका इस पर ध्यान नही दे रही है।

बाइट - चंपा डहरिया, पटपर - मरिज के रिस्तेदार
बाइट - ओम प्रकाश वर्मा , दतरेंगी - मरिज के रिस्तेदार
बाइट - मनमोहन कुर्रे , स्थानीय निवासी
बाइट - मोहन निषाद , स्थानीय निवासी
बाइट - नर्स , डियुटी स्टाॅफ
बाइट - राजेश अवस्थी , बीएमओ भाटापारा Body:nConclusion:n
Last Updated : Jun 4, 2019, 12:04 AM IST
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