बलौदाबाजार: कसडोल विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है. बलौदाबाजार जिले के अंतर्गत कसडोल विधानसभा क्षेत्र आता है. यह सीट किसी भी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं है. इस साट को कांग्रेस का किला भी माना जाता है. हालांकि 2013 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के गौरीशंकर अग्रवाल ने कब्जा किया था. लेकिन 2018 के चुनाव में शकुंतला साहू विधायक निर्वाचित हुई और यह सीट फिर कांग्रेस की झोली में आ गई.
कसडोल विधानसभा सीट को जानिए: कसडोल विधानसभा अपने वन्य क्षेत्र और पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. भगवान श्रीराम अपने 14 साल के वनवास काल में इन्ही जंगलों के रास्ते से होकर गुजरे थे. ऐसे माना जाता है कि श्रीराम और माता जानकी के दोनों पुत्र लव और कुश का जन्म इसी वन में हुआ था. इसलिए कसडोल को "लव कुश की नगरी" कहा जाता है. इसलिए यहां की राजनीति भागवान राम के इर्द गिर्द घुमती रही है. अलग राज्य बनने के बाद 2003 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राजकमल सिंघानिया ने बीजेपी के गौरीशंकर अग्रवाल को हराया था. 2008 में फिर कांग्रेस के राज कमल सिंघानिया ने बीजेपी प्रत्याशी को हराया. लेकिन 2013 में राजकमल सिंघानिया को बीजेपी के गौरीशंकर अग्रवाल ने पटखनी दी. 2018 में कांग्रेस की शकुंतला साहू ने फिर गौरीशंकर अग्रवाल को हराकर इस सीट पर कांग्रेस का परचम फहराया.
कसडोल विधानसभा में मतदाताओं की संख्या: कसडोल विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3 लाख 61 हजार 626 मतदाता हैं. जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 181287 है. वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 180336 हैं. थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या यहां 3 है.
कसडोल विधानसभा सीट का जातिगत समीकरण: कसडोल विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात करे, तो यहां सतनामी समाज सबसे ज्यादा है. सतनामी समाज के बाद सबसे ज्यादा तेली और कुर्मी अधिक हैं. कसडोल विधानसभा में सबसे ज्यादा OBC वोटर हैं. कसडोल में लगभग 45 फीसदी OBC, 30 फीसदी SC, 15 फीसदी ST और 10 फीसदी अन्य मतदाता हैं. इसलिए इस सीट में जीत हात का फैसला ओबीसी वर्ग के वोटों पर निर्भर करता है.
कसडोल विधानसभा क्षेत्र की समस्याएं: कसडोल के कई इलाकों में आजादी के 75 बरस बाद भी लोग बिजली,पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. यहां के किसान सिंचाई की समस्या से भी जूझ रहे हैं. यहां सिचाई संसाधनों की भी कमी हैं. सड़क, शिक्षा और स्वास्थ सुविधाओं का हाल बेहाल है. यहां अब तक इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, सर्व सुविधा युक्त ITI नहीं होने के वजह से बच्चे बाहर जाकर पढ़ाई करते हैं. शिक्षा का स्तर काफी गिरा हुआ है. सबसे ज्यादा शिक्षक की कमी देखी जाती हैं. कसडोल में बहुत सारे पर्यटन स्थल हैं, लेकिन वहां तक जाने का रास्ता खराब है. अवैध रेत परिवहन की भी शिकायतें मिलती है.
2018 विधानसभा चुनाव में कसडोल की स्थिति: 2018 में कसडोल विधानसभा सीट पर करीब 97 फीसदी मतदान हुआ. इसमें कांग्रेस को 49 फीसदी वोट, बीजेपी को 30 फीसदी वोट मिले. इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार शकुंतला साहू ने जीत दर्ज कर पहली बार विधायक चुनी गई. कांग्रेस को इस सीट से 1, 21, 422 वोट मिले. वहीं बीजेपी के पूर्व विधायक गौरीशंकर अग्रवाल 73, 004 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस प्रत्याशी शकुंतला साहू ने गौरीशंकर अग्रवाल को 48, 418 वोटों से हारया था.