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बलौदाबाजार : अन्नदाता की मुसीबत बढ़ा रहा 'करगा', जिम्मेदार बेपरवाह

जिले के भाटापारा के किरवई गांव के किसान अपने फसलों को लेकर चिंतित हैं. यहां के किसान खेतों में 'करगा' (जंगली धान) की मात्रा ज्यादा और धान की मात्रा कम दिखने से परेशान हैं.

फसलों को बर्बाद कर रहा है 'करगा'
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Published : Sep 9, 2019, 10:49 PM IST

Updated : Sep 9, 2019, 11:42 PM IST

बलौदाबाजार : जिले के भाटापारा के किरवई गांव के किसानों के रातों की नींद उड़ गई है. इसकी वजह ये है कि लगभग 70 फीसदी धान की फसल खराब हो चुकी है. पीड़ित किसानों का कहना है कि हर साल की तरह इस साल भी दामाखेड़ा सोसायटी से प्रमाणित बीज लेकर फसल की बोआई की थी, लेकिन जैसे-जैसे धान के पौधे बड़े होते गए, उसमें करगा (जंगली धान) की मात्रा ज्यादा और धान की मात्रा कम दिखने लगी.

फसलों को बर्बाद कर रहा है 'करगा'

इसे कहते हैं 'करगा'

  • बोआई के समय एक खेत में एक ही प्रजाति के धान के बीजों की बोआई की जाती है, लेकिन एक समान दिखने वाले ये बीज उगने के बाद अलग प्रजाति के हो जाते हैं और फसल पकने के समय धान में चमक होने की जगह कालापन आ जाता है.
  • साथ ही इन फसलों के दानों में मिंजाई के बाद भी बीजों में काटानुमा डाल लगा होता है, जिसे आम भाषा मे 'सुंघा' कहा जाता है.
  • यह 'करगा' धान पकने के बाद भी इसकी बालियां अपने आप ही खेत में झड़ने लगती है और कम से कम पांच सालों तक खेती के समय अपने आप ही खेत में उगकर अच्छे किस्म के फसलों को बर्बाद कर देती हैं.
    karga is ruining the crops of farmers in baloda bazar
    करगा (जंगली धान)

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह 'करगा' किसानों के लिए एक तरह से किसी कचरे की तरह ही है, जो न तो किसी कीटनाशक से खत्म होता है न किसी खाद से. इसके उगने से सीधा नुकसान किसानों की जेब पर पड़ता है और सालभर की इनकी मेहनत पानी में चली जाती है.

प्रमाणित बीज के नाम पर धोखा
ऐसे में किसानों का चिंतित होना लाजमी है क्योंकि सरकार के दावों की वजह से ही किसानों के बीच प्रमाणित बीज का चलन बढ़ा है और प्रमाणित बीज लगाने से किसानों को लाभ भी हुआ है, लेकिन इस साल बीज सप्लाई करने वाली और खरीदी करने वाली कंपनी की लापरवाही और मिलीभगत से किरवई गांव के सैकड़ों एकड़ खेत में फसल के बजाय 'करगा' (जंगली धान) देखने को मिल रहा है, जो वास्तव में किसानों के साथ धोखा है. इससे इनकी सालभर की कमाई का नुकसान तो होगा ही साथ ही आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा.

पढ़ें- छत्तीसगढ़: शहर-शहर पानी का कहर, गांवों में खिले किसानों के चेहरे, शहर में बना परेशानी का सबब

किसानों की स्थिति हो सकती है खराब
किसानों का कहना है कि, 'कृषि विभाग के अधिकारी भी नहीं बता पा रहे हैं कि यह पौधा धान है या 'करगा'. अब ऐसे में न तो हम निदाई कर पा रहे हैं और न ही दवा का छिड़काव. 'इसकी शिकायत कृषि अधिकारी, SDM, कलेक्टर और जनप्रतिनिधि को की जा चुकी है, लेकिन महीनों बीतने के बाद भी कोई भी खेत को झांकने या हमारी व्यथा सुनने के लिए गांव में कोई नहीं आया.'

मामले में ऐसी सोसायटी के खिलाफ कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में अन्नदाता के साथ धोखा न हो सके.

बलौदाबाजार : जिले के भाटापारा के किरवई गांव के किसानों के रातों की नींद उड़ गई है. इसकी वजह ये है कि लगभग 70 फीसदी धान की फसल खराब हो चुकी है. पीड़ित किसानों का कहना है कि हर साल की तरह इस साल भी दामाखेड़ा सोसायटी से प्रमाणित बीज लेकर फसल की बोआई की थी, लेकिन जैसे-जैसे धान के पौधे बड़े होते गए, उसमें करगा (जंगली धान) की मात्रा ज्यादा और धान की मात्रा कम दिखने लगी.

फसलों को बर्बाद कर रहा है 'करगा'

इसे कहते हैं 'करगा'

  • बोआई के समय एक खेत में एक ही प्रजाति के धान के बीजों की बोआई की जाती है, लेकिन एक समान दिखने वाले ये बीज उगने के बाद अलग प्रजाति के हो जाते हैं और फसल पकने के समय धान में चमक होने की जगह कालापन आ जाता है.
  • साथ ही इन फसलों के दानों में मिंजाई के बाद भी बीजों में काटानुमा डाल लगा होता है, जिसे आम भाषा मे 'सुंघा' कहा जाता है.
  • यह 'करगा' धान पकने के बाद भी इसकी बालियां अपने आप ही खेत में झड़ने लगती है और कम से कम पांच सालों तक खेती के समय अपने आप ही खेत में उगकर अच्छे किस्म के फसलों को बर्बाद कर देती हैं.
    karga is ruining the crops of farmers in baloda bazar
    करगा (जंगली धान)

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह 'करगा' किसानों के लिए एक तरह से किसी कचरे की तरह ही है, जो न तो किसी कीटनाशक से खत्म होता है न किसी खाद से. इसके उगने से सीधा नुकसान किसानों की जेब पर पड़ता है और सालभर की इनकी मेहनत पानी में चली जाती है.

प्रमाणित बीज के नाम पर धोखा
ऐसे में किसानों का चिंतित होना लाजमी है क्योंकि सरकार के दावों की वजह से ही किसानों के बीच प्रमाणित बीज का चलन बढ़ा है और प्रमाणित बीज लगाने से किसानों को लाभ भी हुआ है, लेकिन इस साल बीज सप्लाई करने वाली और खरीदी करने वाली कंपनी की लापरवाही और मिलीभगत से किरवई गांव के सैकड़ों एकड़ खेत में फसल के बजाय 'करगा' (जंगली धान) देखने को मिल रहा है, जो वास्तव में किसानों के साथ धोखा है. इससे इनकी सालभर की कमाई का नुकसान तो होगा ही साथ ही आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा.

पढ़ें- छत्तीसगढ़: शहर-शहर पानी का कहर, गांवों में खिले किसानों के चेहरे, शहर में बना परेशानी का सबब

किसानों की स्थिति हो सकती है खराब
किसानों का कहना है कि, 'कृषि विभाग के अधिकारी भी नहीं बता पा रहे हैं कि यह पौधा धान है या 'करगा'. अब ऐसे में न तो हम निदाई कर पा रहे हैं और न ही दवा का छिड़काव. 'इसकी शिकायत कृषि अधिकारी, SDM, कलेक्टर और जनप्रतिनिधि को की जा चुकी है, लेकिन महीनों बीतने के बाद भी कोई भी खेत को झांकने या हमारी व्यथा सुनने के लिए गांव में कोई नहीं आया.'

मामले में ऐसी सोसायटी के खिलाफ कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में अन्नदाता के साथ धोखा न हो सके.

Intro:भाटापारा - सोसायटी के माध्यम से प्राप्त प्रमाणित बीज किसानो के लिए बनी मुसीबत का कारण , सैकड़ो एकड़ खेत मे धान उगने के बजाय 70 फीसदी उग गए करगा (खराब) फसल , न्याय पाने महीनों से लगा चुके है अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के चक्कर ।Body:भाटापारा - भाटापारा विधानसभा अंतगर्त किरवई गाँव के किसानो के रातों की नींद उड़ गई है और इसका कारण है इनकी फसल का लगभग 70 फीसदी धान का करगा हो जाना । पीड़ित किसानों का कहना है कि प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी दामाखेड़ा सोसायटी से प्रमाणित बीज ले कर फसल की बोआई की गई थी लेकिन जैसे जैसे धान के पौधे बड़े होते गए उसमें करगा की मात्रा अधिक और धान की मात्रा कम दिखने लगी ।

आखिर ये करगा किसे कहते है

अब समझ लेते है करगा कहा किसे जाता है और इसके उगने से किसान चिंतित क्यो है - दरसल बोआई के समय एक खेत मे एक ही प्रजाति की धान के बीज की बोआई की जाती है लेकिन एक समान दिखने वाली यह बीज उगने के बाद अलग प्रजाति की हो जाती है और फसल पकने के समय धान में चमक होने के बजाय काला पन आता है साथ ही दाने में मिजाई के बाद भी बीज में काटानुमा डाल लगा होता है जिसे आम भाषा मे सुंघा कहा जाता है । साथ ही ,यह करगा धान पकने के बाद भी बालियां अपने आप ही खेत मे झड़ने लग जाती है। और कम से कम 5 वर्ष तक खेती के समय अपने आप ही खेत मे उग कर अच्छे किस्म के फसल को बर्बाद कर देती है तो कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह करगा किसानों के लिये एक तरह से किसी कचरे की तरह ही है जो न तो किसी कीटनाशक से समाप्त होता है ना नींदानाशक से , इसके उगने से सीधा नुकसान किसानो की जेब पर पड़ता है और साल भर की इनकी मेहनत पानी मे चली जाती है ।

प्रमाणित बीज के नाम पर किसानो से धोखा

अब ऐसे में किसानों का चिंतित होना लाजमी है क्योंकि सरकार के दावों के कारण ही किसानों के बीच प्रमाणित बीज का चलन बढ़ा है । और प्रमाणित बीज लगाने से किसानों को लाभ भी हुआ है, लेकिन इस वर्ष बीज सप्लाई करने वाली कंपनी व खरीदी करने वाली फर्म की लापरवाही और मिलीभगत की वजह से किरवई के सैकड़ो एकड़ खेत मे फसल के बजाय करगा देखने मिल रहा है जो वास्तव में किसानों के साथ धोखा है जिससे इनकी साल भर की कमाई का नुकसान तो होगा ही है साथ इन पर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा । किसानों का यह भी कहना है कि कृषि विभाग के अधिकारी भी नही बता पा रहे है कि यह पौधा धान है या करगा अब ऐसे में न तो हम निंदाई कर पा रहे है ना ही दवा का छिड़काव कर पा रहे है । हमारे लिए धर्म संकट खड़ा हो गया है कि इस फसल की देखभाल की जाय या छोड़ दिया जाय । जबकि इसकी शिकायत कृषि अधिकारी ,एस डी एम ,कलेक्टर ,जनप्रतिनिधि सभी को की जा चुकी है लेकिन महीनों बित जाने के बाद भी खेत को झांकने या हमारी व्यथा सुनने वाला गाँव मे कोई भी नही आया है । अगर यह धान 70 फीसदी करगा फसल पकने के बाद भी रहा तो हम बर्बाद हो जायेगे हमारी आर्थिक स्तिथि बिगड़ जाएगी । जबकि हमारी मांग यह है कि जवाबदार आगे आकर हमारी समस्या सुने और जिन्होंने हमे धोखे में रख कर सोसायटी के माध्यम से बीज दिया उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाए ताकि भविष्य में अन्नदाताओं के साथ कभी ऐसा धोका न किया जा सके। वही सरकार से भी मदद की गुहार किसानो ने लगाई ।


बाइट - दुखित राम , किसान (बनियान पहना हाथ मे औजार लिए) - हमन बलौदबाजार गे हन , सिमगा गे हन , कलेक्टर करा गे हन , अधिकारी मन गलौ आ के देखिसे लेकिन हमर समस्या ला हल करबे नई करत हे हमन तो कर्जा मे बुड़िगेहन अउ पुरा ये धान करगा होइचे धान नो है ये हा ,अब हमन का करबो सरकार मन निवारण करहु भुगतान ला ,हमन किसान मन खतम होगेन , कर्जा मा बुड़गेन हमन , ये मा पुरा 75 प्रतिशत करगा हे।

बाइट - कृष्ण निर्मलकर किसान (सफेद टी शर्ट मे )- प्रमाणित बीज हर साल डालत रहेन ये मा , ये साल भी डाले हन लेकिन बहुत बड़े धोखा खाएन हमन ये साल अउ धोखा एैसे खागेन कि जेमा धान है वो मा 80 परसेंट करगा दिखत हे , अउ ये करगा ल ले के हमन हा विधायक कना भी गे हन एसडीएम साहब कना भी गे हन , कलेक्टर साहब कना भी गे हन अउ कृषि अधिकारी मन करा भी गे हन लेकिन कम से कम 15 से 20 दिन होगे हमन ला कोई जवाब नई मिले है संतुष्टी वाला , अउ हमन बहुत बड़े असमस्जस के स्थिति मा हन कि हम निंदन काला , चालन काला , खातु कचरा कैसे डालन , तो बहुत सारा खर्चा कर डरे हावन आलरेडी अउ लगभग लगभग धान के पोटरी के समय आगे हे तो हमर लिये भयंकर बडे़ विपत्ति के समस्या हरे अगर ये करगा अगर निकल गे तो पुरा हम किसान बर्बाद हन अउ लगभग 180 जमीन मा डरे हे ये हा अउ हर किसान व्याकुल चितिंत हन एकदम

बाइट - लीलाराम , किसान (सफेद,हरा,काला कलर का चेक टीशर्ट एवं मुछ) - हमन दामाखेड़ा सोसायटी से लानेन हावन , अउ हमन हर साल लाथन लेकिन ये बार पुरा करगा दिखत हावय , मै हा पहली ग्राम सेवक मेर गेव ता वो हा करगा ये कही दिस , तेखर बाद ज्यादा परसेंट ए कहिंथन ता धान ए कहिंथे , ता कोई समझते नई बनत हे , विधायक कना गेन , एसडीएम आॅफिस गेन , कलेक्टर आफिस गेन , बांकि पहली दिखाथन ता करगा ये कहिथे , परसेंटेज ला बताथन ता धान ए कहिंथे बांकि समझ नई आवथ थे का होवत हे ते , परेशानी हे कहंीं करगा निकल गे ता 5 साल से पदोही अलग अउ ये साल झर जही वो हा अउ हमन पुरा कर्जा मे डुब जबो , उ मन हा निरिक्षण करके बताबो कहिथे लेकिन कुछु बताबे नई करे वोमन हा ,1 महीना होगे एैसे तैसे कुछ करत , मोर मा 8 एकड़ मा हावय अउ बांकि अउ किसान मा तो ढाई तीन सौ तको एकड़ पहॅुच जही ।

बाइट - डी.आर.रात्रे,एसडीएम (हल्का गुलाबी टी शर्ट एवं चेंदवा ) -पार्ट 1 - किरवई ग्राम के किसान मेरे पास आए थे उनका जो शिकायत था उस संबंध मे कृषि विभाग को अवगत करा दिया गया है और मै स्वयं बात किया हूॅ और मामला क्या है जांच हो रहा है और वास्तविक इस प्रकार हुआ कि नही हुआ है जांच के बाद ही पता चल पाएगा क्या है

बाइट - डी.आर.रात्रे,एसडीएम -पार्ट 2 - जो नियम है कृषि विभाग मे , कुछ आचार संहिता है इस संबंध मे उसी प्रकार कार्यवाही की जाएगी गलत कुछ पाए जाने पर Conclusion:n
Last Updated : Sep 9, 2019, 11:42 PM IST
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