बलौदा बाजार: नगरीय निकाय चुनाव के पहले आरोप-प्रत्यारोप और जीत के दावों का दौर चल रहा था, लेकिन मंगलवार को जब कसडोल नगर पंचायत में जनमत का पिटारा खुला और चुनाव परिणाम को देखकर हर कोई दंग रह गया. नगर पंचायत कसडोल में इस बार जीत के दावेदार दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा. कसडोल नगर पंचायत में इस बार न सत्ता काम आई और न ही धनबल काम आया. काम आया तो प्रत्याशिओं को अपनी छवि.
कसडोल नगर पंचायत के 15 वार्डों में इस बार चुनावी घमासान जमकर देखने को मिला, लेकिन मंगलवार को जब 64 प्रत्यशियों के मतों की गिनती शुरू हुई, तो दिग्गज नेताओं की सांसें थम गई, बात अगर की जाए कसडोल नगर के सबसे महत्वपूर्ण और दिलचस्प वार्ड क्रमांक 7 की तो यहां से कसडोल के निवर्तमान निर्दलीय अध्यक्ष योगेश बंजारे का भविष्य दांव पर था.
ओबीसी महिला के लिए आरक्षित इस सीट से योगेश बंजारे ने अपनी पत्नी मोनिका बंजारे को चुनावी मैदान में उतारा था. पांच सालों तक कसडोल नगर की कमान संभालने के बाद योगेश बंजारे के लिए यह चुनाव शाख का चुनाव था. क्योंकि योगेश बंजारे की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती थी, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी काम करने के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. योगेश बंजारे ने एक बार फिर बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा.
कड़ा मुकाबला
कसडोल के अन्य वार्डों नगर पंचायत में दूसरा सबसे दिलचस्प मुकाबला वार्ड क्रमांक 8 में देखने को मिला, इसमें घर घर जाकर पेपर बांटने वाले कम ऊंचाई के हॉकर रूप चंद साहू ने दो बार दिग्गज पार्षद चंद्रिका साहू को मात दी. रूपचंद साहू सामान्य घर से आते हैं और कम ऊंचाई की वजह से नगर पंचायत चुनाव में सुर्खियों में आये थे.कसडोल नगर पंचायत में एक ऐसा ही मुकाबला देखने को मिला वार्ड क्रमांक 6 से जहां कांग्रेस के वर्तमान ब्लॉक अध्यक्ष अशोक यादव की धर्मपत्नी पदमा यादव चुनावी मैदान में बीजेपी से चुनाव हार गई. अगर कसडोल नगर पंचायत में नजर डालें, तो कसडोल नगर के 15 वार्डों में 7 में कांग्रेस, 5 में बीजेपी और 3 में निर्दलीयों का कब्जा हो गया है जबकि कसडोल में अध्यक्ष बनने के लिए 8 पार्षदों के बहुमत होना जरूरी है. ऐसे में बीजेपी 3 निर्दलीयों को लेकर नगर पंचायत में अध्यक्ष बनाने की कवायद में जुटी है.