बलौदाबाजार: राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक वन अधिकार पट्टा से आदिवासियों की जीवन शैली में काफी बदलाव आया है. प्रकृति को सहजते हुए खेती-किसानी के काम में लगे हुए किसानों को वन अधिकार पत्र मिल रहा है. इसी के तहत जिले के कसडोल विकासखंड के 2 किसानों को वन अधिकार पत्र मिला है.
![Farmers of Balodabazar got van adhikar patra](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04:46:06:1595934966_cg-blb-01-van-adhikar-patr-im-cg10029_28072020161819_2807f_1595933299_162.jpg)
कसडोल विकासखंड के ग्राम थरगांव का रहने वाले महेश राम बरिहा ने बताया कि उनके पास जमीन के कागजात नहीं होने से हमेशा उन्हें काबिज जमीन को छोड़ने का डर सताता रहता था, लेकिन राज्य सरकार ने हमें काबिज भूमि 3.2 एकड़ का वन अधिकार पत्र दिया है. जिससे अब हमें जमीन का मालिकाना हक मिल गया है.
हमारे पुरखों का देखा हुआ सपना
किसान महेश राम बरिहा का कहना है कि इससे न केवल मेरा सपना बल्कि यह हमारे पुरखों का देखा हुआ सपना है. जो आज वन अधिकार पत्र के माध्यम से पूरा हुआ है. महेश राम ने आगे बताया कि वे हर मौसम में अलग-अलग फसल लेते हैं. जिसमें धान, गेंहू और उड़द शामिल है. फसलों में धान के फसल को 25 सौ बोनस के साथ प्रति क्विंटल में बेचना से दोगुनी खुशी मिलती है.
सोसायटी से खाद और बीज मिल गया
उन्होंने आगे बताया कि इस साल बोनस के पैसे से अपनी ही जमीन पर एक बोर भी करवाएं हैं. ताकि पानी की समस्या न हो. जमीन का पट्टा मिलने से उन्हें अभी खरीफ फसल के लिए सहकारी सोसायटी से खाद और बीज मिल गया है.
धान और सब्जी की खेती
ऐसे ही कसडोल विकासखंड के ग्राम राजादेवरी निवासी झूमक लाल बंदे ने बताया की उन्हें 3 एकड़ काबिज भूमि का वन अधिकार मिला है. किसान झुमक ने कहा कि इस जमीन पर वे धान और सब्जी की खेती करते हैं, और यहीं उनका आय का प्रमुख स्रोत है. वन अधिकार पत्र मिलने से जमीन छोड़ने और किसी के भगाने का डर दूर हो गया है. साथ ही खेती काम में सोसायटी खाद और बीज प्राप्त करनें में समस्या नहीं होती है. उन्होंने कहा कि अब निश्चिंत होकर अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे हैं.