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जानिए, यहां दशहरे पर क्यों नहीं होता रावण दहन ? - राजशाही दशहरा बिलाईगढ़ बलौदाबाजार

बलौदाबाजार के बिलाईगढ़ का राजशाही दशहरा पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है. जानिए आखिर क्या खास है यहां की परंपरा में ?

राजपरिवार महल, बिलाईगढ़
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Published : Oct 7, 2019, 2:49 PM IST

बलौदाबाजार: बस्तर दशहरा के बाद बलौदाबाजार के बिलाईगढ़ का दशहरा पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है. इस दशहरा को राजशाही दशहरा के रूप में जाना जाता है. यह दशहरा 150 साल पुरानी पंरपरा को समेटे हुए है और इस साल राजशाही दशहरा महोत्सव 9 अक्टूबर को होगा. जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम शामिल होंगे.

बिलाईगढ़ में नहीं किया जाता रावण दहन

5 पीढ़ियों से नहीं किया गया रावण दहन
बिलाईगढ़ का राजशाही दशहरा 5 पीढ़ियों से चला आ रहा है. यहां परंपराओं का निर्वहन करते हुए आदिवासियों ने आज तक रावण दहन नहीं किया. 150 साल पुरानी रावण दहन नहीं करने की परंपरा आज भी उसी तरह पूरी की जाती है.

15 दिन पहले से की जाती है खेलों की तैयारी
बिलाईगढ़ में महल से दो किलोमीटर की दूरी में एक रैनी भाटा मैदान है. इस मैदान में महाराजाओं के जमाने में युद्ध हुआ करता था और युद्ध में जिसकी भी जीत होती थी महाराज उसे सम्मानित करते थे.

वह परंपरा आज भी चली आ रही है. लेकिन आज युद्ध की जगह खेलों का आयोजन किया जाता है. इस खेल में भाग लेने और जीतने के लिए 40 किलोमीटर के दायरे से लोग आते हैं और 15 दिन पहले से ही खेलों की तैयारी करते रहते हैं. यहां खासकर तीरंदाजी का खेल सबसे ज्यादा प्रचलन में है.

राजपरिवार ने अनुदान लेने से किया था मना
वैसे तो यहां के दशहरा में प्रदेश के बड़े-बड़े मंत्री का आना-जाना लगा रहता है. इसके पहले भी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह शामिल हो चुके हैं और उस समय रमन सिंह ने घोषणा किया था कि यहां के दशहरा के लिए वो शासन की तरफ से अनुदान देंगे, लेकिन राजपरिवार ने अनुदान लेने से मना कर दिया था.

राजपरिवार के लोग करते हैं शौर्य प्रदर्शन
स्थानीय लोगों के मुताबिक, 'बस्तर दशहरे के बाद बिलाईगढ़ का दशहरा प्रदेश में दूसरे स्थान पर है. दशहरे के दिन राजपरिवार के लोग विशेष श्रृंगार करते हैं और शौर्य का प्रदर्शन करते हैं. इसे देखने के लिए पूरे प्रदेश से लोगों की भारी भीड़ जुटती है करीब 10 हजार लोग दशहरा देखने आते हैं.'

पढ़ें- आप भी देखें सरेआम जाम छलकाते पुलिसकर्मियों का VIRAL VIDEO

रावण दहन बिलाईगढ़ के लिए अशुभ !
बिलाईगढ़ के राजा ओंकार शरण सिंह बताते हैं कि, 'यहां शुरु से ही रावण दहन नहीं किया जाता था, लेकिन कुछ वर्ष पहले यहां रावण दहन किया गया था जिसके बाद बिलाईगढ़ में अशुभ घटना घटी तबसे यहां रावण दहन नहीं किया जाता.'

पढ़ें- GOOD NEWS: जशपुर में मिली तितलियों की तीन नई प्रजातियां

राजपरिवार उठाता है दशहरे का पूरा खर्च
यहां के दशहरे में राजपरिवार से जितने भी लोग दर्शन के लिए आते हैं सभी कि लिए भोजन की व्यवस्था की जाती है. खास बात है कि इस कार्यक्रम में किसी से सहयोग नहीं लिया जाता है, जितना भी खर्च होता है राजपरिवार की तरफ से किया जाता है.

बलौदाबाजार: बस्तर दशहरा के बाद बलौदाबाजार के बिलाईगढ़ का दशहरा पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है. इस दशहरा को राजशाही दशहरा के रूप में जाना जाता है. यह दशहरा 150 साल पुरानी पंरपरा को समेटे हुए है और इस साल राजशाही दशहरा महोत्सव 9 अक्टूबर को होगा. जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम शामिल होंगे.

बिलाईगढ़ में नहीं किया जाता रावण दहन

5 पीढ़ियों से नहीं किया गया रावण दहन
बिलाईगढ़ का राजशाही दशहरा 5 पीढ़ियों से चला आ रहा है. यहां परंपराओं का निर्वहन करते हुए आदिवासियों ने आज तक रावण दहन नहीं किया. 150 साल पुरानी रावण दहन नहीं करने की परंपरा आज भी उसी तरह पूरी की जाती है.

15 दिन पहले से की जाती है खेलों की तैयारी
बिलाईगढ़ में महल से दो किलोमीटर की दूरी में एक रैनी भाटा मैदान है. इस मैदान में महाराजाओं के जमाने में युद्ध हुआ करता था और युद्ध में जिसकी भी जीत होती थी महाराज उसे सम्मानित करते थे.

वह परंपरा आज भी चली आ रही है. लेकिन आज युद्ध की जगह खेलों का आयोजन किया जाता है. इस खेल में भाग लेने और जीतने के लिए 40 किलोमीटर के दायरे से लोग आते हैं और 15 दिन पहले से ही खेलों की तैयारी करते रहते हैं. यहां खासकर तीरंदाजी का खेल सबसे ज्यादा प्रचलन में है.

राजपरिवार ने अनुदान लेने से किया था मना
वैसे तो यहां के दशहरा में प्रदेश के बड़े-बड़े मंत्री का आना-जाना लगा रहता है. इसके पहले भी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह शामिल हो चुके हैं और उस समय रमन सिंह ने घोषणा किया था कि यहां के दशहरा के लिए वो शासन की तरफ से अनुदान देंगे, लेकिन राजपरिवार ने अनुदान लेने से मना कर दिया था.

राजपरिवार के लोग करते हैं शौर्य प्रदर्शन
स्थानीय लोगों के मुताबिक, 'बस्तर दशहरे के बाद बिलाईगढ़ का दशहरा प्रदेश में दूसरे स्थान पर है. दशहरे के दिन राजपरिवार के लोग विशेष श्रृंगार करते हैं और शौर्य का प्रदर्शन करते हैं. इसे देखने के लिए पूरे प्रदेश से लोगों की भारी भीड़ जुटती है करीब 10 हजार लोग दशहरा देखने आते हैं.'

पढ़ें- आप भी देखें सरेआम जाम छलकाते पुलिसकर्मियों का VIRAL VIDEO

रावण दहन बिलाईगढ़ के लिए अशुभ !
बिलाईगढ़ के राजा ओंकार शरण सिंह बताते हैं कि, 'यहां शुरु से ही रावण दहन नहीं किया जाता था, लेकिन कुछ वर्ष पहले यहां रावण दहन किया गया था जिसके बाद बिलाईगढ़ में अशुभ घटना घटी तबसे यहां रावण दहन नहीं किया जाता.'

पढ़ें- GOOD NEWS: जशपुर में मिली तितलियों की तीन नई प्रजातियां

राजपरिवार उठाता है दशहरे का पूरा खर्च
यहां के दशहरे में राजपरिवार से जितने भी लोग दर्शन के लिए आते हैं सभी कि लिए भोजन की व्यवस्था की जाती है. खास बात है कि इस कार्यक्रम में किसी से सहयोग नहीं लिया जाता है, जितना भी खर्च होता है राजपरिवार की तरफ से किया जाता है.

Intro:बलोदा बाजार - दशहरा हिंदूओ का एक प्रमुख तोहार है अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इस का आयोजन होता है भगवान राम ने इस दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नवरात्रि व 10 दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था इसे असत्य पर सत्य का विजय के रुप में मनाया जाता है इसलिए इस दशमी को विजयदशमी के नाम से भी मनाया जाता है. बिलाईगढ़ की राजशाही दशहरा बस्तर के बाद प्रदेश मैं दुसरे स्थान पर माना जाता है. इस वर्ष राजशाही दशहरा महोत्सव 9 अक्टूबर को होगा. जिसमे मुख्य अतिथि के रुप में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम उपस्थित रहेंगे.



Body:बिलाईगढ की राजशाहि दशहरा 5 पीढ़ियों से चलती आ रही है या यूं कहें कि क्या लगभग 150 साल पहले से चलती आ रही है. यहां आदिवासियों के परंपराओं को निर्वहन करते हुए रावण दहन नहीं किया जाता है. महल से दो किलोमीटर की दूरी में एक रैनी भाटा मैदान है. जीस मैदान में महाराजाओ के जमाने में युद्ध हुआ करता था. और वहां युद्ध में जो भी विजय होते थे उसे महाराज के द्वारा सम्मानित किया जाता था. वह परंपरा आज भी चलती आ रही है. लेकिन युद्ध के जगह में खेलों का आयोजन किया जाता है. इस खेल में विजय होने के लिए आसपास के 40 किलोमीटर के लोग आते हैं और 15 दिन पहले से ही खेलों की तैयारी करते रहते हैं.

इस बार बिलाईगढ के दशहरे में खास बात है कि आदिवासी परंपराओं का निर्वहन करते हुए प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम शामिल होंगे वैसे तो यहां के दशहरा में प्रदेश के बड़े-बड़े मंत्री का आना जाना लगा रहता है. इसके पूर्व भी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह शामिल हो चुके हैं और उसमें रमन सिंह ने घोषणा किया था कि यहां के दशहरा के लिए मैं शासन से अनुदान दूंगा लेकिन राज परिवार ने अनुदान लेने से मना कर दिया.

स्थानीय लोगों ने बताया कि बस्तर के दशहरे के बाद बिलाईगढ का दशहरा प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहता है. दशहरे के दिन राज परिवार अपने पूरे सिंगार में रहते हैं और शौर्य प्रदर्शन करते हैं. इसे देखने के लिए पुरे प्रदेश से लोग आते हैं हर साल यहां लगभग 10000 लोग दशहरा देखने आते हैं.

वर्तमान राजा ओंकार शरण सिंह बताते हैं कि यहां शुरु से ही रावण दहन नहीं किया जाता था लेकिन बीच में रावण दहन का कार्यक्रम रखा गया था. रावण दहन के कारण बस्ती में अनिष्ट हुआ तबसे रावण दहन बिलाईगढ में नहीं किया जाता.

यहां के दशहरे में राजपरिवार के द्वारा जितने भी लोग दर्शन के लिए आते हैं सभी कि लिए भोजन की व्यवस्था की जाती है खास बात है कि इस कार्यक्रम में किसी से सहयोग नहीं लिया जाता है जितना भी खर्च होता है राजपरिवार के द्वारा किया जाता है


Conclusion:बाइट01 :- ओंकारेश्वर शरण सिंह - महाराजा राजमहल

बाइट02 :- यादराम हिरवानी - स्थानिय

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