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भाटापारा कृषि उपज मंडी में अभिकर्ता और व्यापारियों के बीच विवाद, किसान परेशान

भाटापारा कृषि उपज मंडी में अभिकर्ता और व्यापारियों के विवाद की वजह से किसान परेशान हैं, अन्नदाता को उसकी फसल का सही भुगतान नहीं हो रहा है.

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Published : Sep 25, 2019, 12:42 PM IST

Updated : Sep 25, 2019, 5:23 PM IST

कृषि उपज मंडी में अभिकर्ता और व्यापारियों के बीच विवाद

भाटापारा: छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी मंडी कही जाने वाली भाटापारा कृषि उपज मंडी इन दिनों विवादों के घेरे में है, पिछले 10 दिनों से किसानों को उनके फसलों का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है. अभिकर्ता और व्यापारियों के बीच झड़प से लगभग 6 जिलों के किसान खासा परेशान नजर आ रहे हैं.

कृषि उपज मंडी में अभिकर्ता और व्यापारियों के बीच विवाद

बता दें कि आपसी खींचातानी और मतभेद की वजह से पोहा मिल व्यापारी अभिकर्ताओं से माल नहीं खरीदना चाहते, जिससे सीधे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस विवाद की वजह से फसल की आवक भी कम हो गई है और मंडी अवव्यवस्थित हो गई है.

पढ़ें: बलौदाबाजार : अन्नदाता की मुसीबत बढ़ा रहा 'करगा', जिम्मेदार बेपरवाह

चेक बाउंस होने का डर
किसानों का कहना है कि अभिकर्ता के माध्यम से फसल बेचने पर हमें सुविधा अधिक मिलती है, लेकिन व्यापारी को फसल बेचने पर नगद भुगतान बोल कर चेक दिया जा रहा है, जिससे हमें डर है कि अगर चेक बाउंस हो गया तो किसे ढूंढ़ते रहेंगे.

किसान हो रहे परेशान
वहीं इस विवाद को देखते हुए मंडी में एसडीएम, तहसीलदार, मंडी सचिव और सुरक्षा की दृष्टि से आए थाना प्रभारी की मौजूदगी में किसान, अभिकर्ता और व्यापारियों की बैठक हुई, लेकिन उसमें भी नतीजा कुछ सामने नहीं आया. ऐसे में किसान परेशान है.

भाटापारा: छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी मंडी कही जाने वाली भाटापारा कृषि उपज मंडी इन दिनों विवादों के घेरे में है, पिछले 10 दिनों से किसानों को उनके फसलों का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है. अभिकर्ता और व्यापारियों के बीच झड़प से लगभग 6 जिलों के किसान खासा परेशान नजर आ रहे हैं.

कृषि उपज मंडी में अभिकर्ता और व्यापारियों के बीच विवाद

बता दें कि आपसी खींचातानी और मतभेद की वजह से पोहा मिल व्यापारी अभिकर्ताओं से माल नहीं खरीदना चाहते, जिससे सीधे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस विवाद की वजह से फसल की आवक भी कम हो गई है और मंडी अवव्यवस्थित हो गई है.

पढ़ें: बलौदाबाजार : अन्नदाता की मुसीबत बढ़ा रहा 'करगा', जिम्मेदार बेपरवाह

चेक बाउंस होने का डर
किसानों का कहना है कि अभिकर्ता के माध्यम से फसल बेचने पर हमें सुविधा अधिक मिलती है, लेकिन व्यापारी को फसल बेचने पर नगद भुगतान बोल कर चेक दिया जा रहा है, जिससे हमें डर है कि अगर चेक बाउंस हो गया तो किसे ढूंढ़ते रहेंगे.

किसान हो रहे परेशान
वहीं इस विवाद को देखते हुए मंडी में एसडीएम, तहसीलदार, मंडी सचिव और सुरक्षा की दृष्टि से आए थाना प्रभारी की मौजूदगी में किसान, अभिकर्ता और व्यापारियों की बैठक हुई, लेकिन उसमें भी नतीजा कुछ सामने नहीं आया. ऐसे में किसान परेशान है.

Intro:भाटापारा - भाटापारा के कृषि उपज मंडी मे व्यापारी और अभिकर्ताओ के बीच हो रहा जमकर विवाद , विवाद के बीच मे पीस रहे किसान , फसल की उचित मूल्य नही मिलने से अन्नदाता परेशान ,अधिकारियों के समक्ष हुई बैठक भी रही बेनतीजा , किसानो को नही मिल रहा उनकी मेहनत का पैसा , किसान चाहते है मंडी मे बना रहे अभिकर्ता सिस्टम, लेकिन पोहा व्यापारी अभिकर्ता से माल नही चाहते खरिदना Body:भाटापारा - छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी मंडी कही जाने वाली भाटापारा कृषि उपज मंडी इन दिनों विवादों में है । पिछले 10 दिनों से अभिकर्ता और व्यापारी के मध्य तालमेल नही बैठने की वजह से किसानों को उनके फसलो का सही मूल्य नही मिल पा रहा है । इस मंडी में आस पास के लगभग 6 जिलो के किसान अपनी फसल बेचने आते है और यहां लगभग 10000 बोरे की आवक प्रतिदिन है । भाटापारा मे आढ़त प्रभा का चलन मंडी के शुरूवाती दिनो से है जो आज के वर्तमान समय मे शासन के लाईसेंसी अभिकर्ता कहलाते है इसमे किसान अपनी फसल भाटापारा मंडी लाता है और अभिकर्ता की नियुक्ति करता है अपने धान के विक्रय के लिए जिसे अभिकर्ता व्यापारीयो के बेचता है वही अगर धान न बिक पाए कुछ दिन लगे तो किसानो को उनके आने जाने व आवश्यकता पुर्ति करते हुए उनको रूपये दे देता है एवं उनके उपज की सुरक्षा मंडी मे करता है इसके लिए शासन के द्वारा 1 प्रतिशत विक्रय मुल्य मे प्राप्त होता है , आपसी खींचातानी एवं मनभेद के चलते पोहा मिल व्यापारियो और अभिकर्ताओ के मध्य विवाद शुरू हो गया जिसके चलते व्यापारी अभिकर्ताओ से माल नही खरिदना चाहते और सीधे किसानो से खरिद का एनाउॅस कर दिये और 2 से 4 दिन खरिदी अच्छी चली उसके बाद किसानो को उनको उपज का सही मूल्य नही मिल रहा था जिसके चलते और विवाद गहरा गया एवं किसाना समर्थन उचित मूल्य मे खरिदने एवं अभिकर्ताओ के पक्ष मे मांग करने लगे और विवाद बढ़ता गया , लेकिन विवाद है की सुलझने का नाम नही ले रहा । व्यापारी अभिकर्ताओं के माध्यम से फसल लेना नही चाहते और किसान अभिकर्ताओं के बिना फसल बेचना नही चाहते । इस विवाद की वजह से फसल की आवक भी कम हो गई है और मंडी अवव्यवस्थित हो गई है । किसानों का कहना है कि अभिकर्ता के माध्यम से फसल बेचने पर हमें सुविधा अधिक मिलती है जबकि व्यापारी को फसल बेचने पर नगद भुगतान बोल कर चेक दिया जा रहा है अगर चेक बाउन्स हो गया तो किसे खोजते रहेंगे । अभिकर्ता के माध्यम से धान बेचने पर हम निश्चिन्त रहते है । वही इस पूरे विवाद को देखते हुए मंडी में एस डी एम ,तहसीलदार ,मंडी सचिव व सुरक्षा की दृष्टि से आये थाना प्रभारी की मौजूदगी में किसान ,अभिकर्ता व व्यापारियों की बैठक हुई लेकिन उसमें भी नतीजा कुछ भी सामने नही आया । अधिकारी भी अपने बयानों में साफ कुछ भी नही बोल पा रहे है और मामला सुलझ जाने की बात कर रहे है । लेकिन इस मामले में शोषण किसानों का ही हो रहा है क्योंकि जब किसान अभिकर्ता के माध्यम से भी धान बेचते है उसके बावजूद भी कुछ फसल को छोड़ कर अधिकतर फसलो को मंडी द्वारा निर्धारित मूल्य से कम में खरीदा जाता है। अब आगे देखना होगा कि यह विवाद का अंत कब होगा और किसानों को उनकी फसल का उचित दाम कब मिल पायेगा । लेकिन ये तो निश्चित है मंडी मे विवाद किसी भी पक्ष को हो नुकसान गरिब किसानो को ही उठाना पड़ता है ।


बाइट - अतुल मिश्रा , घुड़सेना किसान (टकलु , गुलाबी शर्ट )

बाइट - पवन साहू गोरदी किसान (सफेट शर्ट , कलर चेक )

बाइट - नितेश (बिहारी) लाल मुंधड़ा , अभिकर्ता (सफेद काला छिट शर्ट , गोरा चेहरा)

बाइट - राजेश थारानी , अध्यक्ष पोहामिल एशोसियेशन (काला शर्ट , काला चश्मा)

बाइट - रविकांत तिवारी , सचिव कृषि उपज मंडी भाटापारा (लाल टिका सफेद शर्ट)

बाइट - महेश राजपुत , एसडीएम एवं भारसाधक अधिकारी मंडी भाटापारा (काला बाल काली मुंछ , चेक शर्ट )Conclusion:n
Last Updated : Sep 25, 2019, 5:23 PM IST
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