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Balodabazar News: बलौदाबाजार में आदिवासी महिलाओं के साथ धोखाधड़ी, पति की मौत के बाद मुआवजा राशि में फ्रॉड , विभाग कह रहा जांच की बात - cheating with tribal women in baloda bazar

Cheating With Tribal Women बलौदाबाजार में आदिवासी महिलाओं के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. आदिवासी महिलाओं को श्रम विभाग की योजना के तहत राशि मिलनी थी.लेकिन महिलाओं के नाम पर खाता खुलवाकर इस राशि को किसी और ने निकाल लिया. जिसकी शिकायत पीड़ितों ने जिले के उच्च अधिकारियों से की है.Balodabazar News

Cheating With Tribal Women
आदिवासी महिलाओं के साथ धोखाधड़ी
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Published : Aug 5, 2023, 8:44 PM IST

बलौदाबाजार : श्रम विभाग की छत्तीसगढ़ भवन सन्निर्माण योजना के तहत आदिवासी महिलाओं को लाभ नहीं दिए जाने का मामला सामने आया है. महिलाओं का आरोप है कि योजना के तहत मिलने वाली राशि का गबन किया गया है. जिसकी शिकायत महिलाओं ने शपथ पत्र के साथ राज्यपाल, कलेक्टर,एसपी समेत उच्च अधिकारियों से की है.

क्या है महिलाओं का आरोप? : कोलियरी गांव में रहने वाली तीन महिलाएं तीजन बाई, रम्हीन ध्रुव, टिकेश्वरी ध्रुव ने शिकायत दर्ज कराई है.जिसमें श्रम विभाग के अधिकारियों और एजेंट पर आरोप लगाए गए हैं. इन तीनों महिलाओं के पति अब इस दुनिया में नहीं है. इनके पतियों के नाम श्रम विभाग में छत्तीसगढ़ भवन सन्निर्माण योजना के तहत पंजीकृत थे. इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत शख्स की मृत्यु होने के बाद उसके आश्रित या उत्तराधिकारी को 1 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान है.

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा ? : पति की मृत्यु होने के बाद योजना का लाभ लेने पीड़ित महिलाएं साल 2019 में बलौदाबाजार के जिला श्रम विभाग कार्यालय पहुंची. जहां उनकी मुलाकात श्रम निरीक्षक से हुई. उक्त श्रम निरीक्षक ने पीड़ित महिलाओं को ग्राम रवान निवासी मीना नामक महिला से परिचय कराया. निरीक्षक ने उन्हें बताया कि महिला श्रम कार्यालय में एजेंट के रूप में कार्य करती है और आवश्यक प्रक्रिया कर योजना का लाभ दिला सकती है. जिसके बाद श्रम निरीक्षक ने सारे दस्तावेज मीना के पास जमा करने को कहा. पीड़ित महिलाओं ने मीना को आवश्यक दस्तावेज दे दिए.इसके बाद महिला एजेंट ने ऑनलाइन आवेदन करने के नाम पर महिलाओं के फिंगर प्रिंट और अंगूठे का निशान लिया.

बिना जानकारी के महिलाओं के नाम खुला खाता : महिलाओं ने प्रक्रिया पूरी करने के बाद कई महीने इंतजार किया.लेकिन उनके खातों में राशि नहीं आई.जब महिलाएं दोबारा श्रम विभाग में गईं तो उन्हें मालूम पड़ा कि 20 अक्टूबर 2021 को सभी महिलाओं की राशि स्वीकृत हो चुकी है.जो भाटापारा के एक बैंक में शासन ने जमा कराई है. जबकि महिलाओं को ऐसे किसी खाता के खोले जाने की जानकारी नहीं थी. जब उन्होंने बैंक से सम्पर्क किया तो राशि दो वर्ष पूर्व ही राशि ट्रांसफर कर लिये जाने की जानकारी मिली. पीड़ित आदिवासी महिलाओं ने परेशान होकर इसकी शिकायत करते हुए तत्कालीन श्रम निरीक्षक, एजेंट और बैंक के अधिकारी, कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की है.इस मामले को लेकर जब जिम्मेदारों से जवाब मांगा गया तो कार्रवाई की बात कही गई.

''मामला बलौदा बाजार जिला में पदस्थ होने के पहले का है. महिलाओं का आवेदन प्राप्त हुआ है. जिस पर जांच कर कार्रवाई किया जायेगा.''- आजाद सिंह पात्रे, श्रम पदाधिकारी

पूर्व अधिकारी ने मामले से झाड़ा पल्ला : वहीं पूर्व श्रम निरीक्षक मनोज मंडलेश्वर ने सफाई देते हुए कहा कि उनका काम सिर्फ ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों की जांच कर अग्रिम कार्रवाई के लिए भेजना है. राशि स्वीकृति का अधिकार उस दौरान बलौदाबाजार में अन्य श्रम निरीक्षक को दिया गया था. अधिकारियों की बातों से साफ है कि वो इस मामले को लेकर कितने गंभीर है.जबकि मामला धोखाधड़ी का है. महिलाओं ने श्रम निरीक्षक पर भरोसा करने के बाद भी एजेंट के माध्यम से आवेदन किया था. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनके साथ मदद के नाम पर धोखा हो रहा है.

बलौदाबाजार : श्रम विभाग की छत्तीसगढ़ भवन सन्निर्माण योजना के तहत आदिवासी महिलाओं को लाभ नहीं दिए जाने का मामला सामने आया है. महिलाओं का आरोप है कि योजना के तहत मिलने वाली राशि का गबन किया गया है. जिसकी शिकायत महिलाओं ने शपथ पत्र के साथ राज्यपाल, कलेक्टर,एसपी समेत उच्च अधिकारियों से की है.

क्या है महिलाओं का आरोप? : कोलियरी गांव में रहने वाली तीन महिलाएं तीजन बाई, रम्हीन ध्रुव, टिकेश्वरी ध्रुव ने शिकायत दर्ज कराई है.जिसमें श्रम विभाग के अधिकारियों और एजेंट पर आरोप लगाए गए हैं. इन तीनों महिलाओं के पति अब इस दुनिया में नहीं है. इनके पतियों के नाम श्रम विभाग में छत्तीसगढ़ भवन सन्निर्माण योजना के तहत पंजीकृत थे. इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत शख्स की मृत्यु होने के बाद उसके आश्रित या उत्तराधिकारी को 1 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान है.

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा ? : पति की मृत्यु होने के बाद योजना का लाभ लेने पीड़ित महिलाएं साल 2019 में बलौदाबाजार के जिला श्रम विभाग कार्यालय पहुंची. जहां उनकी मुलाकात श्रम निरीक्षक से हुई. उक्त श्रम निरीक्षक ने पीड़ित महिलाओं को ग्राम रवान निवासी मीना नामक महिला से परिचय कराया. निरीक्षक ने उन्हें बताया कि महिला श्रम कार्यालय में एजेंट के रूप में कार्य करती है और आवश्यक प्रक्रिया कर योजना का लाभ दिला सकती है. जिसके बाद श्रम निरीक्षक ने सारे दस्तावेज मीना के पास जमा करने को कहा. पीड़ित महिलाओं ने मीना को आवश्यक दस्तावेज दे दिए.इसके बाद महिला एजेंट ने ऑनलाइन आवेदन करने के नाम पर महिलाओं के फिंगर प्रिंट और अंगूठे का निशान लिया.

बिना जानकारी के महिलाओं के नाम खुला खाता : महिलाओं ने प्रक्रिया पूरी करने के बाद कई महीने इंतजार किया.लेकिन उनके खातों में राशि नहीं आई.जब महिलाएं दोबारा श्रम विभाग में गईं तो उन्हें मालूम पड़ा कि 20 अक्टूबर 2021 को सभी महिलाओं की राशि स्वीकृत हो चुकी है.जो भाटापारा के एक बैंक में शासन ने जमा कराई है. जबकि महिलाओं को ऐसे किसी खाता के खोले जाने की जानकारी नहीं थी. जब उन्होंने बैंक से सम्पर्क किया तो राशि दो वर्ष पूर्व ही राशि ट्रांसफर कर लिये जाने की जानकारी मिली. पीड़ित आदिवासी महिलाओं ने परेशान होकर इसकी शिकायत करते हुए तत्कालीन श्रम निरीक्षक, एजेंट और बैंक के अधिकारी, कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की है.इस मामले को लेकर जब जिम्मेदारों से जवाब मांगा गया तो कार्रवाई की बात कही गई.

''मामला बलौदा बाजार जिला में पदस्थ होने के पहले का है. महिलाओं का आवेदन प्राप्त हुआ है. जिस पर जांच कर कार्रवाई किया जायेगा.''- आजाद सिंह पात्रे, श्रम पदाधिकारी

पूर्व अधिकारी ने मामले से झाड़ा पल्ला : वहीं पूर्व श्रम निरीक्षक मनोज मंडलेश्वर ने सफाई देते हुए कहा कि उनका काम सिर्फ ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों की जांच कर अग्रिम कार्रवाई के लिए भेजना है. राशि स्वीकृति का अधिकार उस दौरान बलौदाबाजार में अन्य श्रम निरीक्षक को दिया गया था. अधिकारियों की बातों से साफ है कि वो इस मामले को लेकर कितने गंभीर है.जबकि मामला धोखाधड़ी का है. महिलाओं ने श्रम निरीक्षक पर भरोसा करने के बाद भी एजेंट के माध्यम से आवेदन किया था. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनके साथ मदद के नाम पर धोखा हो रहा है.

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