बलौदाबाजार: एक ओर जहां सरकार प्रदेश में विकास के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर सिस्टम की लापरवाही की सजा ग्रामीणों को भुगतनी पड़ रही है. दरअसल ठेकेदार ने पुल को बनाया, लेकिन 75 फीसदी निर्माण के बाद उसे अधूरा छोड़ दिया.
जिसके बाद ग्रामीणों ने जैसे-तैसे बांस और लोहे की छड़ों से जुगाड़ के सहारे पुल को इस्तेमाल लायक बनाया जुगाड़ से बने इस पुल को देखकर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं, कि इस इलाके में विकास किस रफ्तार से दौड़ रहा है. इसका अंदाजा इस जुगाड़ के पुल को देख कर लगाया जा सकता है. इस पुल को पार करते समय ग्रामीणों के मन में हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है.
पुल का कार्य 75% होने के बाद रूक गया
बिलाईगढ़ विकासखंड के अलीकूद और चिचोली गांव को जोड़ने वाले इस पुल का 75% काम तो पूरा हो गया, लेकिन बचे हुए काम को कराने में प्रशासन कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.
सरकारी कार्यों के लिए नहीं है कोई विकास बोर्ड
यह पुल अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है, क्योंकि सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी निर्माण कार्य को प्रारंभ करने से पहले कार्यस्थल पर एक बोर्ड लगाना अनिवार्य होता है जिसमें निर्माण एजेंसी का नाम, टेंडर की तिथि, निर्माण कार्य की लागत, काम के पूरा होने की तारीख इन सभी बातों का जिक्र होने के साथ ही इसकी देखरेख करने वाले इंजीनियर का नाम और मोबाइल नंबर भी अंकित होता है. लेकिन यहां ऐसे किसी बोर्ड का नामों निशान मौजूद नहीं है.
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अब लगता यह है कि प्रशासन इस पुल पर बड़े हादसे होने का इंतजार कर रहा है. गौर करने वाली बात यह है कि, जब तक पक्का पुल नहीं बन जाता ग्रामीण इसी तरह से अपनी जान जोखिम में डाल कर पुल पार करते रहेंगें.