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बलौदाबाजार: सिस्टम ने अधूरा छोड़ा पुल का निर्माण, गांववाले जुगाड़ से कर रहे बेड़ा पार

2 साल पहले प्रशासन की ओर से जिले के गांवों को जोड़ने के लिए पुल के निर्माण किया गया था, लेकिन ठेकेदार ने 75 फीसदी का निर्माण करने के बाद उसे अधूरा छोड़ दिया.

मौत का पुल
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Published : Oct 22, 2019, 2:09 PM IST

Updated : Nov 5, 2019, 5:26 PM IST

बलौदाबाजार: एक ओर जहां सरकार प्रदेश में विकास के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर सिस्टम की लापरवाही की सजा ग्रामीणों को भुगतनी पड़ रही है. दरअसल ठेकेदार ने पुल को बनाया, लेकिन 75 फीसदी निर्माण के बाद उसे अधूरा छोड़ दिया.

प्रशासन की ओर से जिले के गांवों को जोड़ने के लिए किया गया था इस पुल का निर्माण

जिसके बाद ग्रामीणों ने जैसे-तैसे बांस और लोहे की छड़ों से जुगाड़ के सहारे पुल को इस्तेमाल लायक बनाया जुगाड़ से बने इस पुल को देखकर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं, कि इस इलाके में विकास किस रफ्तार से दौड़ रहा है. इसका अंदाजा इस जुगाड़ के पुल को देख कर लगाया जा सकता है. इस पुल को पार करते समय ग्रामीणों के मन में हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है.

पुल का कार्य 75% होने के बाद रूक गया
बिलाईगढ़ विकासखंड के अलीकूद और चिचोली गांव को जोड़ने वाले इस पुल का 75% काम तो पूरा हो गया, लेकिन बचे हुए काम को कराने में प्रशासन कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.

सरकारी कार्यों के लिए नहीं है कोई विकास बोर्ड
यह पुल अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है, क्योंकि सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी निर्माण कार्य को प्रारंभ करने से पहले कार्यस्थल पर एक बोर्ड लगाना अनिवार्य होता है जिसमें निर्माण एजेंसी का नाम, टेंडर की तिथि, निर्माण कार्य की लागत, काम के पूरा होने की तारीख इन सभी बातों का जिक्र होने के साथ ही इसकी देखरेख करने वाले इंजीनियर का नाम और मोबाइल नंबर भी अंकित होता है. लेकिन यहां ऐसे किसी बोर्ड का नामों निशान मौजूद नहीं है.

पढ़ें- बलौदाबाजार: महीने भर से हाथियों का झुंड मचा रहा है आतंक, अब तक 80 प्रकरण दर्ज

अब लगता यह है कि प्रशासन इस पुल पर बड़े हादसे होने का इंतजार कर रहा है. गौर करने वाली बात यह है कि, जब तक पक्का पुल नहीं बन जाता ग्रामीण इसी तरह से अपनी जान जोखिम में डाल कर पुल पार करते रहेंगें.

बलौदाबाजार: एक ओर जहां सरकार प्रदेश में विकास के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर सिस्टम की लापरवाही की सजा ग्रामीणों को भुगतनी पड़ रही है. दरअसल ठेकेदार ने पुल को बनाया, लेकिन 75 फीसदी निर्माण के बाद उसे अधूरा छोड़ दिया.

प्रशासन की ओर से जिले के गांवों को जोड़ने के लिए किया गया था इस पुल का निर्माण

जिसके बाद ग्रामीणों ने जैसे-तैसे बांस और लोहे की छड़ों से जुगाड़ के सहारे पुल को इस्तेमाल लायक बनाया जुगाड़ से बने इस पुल को देखकर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं, कि इस इलाके में विकास किस रफ्तार से दौड़ रहा है. इसका अंदाजा इस जुगाड़ के पुल को देख कर लगाया जा सकता है. इस पुल को पार करते समय ग्रामीणों के मन में हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है.

पुल का कार्य 75% होने के बाद रूक गया
बिलाईगढ़ विकासखंड के अलीकूद और चिचोली गांव को जोड़ने वाले इस पुल का 75% काम तो पूरा हो गया, लेकिन बचे हुए काम को कराने में प्रशासन कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.

सरकारी कार्यों के लिए नहीं है कोई विकास बोर्ड
यह पुल अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है, क्योंकि सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी निर्माण कार्य को प्रारंभ करने से पहले कार्यस्थल पर एक बोर्ड लगाना अनिवार्य होता है जिसमें निर्माण एजेंसी का नाम, टेंडर की तिथि, निर्माण कार्य की लागत, काम के पूरा होने की तारीख इन सभी बातों का जिक्र होने के साथ ही इसकी देखरेख करने वाले इंजीनियर का नाम और मोबाइल नंबर भी अंकित होता है. लेकिन यहां ऐसे किसी बोर्ड का नामों निशान मौजूद नहीं है.

पढ़ें- बलौदाबाजार: महीने भर से हाथियों का झुंड मचा रहा है आतंक, अब तक 80 प्रकरण दर्ज

अब लगता यह है कि प्रशासन इस पुल पर बड़े हादसे होने का इंतजार कर रहा है. गौर करने वाली बात यह है कि, जब तक पक्का पुल नहीं बन जाता ग्रामीण इसी तरह से अपनी जान जोखिम में डाल कर पुल पार करते रहेंगें.

Intro:बलोदा बाजार - जिले में सत्ता और सिस्टम को चिढ़ाता एक ऐसा पुल है जिसका काम लगभग 2 सालों से अधूरा पड़ा हुआ है. लगातार मांग और शिकायतों के बाद भी जब पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ तो गांव के कुछ लोगों ने पुल के ऊपर बांस और लोहे के एंगल से ही बचे हुए काम को पूरा कर डाला. अब लोग इस पुल को जान जोखिम में डालकर पार कर रहे हैं.


Body:बलौदा बाजार जिले में विकास की रफ्तार इन दिनों कछुआ चाल से चल रही है. जिले में विकास की गति का अंदाजा इस अधूरे पडे पुल को देख कर ही आप लगा सकते हैं. बिलाईगढ़ विकासखंड के अलीकूद और चिचोली गांव को जोड़ने वाली इस पुल का काम लगभग 2 सालों से अधूरा पड़ा हुआ है. और इस पुल का 75% कार्य पूरा होने के बाद भी इस पुल का काम क्यों रुका हुआ है इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. और ना ही किसी ने इस अधूरे पड़े पुल के कार्य को पूरा कराने की जहमत उठाई. ग्रामीणों ने इस पुल के रुके हुए काम को पूरा कराने के लिए लगातार आवाज बुलंद करते रहे है। लेकिन जब किसी ने इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा तब ग्रामीणों ने पुल के रुके हुए काम को बांस और लोहे के सहारे पूरा कर दिया। ग्रामीणों ने इस पुल के काम को पूरा तो कर दिया लेकिन इनके मन में हमेशा अनहोनी का डर बना रहता है और आज इस पुल को पार करने वालों की बस एक ही गुहार है कि साहब इस पुल को बनवा दो..



अलीकूद और चिचोली गांव को जोड़ने वाली इस पुल में से भ्रष्टाचार की बू आ रही है। क्योंकि सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी निर्माण कार्य को प्रारंभ करने से पहले कार्यस्थल पर एक बोर्ड लगाना अनिवार्य होता है। जिसमें निर्माण एजेंसी का नाम, टेंडर की तिथि, निर्माण कार्य की लागत, पूर्ण होने की तिथि, इन सभी बातों का उल्लेख होता है. जिसमें देखरेख करने वाले इंजीनियर का नाम और मोबाइल नंबर भी अंकित होता है. लेकिन इन सबके बाद भी इस फुल में कहीं भी अवार्ड नहीं लगा है. जो भ्रष्टाचार का साफ संकेत है. अब जुगाड़ से बना पुल कब गिर जाए इसका कोई ठिकाना नहीं । नीचे गहरा पानी और ऊपर पुल को पार करने की परेशानी के जद्दोजहद के बीच रोज ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं और ऐसे में यह पुल हादसे की हादसे को न्यौता दे रही है।


Conclusion:बाइट01 - दिनेश कुमार - ग्रामीण

बाइट02- रूपाई बाई - ग्रामीण

बाइट 03 - ग्रमीण

पीटीसी - करन साहू
Last Updated : Nov 5, 2019, 5:26 PM IST
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