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बलौदाबाजार में ब्लैक फंगस के 4 मरीजों की पुष्टि - Symptoms of black fungus

बलौदाबाजार में ब्लैक फंगस के 4 मरीजों की पुष्टि हुई है. सभी मरीजों को रायपुर रेफर कर दिया गया है.

4 patients of black fungus confirmed in Balodabazar
बलौदाबाजार में ब्लैक फंगस
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Published : May 26, 2021, 11:17 AM IST

बलौदाबाजार : जिले में कोरोना संक्रमण का खतरा अभी कम भी नहीं हुआ है कि बढ़ते ब्लैक फंगस के मरीजों ने शासन-प्रशासन को चिंता में डाल दिया है. जिले में ब्लैक फंगस के 4 मरीजों की पुष्टि हुई है. सभी को रायपुर रेफर किया गया है, जहां उनका इलाज जारी है.

बलौदाबाजार जिले में आज ब्लैक फंगस के 4 मरीजों की पुष्टि हुई है. CMHO डॉ सोनवानी ने बताया कि जिले के अलग-अलग जगहों से ब्लैक फंगस के मरीज सामने आए हैं. सभी पहले कोविड के मरीज रह चुके हैं. कोविड से रिकवर होने के बाद उनमें ब्लैक फंगस पाया गया है. सभी को इलाज के लिए रायपुर रेफर कर दिया गया है. 4 मरीजों में से एक का एम्स और बाकी 3 मरीजों का इलाज निजी अस्पताल में जारी है.

बिलासपुर के सिम्स में 13 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज जारी

दांत में दर्द के बाद ब्लैक फंगस का पता चला

बलौदाबाजार, तरेंगा, पलारी और सिमगा के लोगों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है. ब्लैक फंगस के एक मरीज ने बताया कि वह पहले कोरोना पॉजिटिव था, इसके बाद उसके दांतों में तेज दर्द शुरू हुआ. इलाज कराने के बाद भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ. रायपुर एम्स में इलाज के दौरान उसमें ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई.

फंगस के रंग की वजह

फंगस कई रंग के हो सकते हैं. रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता. जहां तक ब्लैक फंगस की बात है, जिसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जाता है, उस फंगस का रंग असल में व्हाइट है, लेकिन उसे ब्लैक फंगस बोलने के पीछे कारण है कि उससे होने वाला घाव काले रंग का होता है. उस जगह पर ब्लड सप्लाई बंद हो जाती है, ऐसे में खून नहीं पहुंचने से वो जगह गलकर काले रंग में बदल जाता है. व्हाइट फंगस से घबराने की जरूरत नहीं है. अगर इसी स्टेज पर इलाज हो जाए, तो ज्यादा दिक्कत नहीं होती है. लेकिन ब्लैक फंगस से घबराने की जरूरत है, क्योंकि ये आंखों और ब्रेन तक पहुंच जाता है. ऐसे में कई मरीजों की जान भी चली जाती है. जहां तक बात येलो फंगस की है, ये हाल ही में इंट्रोड्यूस हुआ है, इससे भी बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है और ना ही इन फंगसों के बहुत जल्दी शरीर में फैलने की संभावना है.

ब्लैक फंगस है खतरनाक

ब्लैक फंगस चिंता का सबब बना हुआ है. जिसका बड़ा कारण ये है कि अब कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जिसमें मरीज को ना तो डायबिटीज थी और ना ही स्टेरॉइड ज्यादा लिया गया था. अभी भी 90 से 95% मरीज वही हैं, जिन्हें कोरोना के साथ डायबिटीज है या ज्यादा स्टेरॉयड लिया गया हो. लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि ये संभावना हमेशा रहती है कि जिसमें भी इम्यूनिटी कम होगी, उसे ब्लैक फंगस हो सकता है. ऐसे में यदि कोरोना के बाद नाक में भारीपन, दांत में दर्द, चेहरे और आंख में भारीपन या सूजन जैसे लक्षण आते हैं, तो उस स्थिति में ध्यान रखने की आवश्यकता है. हालांकि ब्लैक फंगस की अधिकतम वजह डायबिटीज या स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल ही है.

बलौदाबाजार : जिले में कोरोना संक्रमण का खतरा अभी कम भी नहीं हुआ है कि बढ़ते ब्लैक फंगस के मरीजों ने शासन-प्रशासन को चिंता में डाल दिया है. जिले में ब्लैक फंगस के 4 मरीजों की पुष्टि हुई है. सभी को रायपुर रेफर किया गया है, जहां उनका इलाज जारी है.

बलौदाबाजार जिले में आज ब्लैक फंगस के 4 मरीजों की पुष्टि हुई है. CMHO डॉ सोनवानी ने बताया कि जिले के अलग-अलग जगहों से ब्लैक फंगस के मरीज सामने आए हैं. सभी पहले कोविड के मरीज रह चुके हैं. कोविड से रिकवर होने के बाद उनमें ब्लैक फंगस पाया गया है. सभी को इलाज के लिए रायपुर रेफर कर दिया गया है. 4 मरीजों में से एक का एम्स और बाकी 3 मरीजों का इलाज निजी अस्पताल में जारी है.

बिलासपुर के सिम्स में 13 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज जारी

दांत में दर्द के बाद ब्लैक फंगस का पता चला

बलौदाबाजार, तरेंगा, पलारी और सिमगा के लोगों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है. ब्लैक फंगस के एक मरीज ने बताया कि वह पहले कोरोना पॉजिटिव था, इसके बाद उसके दांतों में तेज दर्द शुरू हुआ. इलाज कराने के बाद भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ. रायपुर एम्स में इलाज के दौरान उसमें ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई.

फंगस के रंग की वजह

फंगस कई रंग के हो सकते हैं. रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता. जहां तक ब्लैक फंगस की बात है, जिसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जाता है, उस फंगस का रंग असल में व्हाइट है, लेकिन उसे ब्लैक फंगस बोलने के पीछे कारण है कि उससे होने वाला घाव काले रंग का होता है. उस जगह पर ब्लड सप्लाई बंद हो जाती है, ऐसे में खून नहीं पहुंचने से वो जगह गलकर काले रंग में बदल जाता है. व्हाइट फंगस से घबराने की जरूरत नहीं है. अगर इसी स्टेज पर इलाज हो जाए, तो ज्यादा दिक्कत नहीं होती है. लेकिन ब्लैक फंगस से घबराने की जरूरत है, क्योंकि ये आंखों और ब्रेन तक पहुंच जाता है. ऐसे में कई मरीजों की जान भी चली जाती है. जहां तक बात येलो फंगस की है, ये हाल ही में इंट्रोड्यूस हुआ है, इससे भी बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है और ना ही इन फंगसों के बहुत जल्दी शरीर में फैलने की संभावना है.

ब्लैक फंगस है खतरनाक

ब्लैक फंगस चिंता का सबब बना हुआ है. जिसका बड़ा कारण ये है कि अब कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जिसमें मरीज को ना तो डायबिटीज थी और ना ही स्टेरॉइड ज्यादा लिया गया था. अभी भी 90 से 95% मरीज वही हैं, जिन्हें कोरोना के साथ डायबिटीज है या ज्यादा स्टेरॉयड लिया गया हो. लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि ये संभावना हमेशा रहती है कि जिसमें भी इम्यूनिटी कम होगी, उसे ब्लैक फंगस हो सकता है. ऐसे में यदि कोरोना के बाद नाक में भारीपन, दांत में दर्द, चेहरे और आंख में भारीपन या सूजन जैसे लक्षण आते हैं, तो उस स्थिति में ध्यान रखने की आवश्यकता है. हालांकि ब्लैक फंगस की अधिकतम वजह डायबिटीज या स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल ही है.

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