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Veer Mela payment dispute: वीर मेले के भुगतान को लेकर खड़ा हुआ विवाद, जानिए क्या है वजह ?

बालोद में वीर मेले के आयोजन (Veer Mela payment dispute) के बाद भुगतान को लेकर आदिवासी समाज ने विवाद खड़ा कर दिया है. अभी तक भुगतान नहीं हो पाया है. वहीं, आदिवासी समाज के लोगों ने संसदीय सचिव पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि 30 दिन के भीतर भुगतान करें अन्यथा समाज के लोग धरने पर बैठ जाएंगे.

Veer Mela dispute
वीर मेला पर नया बखेड़ा
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Published : Jan 28, 2022, 7:10 PM IST

बालोद: बालोद में हर साल 8 और 9 दिसंबर को शहीद वीर नारायण सिंह की स्मृति में वीर मेले का आयोजन किया जाता है. बालोद, धमतरी, कांकेर सहित बस्तर संभाग के आदिवासी समाज के लोग शामिल होते हैं. प्रत्येक साल इस मेले में मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल शिरकत करते हैं. इस आयोजन में शासन की तरफ से प्रत्येक साल 10 लाख रुपए का आर्थिक सहयोग भी किया जाता है. लेकिन इस साल मेले के संपन्न होने के बाद राशि भुगतान को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. जिसमें कांकेर क्षेत्र के विधायक एवं छत्तीसगड़ शासन के संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी पर गंभीर आरोप लग रहे हैं.

वीर मेला पर नया बखेड़ा

यह भी पढ़ें: आखिर क्यों देशभर में छत्तीसगढ़ सरकारी कैलेंडर 2022 की हो रही चर्चा

कैसे जुड़ा संसदीय सचिव का नाम
प्रदेश सरकार में संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी वीर मेला आयोजन समिति के पूर्व में अध्यक्ष थे. इस बार समिति द्वारा नए अध्यक्ष का चयन किया गया है. लेकिन मेले के आयोजन के बाद शासन से मिलने वाले 10 लाख रुपए का सहयोग लेने आयोजन समिति बालोद जिला प्रशासन के समक्ष पहुंची. उन्हें पता चला कि पूर्व में अध्यक्ष रहे संसदीय सचिव द्वारा लगभग 5 लाख 20 हजार रुपए का फर्जी बिल मेले के नाम से लगाया गया है. जिसके बाद से विवाद ने जन्म लिया और समाज द्वारा संसदीय सचिव के ऊपर समाज को तोड़ने का आरोप लगाया जा रहा है.

प्रतिवर्ष बालोद प्रशासन से जारी होती है राशि

हर साल इस मेले के लिए आदिम जाति विभाग से 10 लाख रुपये मिलता है. मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान 5 लाख रूपये प्राप्त होता था. सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बालोद के माध्यम से सर्व आदिवासी समाज जिला बालोद के खाता में आने के बाद संबंधित फर्म्स को भुगतान किया जाता था. हर साल 2014 से 2020 तक लगातार सर्व आदिवासी समाज जिला बालोद के खाते में ही राशि आ रही थी.

यहां क आदिवासी समाज के लोगों ने आरोप लगाया है कि, इस साल कांकेर विधायक शिशुपाल सोरी ने राधे लाल नागवंशी को वीर मेला का फर्जी अध्यक्ष बनाया और उनके नाम से 10 लाख रूपये की राशि आदिम जाति विकास विभाग रायपुर से जारी करवाई, जो सर्वथा अनुचित है. उसने पूरा फर्जी बिल लगाया है.

यह भी पढ़ें: हसदेव अरण्य में अडानी के खदानों के खिलाफ प्रदर्शन, आंदोलन की गूंज लंदन तक पहुंची

30 दिन के भीतर करें भुगतान
आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं बालोद जिला आदिवासी समाज के अध्यक्ष ने बताया कि हमने जिला प्रशासन बालोद, जिला प्रशासन धमतरी एवं जिला प्रशासन कांकेर को अवगत कराया है कि जो शासन द्वारा सहयोग राशि वीर मेले के लिए मिलता है. उन्हें 30 दिन के भीतर जारी करें अन्यथा हम सभी राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरना देंगे.

समाज को तोड़ने का आरोप
सभी समाज ने संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशुपाल सोरी पर समाज को तोड़ने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ से समाज के हितैषी होने की बात कहते हैं तो दूसरी तरफ आर्थिक लाभ लेने के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं.

बालोद: बालोद में हर साल 8 और 9 दिसंबर को शहीद वीर नारायण सिंह की स्मृति में वीर मेले का आयोजन किया जाता है. बालोद, धमतरी, कांकेर सहित बस्तर संभाग के आदिवासी समाज के लोग शामिल होते हैं. प्रत्येक साल इस मेले में मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल शिरकत करते हैं. इस आयोजन में शासन की तरफ से प्रत्येक साल 10 लाख रुपए का आर्थिक सहयोग भी किया जाता है. लेकिन इस साल मेले के संपन्न होने के बाद राशि भुगतान को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. जिसमें कांकेर क्षेत्र के विधायक एवं छत्तीसगड़ शासन के संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी पर गंभीर आरोप लग रहे हैं.

वीर मेला पर नया बखेड़ा

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कैसे जुड़ा संसदीय सचिव का नाम
प्रदेश सरकार में संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी वीर मेला आयोजन समिति के पूर्व में अध्यक्ष थे. इस बार समिति द्वारा नए अध्यक्ष का चयन किया गया है. लेकिन मेले के आयोजन के बाद शासन से मिलने वाले 10 लाख रुपए का सहयोग लेने आयोजन समिति बालोद जिला प्रशासन के समक्ष पहुंची. उन्हें पता चला कि पूर्व में अध्यक्ष रहे संसदीय सचिव द्वारा लगभग 5 लाख 20 हजार रुपए का फर्जी बिल मेले के नाम से लगाया गया है. जिसके बाद से विवाद ने जन्म लिया और समाज द्वारा संसदीय सचिव के ऊपर समाज को तोड़ने का आरोप लगाया जा रहा है.

प्रतिवर्ष बालोद प्रशासन से जारी होती है राशि

हर साल इस मेले के लिए आदिम जाति विभाग से 10 लाख रुपये मिलता है. मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान 5 लाख रूपये प्राप्त होता था. सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बालोद के माध्यम से सर्व आदिवासी समाज जिला बालोद के खाता में आने के बाद संबंधित फर्म्स को भुगतान किया जाता था. हर साल 2014 से 2020 तक लगातार सर्व आदिवासी समाज जिला बालोद के खाते में ही राशि आ रही थी.

यहां क आदिवासी समाज के लोगों ने आरोप लगाया है कि, इस साल कांकेर विधायक शिशुपाल सोरी ने राधे लाल नागवंशी को वीर मेला का फर्जी अध्यक्ष बनाया और उनके नाम से 10 लाख रूपये की राशि आदिम जाति विकास विभाग रायपुर से जारी करवाई, जो सर्वथा अनुचित है. उसने पूरा फर्जी बिल लगाया है.

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30 दिन के भीतर करें भुगतान
आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं बालोद जिला आदिवासी समाज के अध्यक्ष ने बताया कि हमने जिला प्रशासन बालोद, जिला प्रशासन धमतरी एवं जिला प्रशासन कांकेर को अवगत कराया है कि जो शासन द्वारा सहयोग राशि वीर मेले के लिए मिलता है. उन्हें 30 दिन के भीतर जारी करें अन्यथा हम सभी राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरना देंगे.

समाज को तोड़ने का आरोप
सभी समाज ने संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशुपाल सोरी पर समाज को तोड़ने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ से समाज के हितैषी होने की बात कहते हैं तो दूसरी तरफ आर्थिक लाभ लेने के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं.

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