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'जहरीली' नहरें: 'पानी बैंक' की नगरी में नहीं मिल रहा लोगों को साफ पानी

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Published : Jan 22, 2021, 12:42 PM IST

Updated : Jan 22, 2021, 11:37 PM IST

बालोद जिले में कई नहरें बहती हैं, लेकिन यहां इनका हाल बेहाल है. जलाशय का पानी शहरों, कस्बों और गांवों में नहरों के माध्यम से बहता है, बावजूद इसके लोगों को साफ पानी नहीं मिल पा रहा है. लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. सभी नहरें गंदी हो गई हैं. 'पानी के बैंक' की नगरी में गंदा पानी बह रहा है. ईटीवी भारत पर पढ़िए पानी की कहानी...

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पानी बैंक की नगरी में साफ पानी लोगों के लिए मुनासिब !

बालोद: छत्तीसगढ़ में बालोद को पानी के कारण जाना जाता है. बालोद को 'पानी बैंक' का दर्जा मिला हुआ है. बालोद से प्रदेश के कई जिलों में पानी भेजा जाता है. जीवनदायिनी तांदुला जलाशय ने बालोद को पहचान दिलाई है. जलाशय का पानी शहरों, कस्बों और गांवों में नहरों के माध्यम से बहता है. दुर्ग, भिलाई और बेमेतरा जैसे क्षेत्रों को सिंचित करता है, बावजूद इसके बालोद के लोग साफ पानी के लिए तरस रहे हैं.

नहरों का हाल बेहाल

पढ़ें: SPECIAL: धान के रकबा क्षेत्र में शक्कर कारखाना ! नहीं मिल रहा कच्चा माल

तांदुला जलाशय से ग्रामीण इलाकों में नहरों के माध्यम से पानी पहुंचाया जाता है. जल संसाधन विभाग की लापरवाही के कारण लोग पानी के लिए मोहताज हो रहे हैं. नहरों में गंदगी पसरी हुई है. जब नहरें कंक्रीट की नहीं थीं, तब नहरों की सफाई की जाती थी. जब से नहरों को कंक्रीट का किया गया, तब से इसमें कूड़ा-करकट भर गया है. आसपास के लोगों का कहना है कि पहले नहर के पानी को पीने के लिए भी उपयोग करते थे, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि नहाना भी मुश्किल हो रहा है. गंदगी से नहर पटी हुई है.

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बालोद में बह रही 'जहरीली' नहर !

पढ़ें: मुश्किल राहों को पार कर डॉक्टर बनने की राह पर किसान की बेटी, परिवार ने कहा- गर्व है

पेयजल और निस्तारी लोगों की परेशानी

ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल और निस्तारी लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. नहरें दूषित हो चली हैं. जल संसाधन विभाग साफ-सफाई कराने का दावा करता है, लेकिन अधिकारी झांकने तक नहीं आते हैं. धरातल में सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

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जीवनदायिनी तांदुला जलाशय

कभी जल के नाम से समृद्ध हुआ करता था बालोद

बालोद में भले ही आज पानी की समस्या हो, लेकिन यहां प्राकृतिक जल स्रोतों सहित कृत्रिम जल स्रोतों की विस्तृत व्यवस्था थी. नहरों से बहने वाले पानी को पेयजल के रूप में उपयोग किया जाता था. शादी-ब्याह और मांगलिक कार्यों में पेयजल के लिए इसका उपयोग किया जाता था. आज सभी नहरें मैली हो गई हैं. प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है. सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति कर दी जाती है. स्थानीय लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

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नहरों में गंदगी का अंबार
जानिए नहरों के बारे में

बालोद जिले में सबसे बड़ी नहर तांदुला जलाशय से निकलती है, जो भिलाई इस्पात संयंत्र को जाती है. नहर बेमेतरा क्षेत्रों को भी सिंचित करती है.

https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bld-01-irrigation-hyc-spl-pkg-cg10028_17012021135001_1701f_01018_529.jpg
नहर को घास-फूस ने जकड़ा

गंगरेल जलाशय

दूसरी नहर गंगरेल जलाशय से निकलती है. गुरूर और बालोद को सिंचित करती है. ये नहर तांदुला में मिलती है. नहर का पानी भिलाई इस्पात संयंत्र सहित बेमेतरा अहिवारा जैसे क्षेत्रों को सिंचित करती है.

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गंदे पानी से लोग परेशान

बालोद में गोंदली जलाशय

बालोद में गोंदली जलाशय भी है. गोंदली जलाशय से भी नहर निकलती है. खरखारा जलाशय से भी नहरें निकलती हैं, जिन्हें पेयजल और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता था. अब सभी जलाशयों से निकलने वाली नहरें दूषित पानी दे रही हैं. ऐसे में ग्रामीण इलाके के लोगों को स्वच्छ पेयजल नहीं मिल रहा है.

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बालोद में नहरों का हाल बेहाल
केवल सिंचाई के समय होती है सफाई

स्थानीय लोगों ने बताया कि बालोद शहर से गुजरने वाली खरखारा नहर की केवल सिंचाई के वक्त सफाई की जाती है. नहरों की सफाई भी नाममात्र की होती है. इसे लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है. बालोद जल संसाधन विभाग केवल सिंचाई के समय खानापूर्ति करता है. नहरों में बड़े-बड़े घास-फूस उग गए हैं. नहर में नहाने तक के लिए जगह नहीं है. नहर गंदगी की चपेट में है.

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गंदगी से पटी है नहर

डिस्पोजल के कचरों से पटा नहर

स्थानीय लोगों का कहना है कि नहर डिस्पोजल और प्लास्टिक से पटा हुआ है. तांदुला क्षेत्र की नहरों में शराब की दुकानें हैं. लोग नहर के पानी को शराब पीने के लिए उपयोग करते हैं. प्लास्टिक के कचरे को नहर में फेंक देते हैं. नहरों में सबसे ज्यादा प्लास्टिक का कचरा है. स्थानीय निकाय सहित जल संसाधन विभाग आंख मूंदकर बैठा है. नहर के आसपास शराबियों का जमावड़ा रहता है.

अब सफाई की उम्मीद

आम जनता को जल संसाधन विभाग से नहरों की सफाई की उम्मीद है. ताकि नहरों के माध्यम से सिंचाई, निस्तारी और अन्य कामों में पानी का उपयोग किया जा सके और लोगों को नहरों का लाभ सके.

जल संरक्षण अनिवार्य

छत्तीसगढ़ सरकार और जल संसाधन विभाग नहरों की ओर ध्यान नहीं दे रहा है. धरातल पर जल संरक्षण के दावे खोखले नजर आ रहे हैं. जल संसाधन विभाग को जल संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ी को पानी के लिए भटकना न पड़े. नहरों को सुरक्षित करने की जरूरत है, ताकि लोगों को गंदे पानी के घूंट न पीना पड़े.

बालोद: छत्तीसगढ़ में बालोद को पानी के कारण जाना जाता है. बालोद को 'पानी बैंक' का दर्जा मिला हुआ है. बालोद से प्रदेश के कई जिलों में पानी भेजा जाता है. जीवनदायिनी तांदुला जलाशय ने बालोद को पहचान दिलाई है. जलाशय का पानी शहरों, कस्बों और गांवों में नहरों के माध्यम से बहता है. दुर्ग, भिलाई और बेमेतरा जैसे क्षेत्रों को सिंचित करता है, बावजूद इसके बालोद के लोग साफ पानी के लिए तरस रहे हैं.

नहरों का हाल बेहाल

पढ़ें: SPECIAL: धान के रकबा क्षेत्र में शक्कर कारखाना ! नहीं मिल रहा कच्चा माल

तांदुला जलाशय से ग्रामीण इलाकों में नहरों के माध्यम से पानी पहुंचाया जाता है. जल संसाधन विभाग की लापरवाही के कारण लोग पानी के लिए मोहताज हो रहे हैं. नहरों में गंदगी पसरी हुई है. जब नहरें कंक्रीट की नहीं थीं, तब नहरों की सफाई की जाती थी. जब से नहरों को कंक्रीट का किया गया, तब से इसमें कूड़ा-करकट भर गया है. आसपास के लोगों का कहना है कि पहले नहर के पानी को पीने के लिए भी उपयोग करते थे, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि नहाना भी मुश्किल हो रहा है. गंदगी से नहर पटी हुई है.

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बालोद में बह रही 'जहरीली' नहर !

पढ़ें: मुश्किल राहों को पार कर डॉक्टर बनने की राह पर किसान की बेटी, परिवार ने कहा- गर्व है

पेयजल और निस्तारी लोगों की परेशानी

ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल और निस्तारी लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है. नहरें दूषित हो चली हैं. जल संसाधन विभाग साफ-सफाई कराने का दावा करता है, लेकिन अधिकारी झांकने तक नहीं आते हैं. धरातल में सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

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जीवनदायिनी तांदुला जलाशय

कभी जल के नाम से समृद्ध हुआ करता था बालोद

बालोद में भले ही आज पानी की समस्या हो, लेकिन यहां प्राकृतिक जल स्रोतों सहित कृत्रिम जल स्रोतों की विस्तृत व्यवस्था थी. नहरों से बहने वाले पानी को पेयजल के रूप में उपयोग किया जाता था. शादी-ब्याह और मांगलिक कार्यों में पेयजल के लिए इसका उपयोग किया जाता था. आज सभी नहरें मैली हो गई हैं. प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है. सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति कर दी जाती है. स्थानीय लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

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नहरों में गंदगी का अंबार
जानिए नहरों के बारे में

बालोद जिले में सबसे बड़ी नहर तांदुला जलाशय से निकलती है, जो भिलाई इस्पात संयंत्र को जाती है. नहर बेमेतरा क्षेत्रों को भी सिंचित करती है.

https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bld-01-irrigation-hyc-spl-pkg-cg10028_17012021135001_1701f_01018_529.jpg
नहर को घास-फूस ने जकड़ा

गंगरेल जलाशय

दूसरी नहर गंगरेल जलाशय से निकलती है. गुरूर और बालोद को सिंचित करती है. ये नहर तांदुला में मिलती है. नहर का पानी भिलाई इस्पात संयंत्र सहित बेमेतरा अहिवारा जैसे क्षेत्रों को सिंचित करती है.

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गंदे पानी से लोग परेशान

बालोद में गोंदली जलाशय

बालोद में गोंदली जलाशय भी है. गोंदली जलाशय से भी नहर निकलती है. खरखारा जलाशय से भी नहरें निकलती हैं, जिन्हें पेयजल और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता था. अब सभी जलाशयों से निकलने वाली नहरें दूषित पानी दे रही हैं. ऐसे में ग्रामीण इलाके के लोगों को स्वच्छ पेयजल नहीं मिल रहा है.

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बालोद में नहरों का हाल बेहाल
केवल सिंचाई के समय होती है सफाई

स्थानीय लोगों ने बताया कि बालोद शहर से गुजरने वाली खरखारा नहर की केवल सिंचाई के वक्त सफाई की जाती है. नहरों की सफाई भी नाममात्र की होती है. इसे लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है. बालोद जल संसाधन विभाग केवल सिंचाई के समय खानापूर्ति करता है. नहरों में बड़े-बड़े घास-फूस उग गए हैं. नहर में नहाने तक के लिए जगह नहीं है. नहर गंदगी की चपेट में है.

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गंदगी से पटी है नहर

डिस्पोजल के कचरों से पटा नहर

स्थानीय लोगों का कहना है कि नहर डिस्पोजल और प्लास्टिक से पटा हुआ है. तांदुला क्षेत्र की नहरों में शराब की दुकानें हैं. लोग नहर के पानी को शराब पीने के लिए उपयोग करते हैं. प्लास्टिक के कचरे को नहर में फेंक देते हैं. नहरों में सबसे ज्यादा प्लास्टिक का कचरा है. स्थानीय निकाय सहित जल संसाधन विभाग आंख मूंदकर बैठा है. नहर के आसपास शराबियों का जमावड़ा रहता है.

अब सफाई की उम्मीद

आम जनता को जल संसाधन विभाग से नहरों की सफाई की उम्मीद है. ताकि नहरों के माध्यम से सिंचाई, निस्तारी और अन्य कामों में पानी का उपयोग किया जा सके और लोगों को नहरों का लाभ सके.

जल संरक्षण अनिवार्य

छत्तीसगढ़ सरकार और जल संसाधन विभाग नहरों की ओर ध्यान नहीं दे रहा है. धरातल पर जल संरक्षण के दावे खोखले नजर आ रहे हैं. जल संसाधन विभाग को जल संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ी को पानी के लिए भटकना न पड़े. नहरों को सुरक्षित करने की जरूरत है, ताकि लोगों को गंदे पानी के घूंट न पीना पड़े.

Last Updated : Jan 22, 2021, 11:37 PM IST
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