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SPECIAL: कुम्हारों के रोजगार पर कोरोना का असर, दिवाली के दीपों से किस्मत चमकने का कर रहे इंतजार

कुम्हारों की सुध लेने ETV भारत की टीम बालोद जिले के ग्राम पंचायत बरही पहुंची. इस गांव में कुम्हार जाति के लोगों की संख्या काफी अधिक है. यहां के कुम्हार मिट्टी के बर्तन, दीये और मूर्तियां बनाते हैं. यही इनकी आय का मुख्य जरिया है. कुम्हारों के इस गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. ETV भारत ने कुम्हारों से मिलकर उनके हालातों की जानकारी ली है.

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कुम्हारों के रोजगार पर कोरोना का असर
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Published : Oct 20, 2020, 1:15 PM IST

Updated : Oct 20, 2020, 4:09 PM IST

बालोद: कोरोना वायरस संक्रमण और महीनों तक लागू रहे लॉकडाउन का प्रभाव कई क्षेत्रों में अब भी व्यापक रूप से नजर आ रहा है. कई लोगों के जीवन स्तर पर इसका प्रभाव दिख रहा है. लोगों के रोजगार पर इसका बुरा असर पड़ा है. संक्रमण काल में कुम्हारों के रोजगार में भारी गिरावट आई है. पहले प्रशासन ने गणेश मूर्तियों की बनावट को लेकर ऐसे निर्देश जारी किए कि लोग पंडाल की स्थापना से भी घबराने लगे. मूर्तिकार नाममात्र की दो-तीन मूर्तियां ही बेच पाए. कुम्हारों को आने वाले दिनों से उम्मीद थी. उन्हें उम्मीद थी कि दुर्गा उत्सव और दिवाली में उनकी बनाई मूर्तियां बिकेंगी. हालांकि दुर्गा पूजा शुरू है और इस साल पिछले सालों की तुलना में काफी कम बिक्री हुई है. ऐसे में ETV भारत ने कुम्हारों से मिलकर उनके हालातों का जायजा लिया है.

कुम्हारों के रोजगार पर कोरोना का असर

कुम्हारों की सुध लेने ETV भारत की टीम बालोद जिले के ग्राम पंचायत बरही पहुंची. इस गांव में कुम्हार जाति के लोगों की संख्या काफी अधिक है. यहां के कुम्हार मिट्टी के बर्तन, दीये और मूर्तियां बनाते हैं. यही इनके आय का मुख्य जरिया है. कुम्हारों के इस गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. गांव में हर दूसरा घर कुम्हार का है. आय में आई गिरावट ने कुम्हारों को निराश कर दिया है.

पढ़ें: मरवाही का महासमर: ऋचा जोगी मेरा विकल्प- अमित जोगी

कुम्हारों ने बताया कि सारे त्योहार पर कोरोना वायरस का काला साया रहा. जहां हम गणेश पूजा के दौरान 100 मूर्तियां बेचते थे, वहां हमें चार-पांच गणेश की मूर्तियां बेचकर गुजारा करना पड़ रहा है. हमने लागत लगाकर मां दुर्गा की मूर्तियां बनाई थीं, जिनके ऑडर भी कैंसिल हो चुके हैं. अब समझ नहीं आ रहा कि लागत भी कहां से निकलेगी.

Idol sculptor
मूर्ति बनाता मूर्तिकार

मूर्तियों के ऑर्डर कैंसिल

मूर्तिकारों ने बताया कि हम सालों से मूर्तियां बनाकर अपना जीवन चला रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब हमने इस तरह के बुरे दिन देखे हैं. शासन और प्रशासन नए और कड़े नियम लागू कर रही है, जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है. गणेश पंडाल के दिशा-निर्देशों के बाद अब नवरात्र पंडाल के लिए भी कड़े नियम बनाए गए हैं. जिसके कारण मूर्तियों के ऑर्डर कैंसिल हो गए हैं. लगातार परेशानी बढ़ रही है.

Idol sculptor
कुम्हारों का गांव

पढ़ें: रायपुर: किरायेदार पर नाबालिग लड़की से रेप का आरोप, रांची का रहने वाला है आरोपी

दीयों की मांग में आई कमी

कुम्हारों ने बताया कि मंदिरों से भारी मात्रा में दीयों के लिए ऑर्डर आते थे. कोरोना वायरस के संक्रमण काल में लोग मंदिर ही नहीं जा रहे हैं, ऐसे में दीये कौन जलाएगा. इसलिए दीयों की मांग में भी काफी कमी आ चुकी है. नवरात्रि में कलश की मांग भी इस साल काफी कम रही. उनका कहना है कि कुछ ही गांव ऐसे होंगे, जहां पर मूर्ति स्थापित की जाएगी. लिहाजा हम लोगों के व्यापार पर इसका काफी बुरा असर पड़ता दिख रहा है.

मूर्तिकारों और कुम्हारों का कहना है कि हमें और कोई काम नहीं आता है. बचपन से ही हमारे बड़े-बुजुर्गों ने हमें यही काम सिखाया है, इसलिए हम दाने-दाने को मोहताज हो चुके हैं. ग्राम बरही में सबसे ज्यादा कुम्हार जाति के लोग निवास करते हैं. इस गांव की मायूसी बता रही है कि किस तरह से कोरोना वायरस के संक्रमण काल ने कुम्हारों के जीवन पर गहरा असर डाला है.

पढ़ें: बलरामपुर में फिर हैवानियत, जान से मारने की धमकी देकर नाबालिग से रेप, 2 दिन में 5वीं वारदात

अब दीपावली से उम्मीद

कुम्हारों को दीपों के पर्व दीपावली से थोड़े व्यापार की उम्मीद है. इसी की तैयारी में लगे हुए हैं. घर-घर मिट्टी के दीए बनाए जा रहे हैं, क्योंकि दिवाली देश का सबसे बड़ा पर्व है. दीपों के पर्व में दीए यदि अच्छे बिक जाते हैं, तो उनके जीवन स्तर पर सुधार होगा. इनके घरों में भी दिवाली की रौनक आएगी. यही उम्मीद लिए हर कोई मटके, दीये और पूजा में उपयोग होने वाले सामान बना रहे हैं. कुम्हारों और मूर्तिकारों ने सरकार से भी मदद की गुहार लगाई है.

बालोद: कोरोना वायरस संक्रमण और महीनों तक लागू रहे लॉकडाउन का प्रभाव कई क्षेत्रों में अब भी व्यापक रूप से नजर आ रहा है. कई लोगों के जीवन स्तर पर इसका प्रभाव दिख रहा है. लोगों के रोजगार पर इसका बुरा असर पड़ा है. संक्रमण काल में कुम्हारों के रोजगार में भारी गिरावट आई है. पहले प्रशासन ने गणेश मूर्तियों की बनावट को लेकर ऐसे निर्देश जारी किए कि लोग पंडाल की स्थापना से भी घबराने लगे. मूर्तिकार नाममात्र की दो-तीन मूर्तियां ही बेच पाए. कुम्हारों को आने वाले दिनों से उम्मीद थी. उन्हें उम्मीद थी कि दुर्गा उत्सव और दिवाली में उनकी बनाई मूर्तियां बिकेंगी. हालांकि दुर्गा पूजा शुरू है और इस साल पिछले सालों की तुलना में काफी कम बिक्री हुई है. ऐसे में ETV भारत ने कुम्हारों से मिलकर उनके हालातों का जायजा लिया है.

कुम्हारों के रोजगार पर कोरोना का असर

कुम्हारों की सुध लेने ETV भारत की टीम बालोद जिले के ग्राम पंचायत बरही पहुंची. इस गांव में कुम्हार जाति के लोगों की संख्या काफी अधिक है. यहां के कुम्हार मिट्टी के बर्तन, दीये और मूर्तियां बनाते हैं. यही इनके आय का मुख्य जरिया है. कुम्हारों के इस गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. गांव में हर दूसरा घर कुम्हार का है. आय में आई गिरावट ने कुम्हारों को निराश कर दिया है.

पढ़ें: मरवाही का महासमर: ऋचा जोगी मेरा विकल्प- अमित जोगी

कुम्हारों ने बताया कि सारे त्योहार पर कोरोना वायरस का काला साया रहा. जहां हम गणेश पूजा के दौरान 100 मूर्तियां बेचते थे, वहां हमें चार-पांच गणेश की मूर्तियां बेचकर गुजारा करना पड़ रहा है. हमने लागत लगाकर मां दुर्गा की मूर्तियां बनाई थीं, जिनके ऑडर भी कैंसिल हो चुके हैं. अब समझ नहीं आ रहा कि लागत भी कहां से निकलेगी.

Idol sculptor
मूर्ति बनाता मूर्तिकार

मूर्तियों के ऑर्डर कैंसिल

मूर्तिकारों ने बताया कि हम सालों से मूर्तियां बनाकर अपना जीवन चला रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब हमने इस तरह के बुरे दिन देखे हैं. शासन और प्रशासन नए और कड़े नियम लागू कर रही है, जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है. गणेश पंडाल के दिशा-निर्देशों के बाद अब नवरात्र पंडाल के लिए भी कड़े नियम बनाए गए हैं. जिसके कारण मूर्तियों के ऑर्डर कैंसिल हो गए हैं. लगातार परेशानी बढ़ रही है.

Idol sculptor
कुम्हारों का गांव

पढ़ें: रायपुर: किरायेदार पर नाबालिग लड़की से रेप का आरोप, रांची का रहने वाला है आरोपी

दीयों की मांग में आई कमी

कुम्हारों ने बताया कि मंदिरों से भारी मात्रा में दीयों के लिए ऑर्डर आते थे. कोरोना वायरस के संक्रमण काल में लोग मंदिर ही नहीं जा रहे हैं, ऐसे में दीये कौन जलाएगा. इसलिए दीयों की मांग में भी काफी कमी आ चुकी है. नवरात्रि में कलश की मांग भी इस साल काफी कम रही. उनका कहना है कि कुछ ही गांव ऐसे होंगे, जहां पर मूर्ति स्थापित की जाएगी. लिहाजा हम लोगों के व्यापार पर इसका काफी बुरा असर पड़ता दिख रहा है.

मूर्तिकारों और कुम्हारों का कहना है कि हमें और कोई काम नहीं आता है. बचपन से ही हमारे बड़े-बुजुर्गों ने हमें यही काम सिखाया है, इसलिए हम दाने-दाने को मोहताज हो चुके हैं. ग्राम बरही में सबसे ज्यादा कुम्हार जाति के लोग निवास करते हैं. इस गांव की मायूसी बता रही है कि किस तरह से कोरोना वायरस के संक्रमण काल ने कुम्हारों के जीवन पर गहरा असर डाला है.

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अब दीपावली से उम्मीद

कुम्हारों को दीपों के पर्व दीपावली से थोड़े व्यापार की उम्मीद है. इसी की तैयारी में लगे हुए हैं. घर-घर मिट्टी के दीए बनाए जा रहे हैं, क्योंकि दिवाली देश का सबसे बड़ा पर्व है. दीपों के पर्व में दीए यदि अच्छे बिक जाते हैं, तो उनके जीवन स्तर पर सुधार होगा. इनके घरों में भी दिवाली की रौनक आएगी. यही उम्मीद लिए हर कोई मटके, दीये और पूजा में उपयोग होने वाले सामान बना रहे हैं. कुम्हारों और मूर्तिकारों ने सरकार से भी मदद की गुहार लगाई है.

Last Updated : Oct 20, 2020, 4:09 PM IST
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