बालोद: कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद शिक्षा व्यवस्था को सुधारना शासन-प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती रही है. शासन-प्रशासन को कोरोना संक्रमण से भी लड़ना है और शिक्षा व्यवस्था पर भी ध्यान देना है. ऐसे में ऑनलाइन क्लॉस का विकल्प निकाला गया, लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा दिक्कतें इंटरनेट और स्मार्टफोन के रूप में सामने आई है. इस समस्या के बाद अब जिले के शिक्षकों ने एक बेहतर विकल्प निकाला है. यहां अब कॉन्फ्रेंस कॉल को बेहतर मानकर शिक्षक पढ़ा रहे हैं. जिले के सैकड़ों शिक्षक इस कॉन्फ्रेंस कॉल के माध्यम से बच्चों से जुड़कर रोजाना पढ़ाई करा रहे हैं.
डौंडी और लोहारा एक ऐसे वनांचल क्षेत्र हैं, जहां पर नेटवर्क की काफी समस्या रहती है. इन इलाकों में मुश्किल से 2G नेटवर्क ही काम करता है. ऐसे में इंटरनेट और स्मार्टफोन की कल्पना दिल्ली दूर जैसी है, लेकिन शिक्षकों ने 2G की-पैड मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई का विकल्प निकाला है. इसके लिए एक समय निर्धारित किया गया है, जिसमें सभी को बारी-बारी जोड़ा जाता है और पढ़ाई कराया जा रहा है. बच्चे मोबाइल को स्पीकर मोड पर डालकर कॉपियां-पुस्तक लेकर बैठ जाते हैं. फिर पढ़ाई का यह सिलसिला शुरू हो जाता है.
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शासन का नहीं है कोई योगदान
कोरोना काल में संसाधनों के अभाव में शिक्षकों ने यह विकल्प निकाला है. इसमें शासन का कोई योगदान नहीं है, न ही शासन की कोई गाइडलाइन है कि इस तरह के माध्यम से बच्चों को अध्ययन कराया जाए. यह विकल्प स्वयं यहां के शिक्षकों ने निकाला है और धीरे-धीरे ये विकल्प चर्चा के रूप में सभी शिक्षकों तक पहुंचती गई.
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आसान हुई शिक्षा की राह
विकल्प बेहतर होने के कारण सभी ने इसे हाथो-हाथ अपनाया और अब न वीडियो कॉल न ही व्हाट्सएप कॉल बल्कि कॉन्फ्रेंस कॉल के माध्यम से पढ़ाई हो रही है. जिले के माध्यमिक से लेकर हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल में इसको लेकर बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं. इसको लेकर शिक्षकों का कहना है कि अब उनकी राह आसान हुई है.