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बालोद में चंद्र ग्रहण का अटल लैब के माध्यम से अध्ययन, बच्चों ने लिया हिस्सा - ग्रहण एक खगोलीय घटना

Study of eclipse through Atal Lab in balod बालोद शहर के कन्या शाला के अटल लैब के प्रोफेसर भूपेश्वर नाथ योगी ने चंद्रग्रहण का अपने छात्राओं एवं आम जनता को अध्ययन कराया. उन्होंने टेलीस्कोप के माध्यम से चंद्रग्रहण की तस्वीर और उससे होने वाले प्रभाव और चंद्रग्रहण के वास्तविक खगोलीय घटना के कारण को स्पष्ट किया.

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ग्रहण का अटल लैब के माध्यम से अध्ययन
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Published : Nov 8, 2022, 11:30 PM IST

बालोद: बालोद शहर के कन्या शाला के अटल लैब के प्रोफेसर भूपेश्वर नाथ योगी ने चंद्रग्रहण का अपने छात्राओं एवं आम जनता को अध्ययन कराया. उन्होंने टेलीस्कोप के माध्यम से चंद्रग्रहण की तस्वीर और उससे होने वाले प्रभाव और चंद्रग्रहण के वास्तविक खगोलीय घटना के कारण को स्पष्ट किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि चंद्रग्रहण, जिसे पुराने समय में एक अलग ढंग से देखा जाता था. इसके वास्तविक अर्थ को बच्चों को समझाना उनका मकसद है. Study of eclipse through Atal Lab in balod

बालोद में चंद्र ग्रहण
छत पर लगी रही बच्चों की भीड़: प्रोफेसर ने अपने छत पर टेलीस्कोप लगा रखा था. जिसके चलते आसपास के लोगों की भीड़ लगी रही. चंद्रग्रहण को सामान्य आंखों से भी देखा जा सकता था. चंद्रग्रहण की शुरुआत के साथ ही सूर्य की तेज लाल रोशनी चंद्र पर पड़ने लगी और पृथ्वी का साया भी उस पर पड़ने लगा. इस कारण पूर्णिमा के दिन भी चांद आधा नजर आया.

यह भी पढ़ें: बालोद विधायक संगीता सिन्हा का रैंप वॉक


खगोलीय घटना समझने उमड़े लोग: प्रोफेसर ने बताया कि "चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण का हम बारीकी से पहले स्कोप के माध्यम से अध्ययन कर रहे हैं. इसका मकसद यह है कि विज्ञान सम्मत बातों को हम इसके माध्यम से समझें." उन्होंने कहा कि "यह एक आंशिक चंद्रग्रहण है. बालोद में सूर्यास्त देरी से हुआ, इसलिए देरी से दिखा. इसका उद्देश्य है कि प्राचीन समय का जो अंधविश्वास है, उसको हम दूर कर पाए. ग्रहण एक खगोलीय घटना है. ब्रह्मांड में सारी चीजें दूसरे के चक्कर लगा रही है. जब सभी चीजें एक सीध में आते हैं. तो एक दूसरे की परछाई पड़ती है, तो उसे ग्रहण का नाम दिया जाता है."

बालोद: बालोद शहर के कन्या शाला के अटल लैब के प्रोफेसर भूपेश्वर नाथ योगी ने चंद्रग्रहण का अपने छात्राओं एवं आम जनता को अध्ययन कराया. उन्होंने टेलीस्कोप के माध्यम से चंद्रग्रहण की तस्वीर और उससे होने वाले प्रभाव और चंद्रग्रहण के वास्तविक खगोलीय घटना के कारण को स्पष्ट किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि चंद्रग्रहण, जिसे पुराने समय में एक अलग ढंग से देखा जाता था. इसके वास्तविक अर्थ को बच्चों को समझाना उनका मकसद है. Study of eclipse through Atal Lab in balod

बालोद में चंद्र ग्रहण
छत पर लगी रही बच्चों की भीड़: प्रोफेसर ने अपने छत पर टेलीस्कोप लगा रखा था. जिसके चलते आसपास के लोगों की भीड़ लगी रही. चंद्रग्रहण को सामान्य आंखों से भी देखा जा सकता था. चंद्रग्रहण की शुरुआत के साथ ही सूर्य की तेज लाल रोशनी चंद्र पर पड़ने लगी और पृथ्वी का साया भी उस पर पड़ने लगा. इस कारण पूर्णिमा के दिन भी चांद आधा नजर आया.

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खगोलीय घटना समझने उमड़े लोग: प्रोफेसर ने बताया कि "चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण का हम बारीकी से पहले स्कोप के माध्यम से अध्ययन कर रहे हैं. इसका मकसद यह है कि विज्ञान सम्मत बातों को हम इसके माध्यम से समझें." उन्होंने कहा कि "यह एक आंशिक चंद्रग्रहण है. बालोद में सूर्यास्त देरी से हुआ, इसलिए देरी से दिखा. इसका उद्देश्य है कि प्राचीन समय का जो अंधविश्वास है, उसको हम दूर कर पाए. ग्रहण एक खगोलीय घटना है. ब्रह्मांड में सारी चीजें दूसरे के चक्कर लगा रही है. जब सभी चीजें एक सीध में आते हैं. तो एक दूसरे की परछाई पड़ती है, तो उसे ग्रहण का नाम दिया जाता है."

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