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Balod news : बालोद के दिव्यांग युवक कमलेश निषाद की कहानी, लोगों के लिए बनी मिसाल - बालोद के दिव्यांग युवक की कहानी

बालोद में एक दिव्यांग लोगों के लिए मिसाल बना हुआ है. एक हाथ ना होने के बावजूद दिव्यांग युवक ने छत्तीसगढ़ पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल किया है. जिसकी चारों तरफ प्रशंसा हो रही है. लाख मुश्किलों के बावजूद कमलेश आज अपने हौंसलों से ऊंची उड़ान भर रहा है.

Story of Divyang youth of Balod
बालोद के दिव्यांग युवक की कहानी
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Published : Jan 19, 2023, 6:20 PM IST

Updated : Jan 19, 2023, 6:30 PM IST

बालोद : दिव्यांग कमलेश निषाद जिले के ग्राम सिवनी के निवासी हैं. जो किसी के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहते. चार महिलाओं के साथ एक अकेला दिव्यांग कमलेश अपने परिवार का लालन पालन कर रहा है. खेल में भी उनकी विशेष रूचि है. दिव्यांग कमलेश ने हाल ही में बालोद जिले का नाम रोशन करते हुए छत्तीसगढ़ पैरा ओलिंपिक में गोल्ड मेडल हासिल किया है. जिसमें लंबी कूद 100 मीटर दौड़ और गोला फेंक शामिल हैं.कलेक्टर ने उनकी जीत पर बधाई देते हुए उनके हौंसलों को सलाम किया.

लंबी कूद में गंवाया हाथ : खेल का इतना जुनून है कमलेश निषाद ने हमेशा खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनकर रखा. हालांकि इसी खेल प्रेम ने उनका एक हाथ छीन लिया. यह घटना है वर्ष 2001 की जहां पर लंबी कूद के खेल के दौरान उन्हें एक हादसे का शिकार होना पड़ा. उन्होंने अपना एक हाथ गंवा दिया कमलेश ने बताया कि लम्बी कूद खेल के दौरान उनका बैलेंस बिगड़ गया. उनका हाथ चकनाचूर हो गया और जहर फैलने के कारण कमलेश को हाथ गंवाना पड़ा.

हाथ कटने पर भी जज्बा नहीं छोड़ा : कमलेश की यात्रा हाथ कटने के बाद भी नहीं रुकी. दिव्यांग खेल में कमलेश पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच में दो दो हाथ किए. भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जीत भी दिलाई पैरा ओलिंपिक में बैंगलोर में नेशनल गेम्स में लंबी कूद 20 मीटर दौड़ और गोला फेंक में भी पदक हासिल कर जिले का नाम रोशन किए.

दिव्यांग कमलेश निषाद ने बताया कि '' एक हाथ ना होने के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है. उनके बड़े भाई की मृत्यु हो गई है. उनके घर में बड़े भाई के परिवार के साथ कुल 4 महिलाएं हैं. 4 महिलाएं केवल कमलेश के कंधे पर आश्रित हैं. अपने परिवार को कभी भी दुखी होने नहीं देते और हर काम बखूबी करते हैं.''

कमलेश ने बताया कि ''कई सारे दिव्यांग प्रतिभा है जो घर की चारदीवारी में कैद है. कुछ आर्थिक समस्याएं हैं. जिसके कारण भी नहीं जा पाते उनके खुद के पास कई सारे खेल खेलने के विचार है. परंतु आर्थिक समस्या है. कहीं न कहीं बाधा डालती है. जिला स्तर पर इस तरह के आयोजन पैरा ओलंपिक होता है तो कई सारी प्रतिभाएं खिलकर सामने आएंगी.''

पुलिस वाले करते हैं मना : दिव्यांग कमलेश का एक हाथ भले ही नहीं ना हो, लेकिन वह एक कुशल वाहन चालक हैं. वह एक पिकअप गाड़ी मेंटेन करते हैं. इसी में सामान लाने, ले जाने का काम करते हैं. लेकिन उनका कहना है कि पुलिस उन्हें रोकती और कहती है कि एक हाथ होने पर लाइसेंस कैसे बनाया और चालानी कार्रवाई भी की जाती है." उन्होंने कहा कि "मैं गाड़ी तो बहुत अच्छे से चलाता हूं, यह मेरी मजबूरी भी है.''

ये भी पढ़ें- बालोद में सहकारी शक्कर कारखाना मेंटनेंस के बाद फिर हुआ शुरु


कमलेश में है जीजिविषा : कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने कहा कि ''उनकी इस उपलब्धि पर पूरे जिले और जिला प्रशासन को गर्व है. हम ईश्वर से कामना करते हैं कि कमलेश ऐसे ही खेलते रहे. प्रशासन से जो सहयोग हो किया जाएगा.अपना प्रदर्शन ऐसे जारी रखे और कलेक्टर ने कमलेश से मुलाकात भी की और कहा कि उनके अंदर जीजिविषा भी है.''

बालोद : दिव्यांग कमलेश निषाद जिले के ग्राम सिवनी के निवासी हैं. जो किसी के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहते. चार महिलाओं के साथ एक अकेला दिव्यांग कमलेश अपने परिवार का लालन पालन कर रहा है. खेल में भी उनकी विशेष रूचि है. दिव्यांग कमलेश ने हाल ही में बालोद जिले का नाम रोशन करते हुए छत्तीसगढ़ पैरा ओलिंपिक में गोल्ड मेडल हासिल किया है. जिसमें लंबी कूद 100 मीटर दौड़ और गोला फेंक शामिल हैं.कलेक्टर ने उनकी जीत पर बधाई देते हुए उनके हौंसलों को सलाम किया.

लंबी कूद में गंवाया हाथ : खेल का इतना जुनून है कमलेश निषाद ने हमेशा खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनकर रखा. हालांकि इसी खेल प्रेम ने उनका एक हाथ छीन लिया. यह घटना है वर्ष 2001 की जहां पर लंबी कूद के खेल के दौरान उन्हें एक हादसे का शिकार होना पड़ा. उन्होंने अपना एक हाथ गंवा दिया कमलेश ने बताया कि लम्बी कूद खेल के दौरान उनका बैलेंस बिगड़ गया. उनका हाथ चकनाचूर हो गया और जहर फैलने के कारण कमलेश को हाथ गंवाना पड़ा.

हाथ कटने पर भी जज्बा नहीं छोड़ा : कमलेश की यात्रा हाथ कटने के बाद भी नहीं रुकी. दिव्यांग खेल में कमलेश पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच में दो दो हाथ किए. भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जीत भी दिलाई पैरा ओलिंपिक में बैंगलोर में नेशनल गेम्स में लंबी कूद 20 मीटर दौड़ और गोला फेंक में भी पदक हासिल कर जिले का नाम रोशन किए.

दिव्यांग कमलेश निषाद ने बताया कि '' एक हाथ ना होने के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है. उनके बड़े भाई की मृत्यु हो गई है. उनके घर में बड़े भाई के परिवार के साथ कुल 4 महिलाएं हैं. 4 महिलाएं केवल कमलेश के कंधे पर आश्रित हैं. अपने परिवार को कभी भी दुखी होने नहीं देते और हर काम बखूबी करते हैं.''

कमलेश ने बताया कि ''कई सारे दिव्यांग प्रतिभा है जो घर की चारदीवारी में कैद है. कुछ आर्थिक समस्याएं हैं. जिसके कारण भी नहीं जा पाते उनके खुद के पास कई सारे खेल खेलने के विचार है. परंतु आर्थिक समस्या है. कहीं न कहीं बाधा डालती है. जिला स्तर पर इस तरह के आयोजन पैरा ओलंपिक होता है तो कई सारी प्रतिभाएं खिलकर सामने आएंगी.''

पुलिस वाले करते हैं मना : दिव्यांग कमलेश का एक हाथ भले ही नहीं ना हो, लेकिन वह एक कुशल वाहन चालक हैं. वह एक पिकअप गाड़ी मेंटेन करते हैं. इसी में सामान लाने, ले जाने का काम करते हैं. लेकिन उनका कहना है कि पुलिस उन्हें रोकती और कहती है कि एक हाथ होने पर लाइसेंस कैसे बनाया और चालानी कार्रवाई भी की जाती है." उन्होंने कहा कि "मैं गाड़ी तो बहुत अच्छे से चलाता हूं, यह मेरी मजबूरी भी है.''

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कमलेश में है जीजिविषा : कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने कहा कि ''उनकी इस उपलब्धि पर पूरे जिले और जिला प्रशासन को गर्व है. हम ईश्वर से कामना करते हैं कि कमलेश ऐसे ही खेलते रहे. प्रशासन से जो सहयोग हो किया जाएगा.अपना प्रदर्शन ऐसे जारी रखे और कलेक्टर ने कमलेश से मुलाकात भी की और कहा कि उनके अंदर जीजिविषा भी है.''

Last Updated : Jan 19, 2023, 6:30 PM IST
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