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छत्तीसगढ़ के हर गहने का है अपना महत्व, खानपान की अपनी अहमियत

सांस्कृतिक जागृति यात्रा के जरिए छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बचाने और युवा पीढ़ी को छत्तीसगढ़ की संस्कृति से अवगत कराने के लिए समाजसेवी शांता शर्मा प्रदेश के दौरे पर निकलीं हैं. हर जिलों में पहुंचकर लोगों के बीच जाकर वे लोगों को इस गुम होती हुई संस्कृति के बारे में बता रहीं हैं.

छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आभूषण
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Published : Sep 22, 2019, 8:41 AM IST

Updated : Sep 22, 2019, 3:06 PM IST

बालोद: छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संजोए रखने के लिए सांस्कृतिक जागृति यात्रा बालोद पहुंची. समाजसेविका शांता शर्मा ने अलग-अलग स्कूलों का दौरा किया और वहां के बच्चों से रूबरू हुई. साथ ही उन्होंने इस दौरान बच्चों को प्रदेश के पारंपरिक गहनों के बारे में जानकारी दी.

प्रदर्शनी लगाकर बच्चों को दी जानकारी
शांता अपने साथ छत्तीसगढ़ी आभूषणों की प्रदर्शनी भी लेकर चल रहीं हैं. उन्होंने स्कूली बच्चों को आभूषणों के नाम बताए साथ ही इन आभूषणों के पहनने से होने वाले फायदे के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि इन आभूषणों का वैज्ञानिक महत्व भी है.

छत्तासगढ़ की संस्कृति को संजोने शांता शर्मा ने उठाया बीड़ा

छत्तीसगढ़ की संस्कृति बताने निकलीं हैं शांता
शांता जी ने वहां मौजूद छात्र-छात्राओं और शिक्षिकाओं को गहनों के महत्व के बारे पूछा कि क्या आप इन गहनों का नाम बता सकते हैं. तीन-चार छात्राएं खड़ी तो हुई लेकिन वे सभी गहनों का नाम नहीं बता पाए. इस पर समाजसेविका ने कहा कि यही बातें मैं बताने निकली हूं कि हमारी संस्कृति कहीं खोते जा रही है. आज यहां लोगों को पंजाबी कुर्ती, गुजराती कपड़े, गुजराती गहने, अंग्रेजी कपड़े, अंग्रेजी गहने, सभी पता रहते हैं. लेकिन ये विडंबना है कि छत्तीसगढ़ के लोगों को ही यहां के गहनों और खान-पान के बारे में नहीं पता है.

इन गहनों का वैज्ञानिक महत्व भी: शर्मा
आज कमर की समस्या, हाथों में जकड़न जैसी कई सारी चीजें होती है लेकिन हम देखते हैं कि पहले की महिलाएं काफी लंबी उम्र में भी मेहनत वाले काम करती थीं. यही सब आभूषण उनके फिट रहने और मेहनत करने का राज थे. लेकिन आज महिलाओं में जल्दी कमजोरी सहित और भी बीमारियां घर कर जाती है.

देसी खाना खाएं लोग: शांता
उन्होंने कहा कि अंग्रेजी खानपान, फास्ट फूड खाने से भी कई तरह की शारीरिक समस्याएं हो रही हैं. ऐसे खाने को ना अपना कर शुद्ध देसी, छत्तीसगढ़ी भोजन लोगों को करना चाहिए.

बालोद: छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संजोए रखने के लिए सांस्कृतिक जागृति यात्रा बालोद पहुंची. समाजसेविका शांता शर्मा ने अलग-अलग स्कूलों का दौरा किया और वहां के बच्चों से रूबरू हुई. साथ ही उन्होंने इस दौरान बच्चों को प्रदेश के पारंपरिक गहनों के बारे में जानकारी दी.

प्रदर्शनी लगाकर बच्चों को दी जानकारी
शांता अपने साथ छत्तीसगढ़ी आभूषणों की प्रदर्शनी भी लेकर चल रहीं हैं. उन्होंने स्कूली बच्चों को आभूषणों के नाम बताए साथ ही इन आभूषणों के पहनने से होने वाले फायदे के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि इन आभूषणों का वैज्ञानिक महत्व भी है.

छत्तासगढ़ की संस्कृति को संजोने शांता शर्मा ने उठाया बीड़ा

छत्तीसगढ़ की संस्कृति बताने निकलीं हैं शांता
शांता जी ने वहां मौजूद छात्र-छात्राओं और शिक्षिकाओं को गहनों के महत्व के बारे पूछा कि क्या आप इन गहनों का नाम बता सकते हैं. तीन-चार छात्राएं खड़ी तो हुई लेकिन वे सभी गहनों का नाम नहीं बता पाए. इस पर समाजसेविका ने कहा कि यही बातें मैं बताने निकली हूं कि हमारी संस्कृति कहीं खोते जा रही है. आज यहां लोगों को पंजाबी कुर्ती, गुजराती कपड़े, गुजराती गहने, अंग्रेजी कपड़े, अंग्रेजी गहने, सभी पता रहते हैं. लेकिन ये विडंबना है कि छत्तीसगढ़ के लोगों को ही यहां के गहनों और खान-पान के बारे में नहीं पता है.

इन गहनों का वैज्ञानिक महत्व भी: शर्मा
आज कमर की समस्या, हाथों में जकड़न जैसी कई सारी चीजें होती है लेकिन हम देखते हैं कि पहले की महिलाएं काफी लंबी उम्र में भी मेहनत वाले काम करती थीं. यही सब आभूषण उनके फिट रहने और मेहनत करने का राज थे. लेकिन आज महिलाओं में जल्दी कमजोरी सहित और भी बीमारियां घर कर जाती है.

देसी खाना खाएं लोग: शांता
उन्होंने कहा कि अंग्रेजी खानपान, फास्ट फूड खाने से भी कई तरह की शारीरिक समस्याएं हो रही हैं. ऐसे खाने को ना अपना कर शुद्ध देसी, छत्तीसगढ़ी भोजन लोगों को करना चाहिए.

Intro:बालोद।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संजोए रखने के लिए सांस्कृतिक जागृति यात्रा के तहत समाजसेवी शांता शर्मा प्रदेश के दौरे पर निकली हुई है जो कि इस यात्रा के तहत बालोद जिला पहुंचे जहां उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों एवं विद्यालयों का दौरा किया और वहां बच्चों से रूबरू हुए साथ ही उन्होंने इस दौरान बच्चों को प्रदेश के पारंपरिक गहनों के बारे में जानकारी दी जब उन्होंने गहनों के नाम पूछे तो बच्चे बता नहीं पाए।






Body:वीओ - जब समाजसेवी शांता शर्मा बालोद पहुंचे तो वह अपने साथ प्रदर्शनी लेकर चल रहे थे जिसमें छत्तीसगढ़ी आभूषण रखे हुए थे उन्होंने स्कूली बच्चों को आभूषणों के नाम बताए साथ ही इन आभूषणों के पहनने से होने वाले लाभ के बारे में बताया उन्होंने बताया कि इन आभूषणों का वैज्ञानिक महत्व भी है आज कमर की समस्या हाथों में जकड़न जैसी कई सारी चीजें होती है परंतु हम देखते हैं कि प्राचीन महिलाएं काफी लंबी उम्र में भी मेहनत वाले काम करते हैं यही सब आभूषण उनके फिट रहने और मेहनत करने का राज था परंतु आज महिलाओं में जल्दी कमजोरी सहित अन्य बीमारियां भी घर कर जाती है।

वीओ - समाजसेवी महिला वहां मौजूद छात्र छात्राओं एवं शिक्षिकाओं को गहने के महत्व के बारे में बताते हुए छात्र-छात्राओं से पूछा कि क्या आप इन गहनों का नाम बता सकते हैं तीन चार छात्राएं खड़ी तो हुई परंतु वह सभी गहनों का नाम बता पाने में असमर्थ रहे उन्होंने कहा कि यही सब बातें मैं बताने निकली हूं कि हमारी संस्कृति कहीं खो ना जाए आज यहां लोगों को पंजाबी कुर्ती गुजराती कपड़े गुजराती गहने अंग्रेजी कपड़े अंग्रेजी गहने सभी याद रहते हैं परंतु छत्तीसगढ़ की ही गहनों और कपड़ों को लोग भूलते जा रहे हैं।

वीओ - साथ ही उन्होंने कहा कि अंग्रेजी खानपान और दीगर फास्ट फूड खाने से भी शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है जिसको ना अपना कर देसी शुद्ध छत्तीसगढ़ी भोजन लोगों को करना चाहिए।


Conclusion:आपको बता दे कि समाजसेवी संतोष शर्मा द्वारा विभिन्न संभागों में जाकर सांस्कृतिक जागरूकता फैलाई जा रही है और उन्हें लोगों का सकारात्मक सहयोग भी मिल रहा है उन्होंने पूरे प्रदेश में दौरे करने की बात कही।


बाइट - शांता शर्मा
Last Updated : Sep 22, 2019, 3:06 PM IST
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