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SPECIAL: आधुनिक गौठान से आत्मनिर्भर हो रहे ग्रामीण

भूपेश बघेल सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी के तहत गौठान का स्वरूप बदल रहा है. चरोटा गांव में बने आदर्श गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाएं बेहतरीन काम कर रही हैं. महिलाओं ने गौठान में कड़कनाथ मुर्गा पालन का काम शुरू किया है. इसके अलावा इन गौठानों में पशुपालन, दूध बेचकर और वर्मी कंपोस्ट बनाकर आय अर्जीत किया जा रहा है. गौठान में मशरूम का भी उत्पादन किया जा रहा है. देखिये छत्तीसगढ़ की आत्मनिर्भर होती महिलाओं पर विशेष रिपोर्ट.

people are getting employment through gauthan in balod
गौठान का बदला स्वरूप
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Published : Feb 13, 2021, 6:27 PM IST

बालोद: भूपेश बघेल सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा गरुवा घुरवा और बाड़ी योजना के तहत गौठान का स्वरूप बदल रहा है. अब गौठान लोगों को न सिर्फ स्वावलंबी बना रहा है, बल्कि इसके तहत ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने का प्रयास भी किया जा रहा है. गौठान का विकास देखना है तो जिले के चरोटा गांव के गौठान से बहतर कोई उदाहरण नहीं होगा.

गौठान से लोगों को मिल रहा रोजगार

विकास के लिए ये गौठान मील का पत्थर

चरोटा गांव में बने आदर्श गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाएं बेहतरीन काम कर रही हैं. महिलाओं ने गौठान में कड़कनाथ मुर्गा पालन का काम शुरू किया है. इसके अलावा इन गौठानों में पशुपालन, दूध बेचकर और वर्मी कंपोस्ट बनाकर आय अर्जीत किया जा रहा है. गौठान में मशरूम का भी उत्पादन किया जा रहा है.

SPECIAL: गौठानों में रोजगार की पहल, लेकिन मवेशियों के बिना मुख्य उद्देश्य अधूरा

11 महिलाओं ने शुरू किया कुक्कुट पालन

गौठान में गंगा मैया स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कुक्कुट पालन की भी शुरुआत की है. समूह की दो महिलाएं पूरे दिन इनके खाने-पीने का ध्यान रखती हैं. वहीं बारी-बारी से इनके रखरखाव का ध्यान रखा जाता है. महिलाओं ने बताया कि प्रशासन से प्रेरणा लेकर उन्होंने इसकी शुरुआत की है. वे बताती हैं कि सामान्य मुर्गियों की अपेक्षा में इसका दाम अधिक होता है और उन्हें उम्मीद है कि कुछ दिनों में अच्छी आमदनी होने लगेगी.

people are getting employment through gauthan in balod
गौठान से लोगों को मिल रहा रोजगार

गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं दंतेवाड़ा की महिलाएं

पुरुषों ने शुरू किया दुग्ध उत्पादन व्यवसाय

कान्हा पशुपालन स्व-सहायता समूह के माध्यम से कई पुरुषों ने पशुपालन शुरू किया है. इसके तहत गौठान में एचएफ नस्ल के गाय पाले जा रहे हैं. महज 15 दिन पहले ही पशुपालन शुरू हुआ है. शुरुआती दौर में ही हर दिन 27 से 30 लीटर दूध का उत्पादन किया जा रहा है. समूह के लोगों ने बताया कि इससे उन्हें रोजगार के साथ-साथ अच्छा मूल्य भी मिल रहा है.

वर्मी कंपोस्ट तैयार कर हो रही आमदनी

इस गौठान में गोबर खरीदी के साथ ही स्व-सहायता समूहों के माध्यम से वर्मी कंपोस्ट भी तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही अन्य कामों से भी लोगों को जोड़ा जा रहा है ताकि ग्रामीणों की आजीविका भी बनी रहे. ग्रामीण बताते हैं कि समय-समय पर सीजनेबल काम भी गौठान के माध्यम से किए जाते हैं. इनमें रंगोली बनाना, रंग-गुलाल बनाना, दीए बनाना और मशरूम की खेती करना शामिल है.

वाकई, ये कहना गलत नहीं होगा कि चरोटा गांव में सही मायने में गौठान का उपयोग किया जा रहा है. इस गौठान से जहां पुरुषों को रोजगार का साधन मिला है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अब चूल्हे-चौके से निकलकर विकास की मुख्यधारा से जुड़ रही हैं.

बालोद: भूपेश बघेल सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा गरुवा घुरवा और बाड़ी योजना के तहत गौठान का स्वरूप बदल रहा है. अब गौठान लोगों को न सिर्फ स्वावलंबी बना रहा है, बल्कि इसके तहत ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने का प्रयास भी किया जा रहा है. गौठान का विकास देखना है तो जिले के चरोटा गांव के गौठान से बहतर कोई उदाहरण नहीं होगा.

गौठान से लोगों को मिल रहा रोजगार

विकास के लिए ये गौठान मील का पत्थर

चरोटा गांव में बने आदर्श गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाएं बेहतरीन काम कर रही हैं. महिलाओं ने गौठान में कड़कनाथ मुर्गा पालन का काम शुरू किया है. इसके अलावा इन गौठानों में पशुपालन, दूध बेचकर और वर्मी कंपोस्ट बनाकर आय अर्जीत किया जा रहा है. गौठान में मशरूम का भी उत्पादन किया जा रहा है.

SPECIAL: गौठानों में रोजगार की पहल, लेकिन मवेशियों के बिना मुख्य उद्देश्य अधूरा

11 महिलाओं ने शुरू किया कुक्कुट पालन

गौठान में गंगा मैया स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कुक्कुट पालन की भी शुरुआत की है. समूह की दो महिलाएं पूरे दिन इनके खाने-पीने का ध्यान रखती हैं. वहीं बारी-बारी से इनके रखरखाव का ध्यान रखा जाता है. महिलाओं ने बताया कि प्रशासन से प्रेरणा लेकर उन्होंने इसकी शुरुआत की है. वे बताती हैं कि सामान्य मुर्गियों की अपेक्षा में इसका दाम अधिक होता है और उन्हें उम्मीद है कि कुछ दिनों में अच्छी आमदनी होने लगेगी.

people are getting employment through gauthan in balod
गौठान से लोगों को मिल रहा रोजगार

गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं दंतेवाड़ा की महिलाएं

पुरुषों ने शुरू किया दुग्ध उत्पादन व्यवसाय

कान्हा पशुपालन स्व-सहायता समूह के माध्यम से कई पुरुषों ने पशुपालन शुरू किया है. इसके तहत गौठान में एचएफ नस्ल के गाय पाले जा रहे हैं. महज 15 दिन पहले ही पशुपालन शुरू हुआ है. शुरुआती दौर में ही हर दिन 27 से 30 लीटर दूध का उत्पादन किया जा रहा है. समूह के लोगों ने बताया कि इससे उन्हें रोजगार के साथ-साथ अच्छा मूल्य भी मिल रहा है.

वर्मी कंपोस्ट तैयार कर हो रही आमदनी

इस गौठान में गोबर खरीदी के साथ ही स्व-सहायता समूहों के माध्यम से वर्मी कंपोस्ट भी तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही अन्य कामों से भी लोगों को जोड़ा जा रहा है ताकि ग्रामीणों की आजीविका भी बनी रहे. ग्रामीण बताते हैं कि समय-समय पर सीजनेबल काम भी गौठान के माध्यम से किए जाते हैं. इनमें रंगोली बनाना, रंग-गुलाल बनाना, दीए बनाना और मशरूम की खेती करना शामिल है.

वाकई, ये कहना गलत नहीं होगा कि चरोटा गांव में सही मायने में गौठान का उपयोग किया जा रहा है. इस गौठान से जहां पुरुषों को रोजगार का साधन मिला है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अब चूल्हे-चौके से निकलकर विकास की मुख्यधारा से जुड़ रही हैं.

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