बालोद : जिले के आमापारा स्कूल को इंग्लिश मीडियम में तब्दील किए जाने का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. शुक्रवार को स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावक पहली से आठवीं तक की क्लास को पहले जैसे ही हिंदी मीडियम में संचालित कराने की मांग को लेकर आमापारा स्कूल पहुंचे. इस दौरान उन्होंने स्कूलों के काम को बंद कराने की कोशिश की. इसके बाद बच्चों के अभिभावक बच्चों के साथ वहीं धरने पर बैठे गए. इस दौरान उन्होंने शासन और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इतना ही नहीं उन्होंने स्कूल में काम करने वाले लोगों को काम बंद करने को कहा और शिक्षकों को भी खरी-खोटी सुनाई.
बता दें कि, अभिभावकों ने बच्चों के साथ मिलकर लगभग 3 घंटे तक यह धरना प्रदर्शन किया है. हालांकि SDM ने उन्हें आश्वासन दिया है कि, किसी भी बच्चे को बाहर नहीं भेजा जाएगा. इस दौरान SDM ने बच्चों के अभिभावकों से एक आवेदन की मांग की, ताकि वे उनकी बात को आगे पहुंचा सकें.
बच्चों को दूसरे स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं अभिभावक
दरअसल आमापारा में इंग्लिश मीडियम का स्कूल खुल रहा है, जहां छठवीं और नवमी क्लास में हिन्दी मीडियम के छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा, जिसके कारण कक्षा छठवीं के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए दूसरे स्कूल जाना पड़ेगा. इस पर छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि दूसरे स्कूल जाने के लिए बच्चों को सड़क पार कर जाना पड़ेगा, जिसकी वजह से परिजन अपने बच्चों को बाहर नहीं भेजना चाहते हैं.
अभिभावकों की मांग
पालकों की मांग है कि आमापारा के स्कूल को इंग्लिश मीडियम नहीं करते हुए उसे पहले जैसे ही हिन्दी मीडियम रहने दिया जाए. साथ ही पहली से लेकर 8वीं तक की कक्षाएं इसी स्कूल में संचालित की जाएं , ताकि उनके बच्चे वहीं अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. उनका कहना है कि, उनके बच्चे हिंदी मीडियम में पढ़ लेंगे. वहीं कुछ पालक इंग्लिश मीडियम का भी विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि बच्चे स्कूल से अंग्रेजी पढ़ कर आएंगे तो वे घरों में अंग्रेजी में नहीं पढ़ा पाएंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए बच्चों को ट्यूशन भेजना पड़ेगा, लेकिन उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वे अपने बच्चों को ट्यूशन भेज पाएं.
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जानकारी के मुताबिक बच्चों के साथ ही उनके परिजन सुबह 9 बजे आमापारा स्थित स्कूल पहुंच गए थे, जहां उन्होंने धरना प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की. इसकी जानकारी मिलते ही बालोद SDM मौके पर पहुंचे. SDM के साथ ही पुलिस की टीम भी वहां पहुंची. जहां लोगों को समझाइश दी गई. इस पर बच्चों के अभिभावकों ने SDM को बताया कि वे अपने बच्चों को कक्षा छठवीं के लिए बाहर नहीं भेजना चाहते हैं. अभिभावकों की बात सुनकर एसडीएम ने कहा कि जितने भी बच्चे छठवीं में पढ़ने वाले हैं, उनके माता-पिता उन्हें आवेदन लिखकर दें. साथ ही आश्वासन दिया गया है कि उनके बच्चों को स्कूल से नहीं निकाला जाएगा. इससे पहले जिला शिक्षा अधिकारी ने अभिभावकों को शासन के नियमों का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया था. अब देखना यह होगा कि आगे क्या होता है.