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बालोद: पिता का साया हटा तो बेरंग हो गई जिंदगी, तीन बहनों की दर्द भरी दास्तां

फादर्स डे पर एक ऐसी कहानी जो आपको भी झकजोर देगा. बिना माता-पिता के जीवन कितना संघर्ष पूर्ण होता है. यह उनसे पूछो जिनके पास माता-पिता नहीं है. आज पिता दिवस है. हम उन तीन बेटियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिनके सर से पिता का साया उठने के बाद उनका जीवन मानो पूरी तरह अंधकार में हो चला है. आइए जानते हैं उनकी दास्तां...

three sisters story
तीन बहनों की दर्द भरी दास्तां
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Published : Jun 19, 2022, 8:06 AM IST

बालोद: बिना माता-पिता के जीवन कितना संघर्ष पूर्ण होता है. यह उनसे पूछो जिनके पास माता-पिता नहीं है. आज पिता दिवस है और हम उन तीन बेटियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिनके सर से पिता का साया उठने के बाद उनका जीवन मानो पूरी तरह अंधकार में हो चला है. उनका कहना है कि पिता के जाने के बाद से ना उनके पास छत है ना रोजी रोटी और ना ही कोई सहारा.यह तीन बहनें अपने जीवन से संघर्ष कर रही है और अपने पिता को याद कर रहे हैं.शासन-प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कोई तो इन तीन बहनों को सहारा दे और छत दिलाएं. जीवन यापन का साधन दिलाएं. 2 साल पहले एक बीमारी से इनके पिता की मृत्यु हो गई तो साल 2015 में इनकी मां भी इन्हें छोड़ कर जा चुकी है.

पिता का साया हटा तो बेरंग हो गई जिंदगी

यह भी पढ़ें: Fathers Day 2022 : फादर्स डे पर वास्तु के अनुसार तोहफा देकर पिता को कराएं स्पेशल फील

ग्राम भरदा खुर्द के तीन बहनों की दास्तान: यह मार्मिक घटना बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम भरदाखुर्द का है. जहां माता-पिता के जाने के बाद यह तीन बहनें अपने जीवन से संघर्ष कर रहे हैं. तीन बहनों में देहुती निषाद 14 साल, भीमा निषाद 17 साल, खोमिन निषाद 11 साल की है. अब ये प्रशासन से सहयोग की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

painful tales of three sisters
घर की छत नहीं

घरों से टपकता छत और सुरक्षा शून्य: जिस घर में यह तीनों बहने रहती हैं वह घर पूरी तरह जर्जर हो चुका है. मिट्टी की दीवारें दरक रही है और कवेलू से पानी टपकता है. घर का एक कमरा तो पूरी तरह उजड़ चुका है, जहां से कभी भी किसी चोर या फिर अनहोनी करने वाले लोगों के आने-जाने का वह सताते रहता है. इस भय के साए में यह तीनों बहन ने अपना जीवन यापन कर रही है.

शासन प्रशासन करे मदद: गांव की सरपंच ने बताया कि आज इन बहनों के साथ पूरा गांव कदम से कदम मिलाकर खड़ा है. लेकिन शासन और प्रशासन के सहयोग की दरकार है. दरअसल तीन बेटियां हैं और जमाना खराब है. इसलिए बेटियों की सुरक्षा का भय भी सताता रहता है. हम यह चाहते हैं कि शासन और प्रशासन इन्हें मदद करें. इन्हें पक्का घर दिलाएं और इनके रोजगार का साधन मुहैया कराएं. सरपंच ने बताया कि आवास योजना के तहत जो सर्वे सूची है, उनमें इन परिवारों का नाम भी शामिल नहीं है.

पिता के जाने के बाद आई कई समस्या: एक पिता ही होता है, जिससे उसकी भेड़ियों की भविष्य तय होता है. आज पिता के जाने के बाद आय जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए भी इन तीनों बहनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. जिसके कारण पढ़ाई में भी काफी समस्याएं आ रही है.

दो साल पहले पापा ने छोड़ा साथ: इन तीनों बहनों ने बताया कि 2 साल पहले उनके पिता की मृत्यु हुई है और साल 2015 में उनकी मां उन्हें छोड़कर चली गई. उनके मां के जाने के बाद उनके पिता ने दूसरी शादी की थी. लेकिन वह मां भी इन बच्चों को बेसहारा छोड़ कर चली गई. जिसके बाद से यह तीनों बहने अपने जीवन से संघर्ष कर रहे हैं.

बालोद: बिना माता-पिता के जीवन कितना संघर्ष पूर्ण होता है. यह उनसे पूछो जिनके पास माता-पिता नहीं है. आज पिता दिवस है और हम उन तीन बेटियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिनके सर से पिता का साया उठने के बाद उनका जीवन मानो पूरी तरह अंधकार में हो चला है. उनका कहना है कि पिता के जाने के बाद से ना उनके पास छत है ना रोजी रोटी और ना ही कोई सहारा.यह तीन बहनें अपने जीवन से संघर्ष कर रही है और अपने पिता को याद कर रहे हैं.शासन-प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कोई तो इन तीन बहनों को सहारा दे और छत दिलाएं. जीवन यापन का साधन दिलाएं. 2 साल पहले एक बीमारी से इनके पिता की मृत्यु हो गई तो साल 2015 में इनकी मां भी इन्हें छोड़ कर जा चुकी है.

पिता का साया हटा तो बेरंग हो गई जिंदगी

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ग्राम भरदा खुर्द के तीन बहनों की दास्तान: यह मार्मिक घटना बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम भरदाखुर्द का है. जहां माता-पिता के जाने के बाद यह तीन बहनें अपने जीवन से संघर्ष कर रहे हैं. तीन बहनों में देहुती निषाद 14 साल, भीमा निषाद 17 साल, खोमिन निषाद 11 साल की है. अब ये प्रशासन से सहयोग की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

painful tales of three sisters
घर की छत नहीं

घरों से टपकता छत और सुरक्षा शून्य: जिस घर में यह तीनों बहने रहती हैं वह घर पूरी तरह जर्जर हो चुका है. मिट्टी की दीवारें दरक रही है और कवेलू से पानी टपकता है. घर का एक कमरा तो पूरी तरह उजड़ चुका है, जहां से कभी भी किसी चोर या फिर अनहोनी करने वाले लोगों के आने-जाने का वह सताते रहता है. इस भय के साए में यह तीनों बहन ने अपना जीवन यापन कर रही है.

शासन प्रशासन करे मदद: गांव की सरपंच ने बताया कि आज इन बहनों के साथ पूरा गांव कदम से कदम मिलाकर खड़ा है. लेकिन शासन और प्रशासन के सहयोग की दरकार है. दरअसल तीन बेटियां हैं और जमाना खराब है. इसलिए बेटियों की सुरक्षा का भय भी सताता रहता है. हम यह चाहते हैं कि शासन और प्रशासन इन्हें मदद करें. इन्हें पक्का घर दिलाएं और इनके रोजगार का साधन मुहैया कराएं. सरपंच ने बताया कि आवास योजना के तहत जो सर्वे सूची है, उनमें इन परिवारों का नाम भी शामिल नहीं है.

पिता के जाने के बाद आई कई समस्या: एक पिता ही होता है, जिससे उसकी भेड़ियों की भविष्य तय होता है. आज पिता के जाने के बाद आय जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए भी इन तीनों बहनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. जिसके कारण पढ़ाई में भी काफी समस्याएं आ रही है.

दो साल पहले पापा ने छोड़ा साथ: इन तीनों बहनों ने बताया कि 2 साल पहले उनके पिता की मृत्यु हुई है और साल 2015 में उनकी मां उन्हें छोड़कर चली गई. उनके मां के जाने के बाद उनके पिता ने दूसरी शादी की थी. लेकिन वह मां भी इन बच्चों को बेसहारा छोड़ कर चली गई. जिसके बाद से यह तीनों बहने अपने जीवन से संघर्ष कर रहे हैं.

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