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बालोद में रबी फसल के लिए जलाशयों से पानी नहीं, जानिए वजह - बालोद में जलाशयों की स्थिति

No water from reservoirs for Rabi crop in Balod: बालोद जिले के जलाशयों में पानी कम होने के कारण इस बार जिले में रबी की फसलों के लिए जलाशयों से पानी नहीं दिया जाएगा.

water from reservoirs for Rabi crop in Balod
बालोद में रबी फसल के लिए जलाशयों से पानी नहीं
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Published : Jan 28, 2022, 1:55 PM IST

Updated : Jan 28, 2022, 2:09 PM IST

बालोद: जल संसाधन विभाग का कहना है कि धान की फसलों में 5 गुना ज्यादा पानी लगता है. वर्तमान में जलाशय की स्थिति को देखते रवि फसल के लिए पानी नहीं देंगे. वहीं कृषि विभाग का कहना है कि इस बार किसानों को हम दलहन-तिलहन की फसल के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. बालोद ब्लॉक के कुछ क्षेत्रों में लोग अपने बोर के पानी से खेती करने की तैयारी में हैं.

बालोद में रबी फसल के लिए जलाशयों से पानी नहीं

कर रहे हतोत्साहित

बालोद कृषि विभाग उपसंचालक अनिल पांडे ने बताया कि ''इस साल धान की फसल लेने के लिए किसी को प्रोत्साहित नहीं किया गया है, बल्कि हम हतोत्साहित कर रहे हैं. दलहन-तिलहन की फसल किसान लें, इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी काम कर रहे हैं. फिर भी कुछ जगहों पर लोग स्वयं के पानी से खेती कर रहे हैं.''

जानिए बालोद में जलाशयों की स्थिति

  • 50 प्रतिशत तांदुला जलाशय
  • 68 प्रतिशत खरखरा जलाशय
  • 46 प्रतिशत गोंदली जलाशय
  • 98 प्रतिशत मटीयामोती जलाशय

रबी पर पाबंदी से नहीं होगी पानी की कमी

गर्मी के दिनों में प्रति व्यक्ति पानी की खपत 120 लीटर है. इस लिहाज से अगर देखें तो रबी की फसल के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी को रोक दिया जाए तो इससे बालोद जिले की लगभग 3 लाख जनसंख्या को बड़ी आसानी से पानी मुहैया कराया जा सकता है.

आखिर क्यों देशभर में छत्तीसगढ़ सरकारी कैलेंडर 2022 की हो रही चर्चा

एक हेक्टेयर में 50 लाख लीटर पानी की जरूरत

जल संसाधन विभाग के अधिकारी जेके चंद्राकर ने बताया कि ''एक हेक्टेयर यानि ढाई एकड़ जमीन में धान की खेती के लिए 160 सेंटीमीटर पानी की जरूरत होती है.'' जानकारों के मुताबिक इतना पानी लगभग 50 लाख लीटर होता है. मौजूदा समय में 2 लाख 74 हजार 700 एकड़ खेतों में धान की फसल लगाई गई है. इसके लिए अरबों लीटर भूजल का दोहन किया जाता है. जलस्तर के घटने की यह भी एक प्रमुख वजह है.

बालोद: जल संसाधन विभाग का कहना है कि धान की फसलों में 5 गुना ज्यादा पानी लगता है. वर्तमान में जलाशय की स्थिति को देखते रवि फसल के लिए पानी नहीं देंगे. वहीं कृषि विभाग का कहना है कि इस बार किसानों को हम दलहन-तिलहन की फसल के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. बालोद ब्लॉक के कुछ क्षेत्रों में लोग अपने बोर के पानी से खेती करने की तैयारी में हैं.

बालोद में रबी फसल के लिए जलाशयों से पानी नहीं

कर रहे हतोत्साहित

बालोद कृषि विभाग उपसंचालक अनिल पांडे ने बताया कि ''इस साल धान की फसल लेने के लिए किसी को प्रोत्साहित नहीं किया गया है, बल्कि हम हतोत्साहित कर रहे हैं. दलहन-तिलहन की फसल किसान लें, इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी काम कर रहे हैं. फिर भी कुछ जगहों पर लोग स्वयं के पानी से खेती कर रहे हैं.''

जानिए बालोद में जलाशयों की स्थिति

  • 50 प्रतिशत तांदुला जलाशय
  • 68 प्रतिशत खरखरा जलाशय
  • 46 प्रतिशत गोंदली जलाशय
  • 98 प्रतिशत मटीयामोती जलाशय

रबी पर पाबंदी से नहीं होगी पानी की कमी

गर्मी के दिनों में प्रति व्यक्ति पानी की खपत 120 लीटर है. इस लिहाज से अगर देखें तो रबी की फसल के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी को रोक दिया जाए तो इससे बालोद जिले की लगभग 3 लाख जनसंख्या को बड़ी आसानी से पानी मुहैया कराया जा सकता है.

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एक हेक्टेयर में 50 लाख लीटर पानी की जरूरत

जल संसाधन विभाग के अधिकारी जेके चंद्राकर ने बताया कि ''एक हेक्टेयर यानि ढाई एकड़ जमीन में धान की खेती के लिए 160 सेंटीमीटर पानी की जरूरत होती है.'' जानकारों के मुताबिक इतना पानी लगभग 50 लाख लीटर होता है. मौजूदा समय में 2 लाख 74 हजार 700 एकड़ खेतों में धान की फसल लगाई गई है. इसके लिए अरबों लीटर भूजल का दोहन किया जाता है. जलस्तर के घटने की यह भी एक प्रमुख वजह है.

Last Updated : Jan 28, 2022, 2:09 PM IST
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