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महिलाओं के लिए सूचना, भूलकर भी ना जाए बालोद हॉस्पिटल - Mitanin submitted memorandum to collector

बालोद के जिला चिकित्सालय में एक भी महिला चिकित्सक न होने से इलाज के लिए अस्पताल आई महिलाओं को निजी अस्पताल रेफर करना पड़ता (no female doctor in Balod district hospital) है. ऐसे में जिला अस्पताल की मितानिनों ने मामले में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.

Mitanin submitted memorandum to collector
मितानिनों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
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Published : Jun 21, 2022, 2:34 PM IST

बालोद: बालोद जिला चिकित्सालय में कर्मचारियों की कमी के कारण आज महिला मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कतें हो रही है. बालोद जिले की मितानिने महिलाओं के इन दर्द को समझ आज कलेक्ट्रेट पहुंची. बालोद जिला चिकित्सालय में पदस्थ एकमात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ का भी स्थानांतरण कर दिया गया (no female doctor in Balod district hospital ) है. ऐसे में जिला अस्पताल में स्त्री रोग और समस्या सुनने वाला कोई नहीं रहेगा.

बिना महिला चिकित्सक के बालोद जिला चिकित्सालय



एक मात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ: कलेक्ट्रेट पहुंची महिलाओं ने बताया कि बालोद जिले में जिला चिकित्सालय में मात्र एक ही स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं. जिनका नाम उमेश श्रीमाली है. वर्तमान में उसका स्थानांतरण आदेश निकल चुका है. हम उनका स्थानांतरण रुकवाने के लिए कलेक्टर के पास ज्ञापन देने पहुंचे हैं. उनका कहना है कि एक स्त्री रोग के भरोसे यहां जिला अस्पताल संचालित है. यदि उनका भी स्थानांतरण हो गया तो यहां आने वाली महिलाओं को काफी दिक्कतें होगी.

मजबूरी में जाना पड़ता है निजी अस्पताल: डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे जिला चिकित्सालय में स्त्री रोग विशेषज्ञ ना होने के कारण मजबूरी में लोगों को निजी चिकित्सालय की ओर रुख करना पड़ता है. हर वर्ग सक्षम नहीं होता कि निजी चिकित्सालयों में इलाज करा सके. प्रशासन एवं शासन को महिलाओं के इन तकलीफों को समझते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ के स्थानांतरण रोकना चाहिए.

यह भी पढ़ें: आखिर क्यों बालोद में जारी हुआ हाई अलर्ट ?

विशेषज्ञ ना होने पर दूसरी जगह कर दिया जाता है रेफर: महिला मितानिन कार्यकर्ता जो कि आज कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि 1 दिन स्त्री रोग विशेषज्ञ छुट्टी पर होते हैं तो सभी मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. अगर वह स्थाई रूप से यहां से स्थानांतरित होकर चल देंगे तो हर मरीजों को हायर सेंटर या फिर निजी चिकित्सालय में रेफर कर दिया जाएगा.

गर्भवती महिलाओं को होती है ज्यादा दिक्कत: यहां गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. प्रसव के लिए भी भटकना पड़ता है. दरअसल गर्भ धारण से लेकर डिलिवरी तक एक मातृ शिशु विशेषज्ञ की जरूरत होती है. ऐसे में इनके ना होने से गर्भवती महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

बालोद: बालोद जिला चिकित्सालय में कर्मचारियों की कमी के कारण आज महिला मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कतें हो रही है. बालोद जिले की मितानिने महिलाओं के इन दर्द को समझ आज कलेक्ट्रेट पहुंची. बालोद जिला चिकित्सालय में पदस्थ एकमात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ का भी स्थानांतरण कर दिया गया (no female doctor in Balod district hospital ) है. ऐसे में जिला अस्पताल में स्त्री रोग और समस्या सुनने वाला कोई नहीं रहेगा.

बिना महिला चिकित्सक के बालोद जिला चिकित्सालय



एक मात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ: कलेक्ट्रेट पहुंची महिलाओं ने बताया कि बालोद जिले में जिला चिकित्सालय में मात्र एक ही स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं. जिनका नाम उमेश श्रीमाली है. वर्तमान में उसका स्थानांतरण आदेश निकल चुका है. हम उनका स्थानांतरण रुकवाने के लिए कलेक्टर के पास ज्ञापन देने पहुंचे हैं. उनका कहना है कि एक स्त्री रोग के भरोसे यहां जिला अस्पताल संचालित है. यदि उनका भी स्थानांतरण हो गया तो यहां आने वाली महिलाओं को काफी दिक्कतें होगी.

मजबूरी में जाना पड़ता है निजी अस्पताल: डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे जिला चिकित्सालय में स्त्री रोग विशेषज्ञ ना होने के कारण मजबूरी में लोगों को निजी चिकित्सालय की ओर रुख करना पड़ता है. हर वर्ग सक्षम नहीं होता कि निजी चिकित्सालयों में इलाज करा सके. प्रशासन एवं शासन को महिलाओं के इन तकलीफों को समझते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ के स्थानांतरण रोकना चाहिए.

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विशेषज्ञ ना होने पर दूसरी जगह कर दिया जाता है रेफर: महिला मितानिन कार्यकर्ता जो कि आज कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि 1 दिन स्त्री रोग विशेषज्ञ छुट्टी पर होते हैं तो सभी मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. अगर वह स्थाई रूप से यहां से स्थानांतरित होकर चल देंगे तो हर मरीजों को हायर सेंटर या फिर निजी चिकित्सालय में रेफर कर दिया जाएगा.

गर्भवती महिलाओं को होती है ज्यादा दिक्कत: यहां गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. प्रसव के लिए भी भटकना पड़ता है. दरअसल गर्भ धारण से लेकर डिलिवरी तक एक मातृ शिशु विशेषज्ञ की जरूरत होती है. ऐसे में इनके ना होने से गर्भवती महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

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