बालोद: इस मंदिर में कांवड़िए जल लाकर भी जलाभिषेक कर रहे हैं. यहां की बावड़ी में भक्तों का आना जाना लगा हुआ है और विशेष शिवलिंग के समूहों में दूरदराज से महिलाएं युवा बुजुर्ग आकर पूजा अर्चना कर रहे हैं यह प्राचीन मंदिर है और इसकी अपनी एक अलग ही मान्यता है यहां मंदिरों का विशाल समूह है और यहां का कुंड कभी नहीं सूखता है.
भव्य शिवलिंग और मूर्ति की स्थापना: स्थानीय पार्षद और मंदिर के सदस्य मोहन कलिहारी ने बताया कि "आज महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है. साथ ही इस वर्ष विशाल शिव भगवान की मूर्ति एवम शिवलिंग की स्थापना भी की जा रही है देखे कैसे यहां पर भक्तों का ताता लगा हुआ है और विधि विधान से पूजा अर्चना की जा रही है."
हर दरवाजे में गणेश की मूर्तियां: शिवलिंग, राजा-रानी की मूर्तियां 11वीं से 14वीं शताब्दी का है. प्रत्येक मंदिर के दरवाजे के ऊपर गणेश की मूतियां अंकित है. मंदिरों के शिखर भाग पर नागों की आकृतियां अंकित है. अनुमान है कि यहां पर भी स्थानीय नागवंशी राजाओं का शासन रहा होगा. किवंदती है कि इनके शासन काल में ही इन मंदिरों का निर्माण होना माना गया है. यहां भगवान राम का मंदिर गर्भगृह और मंडप में विभक्त है.
1008 दीप से होगी आरती: अधिवक्ता भेष कुमार साहू ने बताया कि "आज महाशिवरात्रि के अवसर पर इस प्राचीन कपिलेश्वर मंदिर में तांदुला घाट से कावड़िया जल लाकर अर्पित कर रहे हैं. वहीं युवतियों और महिलाओं की भीड़ भी लगी हुई है. जो कि निरंतर पूजा अर्चना कर रही है साथ ही मंदिर समिति के सदस्य एवं स्थानीय पार्षद मोहन कलिहारी ने बताया कि यहां पर आज शाम 1008 दीप जलाकर भव्य महाआरती भी की जाएगी."
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जल कुंड का पानी कभी नहीं सूखता: यहां पहुंचे भक्तों ने बताया कि "यहां शिव मंदिर के सामने एक कुंड है. जहां हमेशा पानी भरा रहता है. जो कभी नहीं सूखता. मेरी जानकारी में तो सूखा ही नहीं है. कई योद्धाओं की प्रतिमा स्तंभों पर स्थापित हैं."