बालोद: बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और स्कूल से पहले की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई है. एक तरफ जहां आंगनबाड़ी केंद्रों को लेकर काफी कुछ योजनाएं बनाईं जा रही हैं. वहीं बालोद जिले की बात करें तो यहां आंगनबाड़ी की बिल्डिंग जरूर है, लेकिन बिजली-पानी समेत दूसरी मूलभूत सुविधाएं यहां मौजूद नहीं हैं.
बालोद जिला महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया का गृह जिला है. जाहिर सी बात है यहां व्यवस्थाएं दुरुस्त होनी चाहिए. लेकिन जिले के कई आंगनबाड़ी केंद्र बदहाल हैं. यहां न बिजली है. न ही पानी की व्यवस्था. नौनीहालों का भविष्य कैसा होगा इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है.
एक साल से बिजली कटी
ईटीवी भारत की टीम जब आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करने पहुंची तो यहां समस्या ही समस्या नजर आई. आंगनबाड़ी केंद्रों में पंखे तो लटके हैं, लेकिन बिजली नहीं है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि बिजली बिल भुगतान न होने के चलते पिछले एक साल से आंगनबाड़ी की बिजली काट दी गई है. जिले के कई आंगनबाड़ी केंद्र हैं. जहां बिजली कट चुकी है.
पानी की समस्या
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि सिर्फ बिजली ही नहीं, यहां पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है. काफी दूर से बच्चों के लिए पानी लाना पड़ता है. कई जगहों पर सहायिका की भी नियुक्ति नहीं हुई है, जिसके कारण कार्यकर्ता स्वयं जाकर पानी लाती हैं.
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मिले बुनियादी सुविधा
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ के जिला अध्यक्ष आयशा खान ने बताया कि बच्चों को शुद्ध पानी मिलना चाहिए, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बच्चों के विकास के लिए शुद्ध पानी बहुत जरूरी है. जब उन्हें साफ पानी नहीं मिलेगा तो उनका शारीरिक विकास कैसे होगा.
बीजेपी ने साधा निशाना
बीजेपी नेता देवलाल ठाकुर ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली और पानी का नहीं होना दुर्भाग्य की बात है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करती हैं. जब बालोद जिले की ऐसी स्थिति है तो बाकी प्रदेश के हालात कैसे होंगे. उन्होंने कहा कि विज्ञापन के नाम पर सरकार अरबों रुपए खर्च कर रही है. लेकिन बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
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फंड की कमी
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी कीर्तन राठौर ने बताया कि नल-जल योजना के तहत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को जोड़ने का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिले की 1 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों में 50 मीटर से भीतर पानी की व्यवस्था हैं. वहीं कई आंगनबाड़ी केंद्रों में पानी की दिक्कत भी है. वहां पानी के लिए 100 दिन के भीतर टेप युक्त नल लगाया जाना है. जिसके लिए कार्य शुरू किया जाना है. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से प्रति आंगनबाड़ी में बिजली बिल के लिए 100 रुपए का फंड दिया जाता है. फंड की कमी है, जिसके कारण बिजली बिल का भुगतान नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द भुगतान कर दिया जाएगा.
बहरहाल आंगनबाड़ी केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं को लेकर शासन-प्रशासन कितना भी दावा करे, लेकिन वस्तु कुछ और ही नजर आती है. खासकर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री का गृह जिला होने के बाद तो और भी लोगों की उम्मीदें जुड़ जाती हैं. लेकिन यहां हकीकत कुछ और ही है.