बालोद: सरकार मजदूरों के हित में काम करने के बड़े-बड़े दावे तो कर रही है, लेकिन जो तस्वीरें देखने को मिल रही हैं, वो बताती है कि वर्तमान में मजदूर कितने मजबूर हो चुके है. बालोद जिले की सीमा पर 5 ट्रकों में भरकर तेलंगाना के करीब 250 मजदूर पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और ओडिशा के लिए जा रहे थे, उनके साथ रास्ते में बुरा व्यवहार किया गया.
उन्हें न कहीं खाने के लिए कुछ दिया गया और न ही पीने के लिए पानी ही नसीब हुआ. इस दौरान वे बालोद के बाहर भी थोड़ी देर के लिए रुके थे. पुलिस की नजर इन पर पड़ी. बाद में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और पुलिस जवान मौके पर पहुंचे. उन्होंने मजदूरों को वापस गाड़ियों में बिठाया और इनके लिए केले और पानी की व्यवस्था की गई.
मजदूरों ने बताई आपबीती
पश्चिम बंगाल के लिए निकले मजदूरों ने बताया कि वे प्रशासन की उदासीनता से काफी परेशान हो गए थे. मजदूरों बताया कि उनसे तरह-तरह के दस्तावेज मांगे गए और प्रक्रिया बहुत लंबी कर दी गई. इसके बाद उन्होंने पाई-पाई जोड़कर जमा की हुई राशि से किराए की गाड़ी की. उन्होंने बताया कि वे टोटल 250 मजदूर हैं, जो अपने घर जाने के लिए निकले हैं. मजदूरों ने कहा कि उन्हें शासन-प्रशासन ने कभी ट्रेन से घर भेजने की बात कही, तो कभी गाड़ियों से, लेकिन कुछ नहीं होता देख हम अपने पैसे से ही किराए की गाड़ी लेकर निकल पड़े.
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'रास्ते में नहीं मिला कोई सहयोग'
मजदूरों ने अपनी पीड़ा बताई और कहा कि जहां से वे निकले हैं, उस दिन से उन्होंने एक भी दाना ग्रहण नहीं किया है. जहां भी वे भोजन बनाने रुकते हैं या फिर कोई दुकान देखकर रुकने की कोशिश करते हैं, तो दुकान बंद कर दिए जाते हैं. एसडीएम के माध्यम से उन्हें केला और पानी मुहैया कराया गया. उसके बाद फॉलो वाहन से उन्हें बालोद होते हुए गुरुर फिर गुरुर से जिले की अंतिम सीमा तक छोड़ा गया.