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बालोद: सरकार के उपहार से छात्राओं की पढ़ाई हुई आसान - हायर सेकेंडरी स्कूल

जिले ग्राम हर्राठेमा में मौजूद जिले का एकमात्र सेकेंडरी स्कूल जो कि, वनांचल की गोद मे स्थापित स्कूल का इस साल उन्नयन हुआ है. यहां पढ़ने वाले बच्चे अब उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाई करेंगे.

हायर सेकेंडरी स्कूल
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Published : Aug 31, 2019, 2:31 PM IST

बालोद: वनांचल की गोद में ग्राम हर्राठेमा में मौजूद उच्च विद्यालय का उन्नयन कर उसे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बनाया गया है. सरकार की ओर पहल से गांव की लड़कियों में खुशी का माहौल है लड़कियां खुश हैं कि, अब उनकी पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं आएगी.

स्टोरी पैकेज

छात्राओं ने बताया कि 'पहले 11वीं की पढ़ाई के लिए 10 किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाना पड़ता था, जिसके लिए बस के किराए के तौर पर 400 रुपये खर्च करने पड़ते थे.

साइकिल से स्कूल जाने में लगता था डर
छात्राओं ने बताया कि साइकिल से स्कूल जाने पर इस वजह से डर लगता था, क्योंकि जंगल के जाने से हमेशा यह डर बना रहता है कि, न जाने कब कौन सा जंगली जानवर सामने आ जाए.

हर साल रहता है 100 फीसदी रिजल्ट
इस स्कूल की खासियत यह है कि यहां यहां पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स का रिजल्ट 100 फीसदी रहने के साथ ही यहां की छात्राओं को हर साल स्काउट का राज्य स्तरीय पुरस्कार मिलता है. विद्यालय उन्नयन से वनांचल की छात्र छात्राओं के सपनों को अब पंख लग पाएगा.

स्कूल दूर होने की वजह से छोड़ी पढ़ाई
ग्राम हर्राठेमा के ग्रामीण पिछले कई साल से उच्च विद्यालय को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बनाने की मांग कर रहे थे. उनकी मांग को इस साल सरकार ने स्वीकृति दी. इसे लेकर ग्रामीण खासे खुश हैं और सबसे ज्यादा खुश वहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं हैं, जिनकी शिक्षा की राह अब आसान हो चली है. वनांचल कि इन छात्राओं में पढ़ने का जुनून तो है लेकिन स्कूल दूर होने की वजह से कुछ छात्राओं ने पढ़ाई ही छोड़ दी थी.

'अब अच्छे से कर सकेंगे पढ़ाई'
11वीं क्लास में पढ़ने वाली रश्मि नेताम और विशाखा मरकाम ने बताया कि, यहां जब स्कूल नहीं था, उस दौरान लोगों को खासी दिक्कतें होती थी. हमारी सीनियर छात्राएं या बस से स्कूल जाया करती थीं, जिसका हर महीने चार सौ रुपये किराया देना पड़ता था. इसके साथ ही साइकिल में इस कारण नहीं जा सकते थे, क्योंकि स्कूल बेहद दूर था और जंगली इलाका होने की वजह से यहां जानवरों की भी समस्या थी. हर वक्त डर सताता रहता था कि, न जाने कब कौन सा जानवर सामने आ जाए. छात्राओं ने बताया कि, स्कूल के अपग्रेड होने से हम सब यहीं 11वीं और 12वीं की पढ़ाई अच्छे से करेंगे.

'लंबे समय से थी मांग'
स्कूल के प्रचारक प्रमोद कुमार देवांगन ने बताया कि 'लंबे समय से स्कूल के उन्नयन की मांग की जा रही थी, वनांचल होने की वजह से दर्ज संख्या दिखा पाने में काफी असमर्थता होती थी, लेकिन अब बच्चे पढ़ाई को लेकर आकर्षित हुए हैं और 25 बच्चे 11वीं क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं.

अगले साल से होगी 12वीं की पढ़ाई
उन्होंने बताया कि 'अगले साल से यहां 12वीं की क्लास भी संचालित हो जाएंगी. यह स्कूल बालोद ब्लॉक के सबसे अंतिम छोर में मौजूद है और वनांचल ग्राम होने की वजह से सरकार आदिवासी वर्ग को आगे लाने के लिए लगातार प्रयास करती रहती है और इस प्रयास के बेहतर नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं.

बालोद: वनांचल की गोद में ग्राम हर्राठेमा में मौजूद उच्च विद्यालय का उन्नयन कर उसे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बनाया गया है. सरकार की ओर पहल से गांव की लड़कियों में खुशी का माहौल है लड़कियां खुश हैं कि, अब उनकी पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं आएगी.

स्टोरी पैकेज

छात्राओं ने बताया कि 'पहले 11वीं की पढ़ाई के लिए 10 किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाना पड़ता था, जिसके लिए बस के किराए के तौर पर 400 रुपये खर्च करने पड़ते थे.

साइकिल से स्कूल जाने में लगता था डर
छात्राओं ने बताया कि साइकिल से स्कूल जाने पर इस वजह से डर लगता था, क्योंकि जंगल के जाने से हमेशा यह डर बना रहता है कि, न जाने कब कौन सा जंगली जानवर सामने आ जाए.

हर साल रहता है 100 फीसदी रिजल्ट
इस स्कूल की खासियत यह है कि यहां यहां पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स का रिजल्ट 100 फीसदी रहने के साथ ही यहां की छात्राओं को हर साल स्काउट का राज्य स्तरीय पुरस्कार मिलता है. विद्यालय उन्नयन से वनांचल की छात्र छात्राओं के सपनों को अब पंख लग पाएगा.

स्कूल दूर होने की वजह से छोड़ी पढ़ाई
ग्राम हर्राठेमा के ग्रामीण पिछले कई साल से उच्च विद्यालय को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बनाने की मांग कर रहे थे. उनकी मांग को इस साल सरकार ने स्वीकृति दी. इसे लेकर ग्रामीण खासे खुश हैं और सबसे ज्यादा खुश वहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं हैं, जिनकी शिक्षा की राह अब आसान हो चली है. वनांचल कि इन छात्राओं में पढ़ने का जुनून तो है लेकिन स्कूल दूर होने की वजह से कुछ छात्राओं ने पढ़ाई ही छोड़ दी थी.

'अब अच्छे से कर सकेंगे पढ़ाई'
11वीं क्लास में पढ़ने वाली रश्मि नेताम और विशाखा मरकाम ने बताया कि, यहां जब स्कूल नहीं था, उस दौरान लोगों को खासी दिक्कतें होती थी. हमारी सीनियर छात्राएं या बस से स्कूल जाया करती थीं, जिसका हर महीने चार सौ रुपये किराया देना पड़ता था. इसके साथ ही साइकिल में इस कारण नहीं जा सकते थे, क्योंकि स्कूल बेहद दूर था और जंगली इलाका होने की वजह से यहां जानवरों की भी समस्या थी. हर वक्त डर सताता रहता था कि, न जाने कब कौन सा जानवर सामने आ जाए. छात्राओं ने बताया कि, स्कूल के अपग्रेड होने से हम सब यहीं 11वीं और 12वीं की पढ़ाई अच्छे से करेंगे.

'लंबे समय से थी मांग'
स्कूल के प्रचारक प्रमोद कुमार देवांगन ने बताया कि 'लंबे समय से स्कूल के उन्नयन की मांग की जा रही थी, वनांचल होने की वजह से दर्ज संख्या दिखा पाने में काफी असमर्थता होती थी, लेकिन अब बच्चे पढ़ाई को लेकर आकर्षित हुए हैं और 25 बच्चे 11वीं क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं.

अगले साल से होगी 12वीं की पढ़ाई
उन्होंने बताया कि 'अगले साल से यहां 12वीं की क्लास भी संचालित हो जाएंगी. यह स्कूल बालोद ब्लॉक के सबसे अंतिम छोर में मौजूद है और वनांचल ग्राम होने की वजह से सरकार आदिवासी वर्ग को आगे लाने के लिए लगातार प्रयास करती रहती है और इस प्रयास के बेहतर नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं.

Intro:बालोद।

बालोद जिले का एकमात्र विद्यालय ग्राम हर्राठेमा जो कि बालोद ज़िले के बालोद ब्लाक का अंतिम ग्राम है जो कि वनांचल की गोद मे स्थापित है और यह इस वर्ष उन्नयन हुआ है और यहां के बच्चे अब वहीं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की शिक्षा ग्रहण करेंगे बालिकाओं में काफी हर्ष है कि अब उनकी पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आएगी बालिकाओं ने बताया कि पहले 400 रुपये प्रति माह बस वाले को किराया देकर दूर 10 किलोमीटर 11वीं की पढ़ाई करने जाना पड़ता था और साइकल में जाने के लिए इस वजह से डर लगता था क्योंकि जंगल का मार्ग है और ना जाने कब कौन से जंगली जानवर सामने आ जाए इस स्कूल की खासियत यह है कि यहां शत प्रतिशत परिणाम आने के साथ यहां के बालिकाओं को हर वर्ष स्काउट का राज्य स्तरीय पुरस्कार मिलता है विद्यालय उन्नयन से वनांचल की छात्र छात्राओं के सपनों को अब पंख लग पायेगा।


Body:ग्राम हर्राठेमा के ग्रामीण काफी वर्षों से उच्च विद्यालय को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बनाने की मांग कर रहे थे उनकी मांग को इस वर्ष शासन द्वारा स्वीकृत कर लिया गया है जिसको लेकर ग्रामीण काफी खुश हैं और सबसे ज्यादा खुश वहां पढ़ने वाले बालक बालिकाएं हैं जिनकी शिक्षा की राह अब आसान हो चली है वनांचल कि इन बालिकाओं में पढ़ने का काफी जुनून तो है परंतु दूर विद्यालय होने के चलते कुछ बालिकाएं पढ़ना ही छोड़ दे रही थी।

वीओ - 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली रश्मि नेताम व विशाखा मरकाम ने बताया कि यहां पर जब विद्यालय नहीं था तो लोगों को काफी दिक्कतें होती थी हमारे आगे पढ़ने वाली दीदी या बस से वहां जाया करती थी जिस का किराया 400 रुपये प्रति माह देना पड़ता था इसके साथ ही साइकल में इस कारण नहीं जा सकते थे क्योंकि विद्यालय काफी दूर था और यह जंगल क्षेत्र है तो जानवरों की भी समस्या थी कि कब कौन सा जानवर सामने आ जाए यह भय लगा रहता था विद्यालय बनने से अब हम सब यही 11वीं 12वीं की पढ़ाई करेंगे और अच्छे से पढ़ेंगे।


वीओ - यहां के प्रचारक प्रमोद कुमार देवांगन ने बताया कि क्या काफी अच्छा विद्यालय है काफी वर्षों से उन्नयन की मांग की जा रही थी वनांचल होने के चलते दर्ज संख्या दिखा पाने में काफी असमर्थता होती थी परंतु अब बच्चे पढ़ाई क्यों लेकर आकर्षित हुए हैं और 25 बच्चे 11 वीं की कक्षा में अध्ययन कर रहे हैं अगले साल से यहां 12वीं की कक्षा भी संचालित हो जाएगी साथ ही उन्होंने बताया कि यहां दसवीं का प्रतिशत शत-प्रतिशत उत्तेजना का है या काफी अच्छा है और यहां के बच्चे स्काउट गाइड में भी प्रतिवर्ष अच्छा सहभागिता निभाते हैं।


Conclusion:यह विद्यालय बालोद ब्लाक के सबसे अंतिम छोर में स्थापित है और यह वनांचल ग्राम हैं शासन आज आदिवासी वर्ग को आगे लाने निरंतर प्रयास कर रही है इस प्रयास का परिणाम यहां देखने भी मिल रहा है बालिकाओं में अब खुशी है कि वह अपने आगे की शिक्षा आराम से कर पाएंगे।

बाइट - रश्मि सलामे, कक्षा 11 वी

बाइट - विशाखा मरकाम, कक्षा 11 वी

बाइट - प्रमोद कुमार देवांगन, प्राचार्य
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