बालोद: वनांचल की गोद में ग्राम हर्राठेमा में मौजूद उच्च विद्यालय का उन्नयन कर उसे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बनाया गया है. सरकार की ओर पहल से गांव की लड़कियों में खुशी का माहौल है लड़कियां खुश हैं कि, अब उनकी पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं आएगी.
छात्राओं ने बताया कि 'पहले 11वीं की पढ़ाई के लिए 10 किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाना पड़ता था, जिसके लिए बस के किराए के तौर पर 400 रुपये खर्च करने पड़ते थे.
साइकिल से स्कूल जाने में लगता था डर
छात्राओं ने बताया कि साइकिल से स्कूल जाने पर इस वजह से डर लगता था, क्योंकि जंगल के जाने से हमेशा यह डर बना रहता है कि, न जाने कब कौन सा जंगली जानवर सामने आ जाए.
हर साल रहता है 100 फीसदी रिजल्ट
इस स्कूल की खासियत यह है कि यहां यहां पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स का रिजल्ट 100 फीसदी रहने के साथ ही यहां की छात्राओं को हर साल स्काउट का राज्य स्तरीय पुरस्कार मिलता है. विद्यालय उन्नयन से वनांचल की छात्र छात्राओं के सपनों को अब पंख लग पाएगा.
स्कूल दूर होने की वजह से छोड़ी पढ़ाई
ग्राम हर्राठेमा के ग्रामीण पिछले कई साल से उच्च विद्यालय को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बनाने की मांग कर रहे थे. उनकी मांग को इस साल सरकार ने स्वीकृति दी. इसे लेकर ग्रामीण खासे खुश हैं और सबसे ज्यादा खुश वहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं हैं, जिनकी शिक्षा की राह अब आसान हो चली है. वनांचल कि इन छात्राओं में पढ़ने का जुनून तो है लेकिन स्कूल दूर होने की वजह से कुछ छात्राओं ने पढ़ाई ही छोड़ दी थी.
'अब अच्छे से कर सकेंगे पढ़ाई'
11वीं क्लास में पढ़ने वाली रश्मि नेताम और विशाखा मरकाम ने बताया कि, यहां जब स्कूल नहीं था, उस दौरान लोगों को खासी दिक्कतें होती थी. हमारी सीनियर छात्राएं या बस से स्कूल जाया करती थीं, जिसका हर महीने चार सौ रुपये किराया देना पड़ता था. इसके साथ ही साइकिल में इस कारण नहीं जा सकते थे, क्योंकि स्कूल बेहद दूर था और जंगली इलाका होने की वजह से यहां जानवरों की भी समस्या थी. हर वक्त डर सताता रहता था कि, न जाने कब कौन सा जानवर सामने आ जाए. छात्राओं ने बताया कि, स्कूल के अपग्रेड होने से हम सब यहीं 11वीं और 12वीं की पढ़ाई अच्छे से करेंगे.
'लंबे समय से थी मांग'
स्कूल के प्रचारक प्रमोद कुमार देवांगन ने बताया कि 'लंबे समय से स्कूल के उन्नयन की मांग की जा रही थी, वनांचल होने की वजह से दर्ज संख्या दिखा पाने में काफी असमर्थता होती थी, लेकिन अब बच्चे पढ़ाई को लेकर आकर्षित हुए हैं और 25 बच्चे 11वीं क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं.
अगले साल से होगी 12वीं की पढ़ाई
उन्होंने बताया कि 'अगले साल से यहां 12वीं की क्लास भी संचालित हो जाएंगी. यह स्कूल बालोद ब्लॉक के सबसे अंतिम छोर में मौजूद है और वनांचल ग्राम होने की वजह से सरकार आदिवासी वर्ग को आगे लाने के लिए लगातार प्रयास करती रहती है और इस प्रयास के बेहतर नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं.